Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

अब तो तुम भी काम धंधे पर लगो जी

उलटवांसी
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

आलोक पुराणिक

चुनाव निपट लिये जी, चुनावी डिबेट भी निपट जायेगी।

Advertisement

महीनेभर से ज्यादा चली चाऊं-चाऊं, चक-चक। खटाखट, सफाचट, फटाफट, धकाधक, मंगलसूत्र, मुगल, औरंगजेब सब आ लिये चुनावी चक्कलस में। खटाखट जैसा शब्द पॉलिटिकल शब्द हो गया। पॉलिटिक्स कुछ भी कर सकती है। वैसे क्या बचा है अब जो पॉलिटिकल नहीं है। आप कहिये किसी से गर्मी बहुत है, तो क्या पता सामने वाला बंदा नाराज हो जाये और कह उठे कि क्या यह गर्मी सिर्फ मोदी ने करवायी है, पहले तो गर्मी होती ही नहीं थी। पहले तो दिल्ली हमेशा शिमला होता था। सिंपल-सी बात भी चुनावी गर्मी में पॉलिटिकल हो जाती है।

आप किसी से कहिये कि अब दिन बहुत बड़े हो गये हैं तो सामने से जवाब आ सकता है कि मोदीजी के नेतृत्व में सब कुछ बड़ा हो रहा है। सपने बड़े हो रहे हैं, परिणाम बड़े हो रहे हैं और दिन भी बड़े हो रहे हैं।

कुछ भी कहना खतरनाक हो गया है इन दिनों। समझ कर बोलने का वक्त था पर अब चुनाव निकल लिया है, किसी की नाव पार लगेगी, किसी की डूबेगी।

बहुतों के मुंह छिपाने के दिन आ रहे हैं, उन्होंने कहा था कि हर हाल में इस पार्टी को उतनी सीटें मिल रही हैं। उन्होंने कहा था कि उस पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिलेंगी।

बात झूठी साबित हो जायेगी, तो शर्म आयेगी। नहीं, नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों को शर्म नहीं आती। इनका पब्लिक की मेमोरी पर अपार विश्वास होता है। जनता कुछ याद नहीं रखती। जनता भी क्या क्या याद रखे। प्याज-आलू के भाव याद रखने में दिमाग का सारा मेमोरी स्पेस खत्म हो जाता है। कौन क्या कह गया, यह याद रखना संभव नहीं होता। फिर याद रख भी ले पब्लिक, तो भी क्या हो जायेगा। जो नेता कुछ महीने पहले कह रहा था कि यह वाली पार्टी तो देश को तबाह कर देगी, यह चुनाव हार जायेगी। कुछ वक्त बाद वही नेता इसी पार्टी में आ गया, जिसे वह तबाहकारी बता रहा था। पब्लिक क्यों याद रखे, जब कहने वाला नेता ही याद न रख रहा।

टेंट, जुलूस आन रेंट, कुर्ता, पेंट, इन सबके कारोबार खूब चले। आम आदमी ने बहुत टाइम वेस्ट किया, चुनावी चर्चा में। बहुत टाइम खर्चा किया, चुनावी चर्चा में।

अब भईया सब लगो अपने-अपने काम में। नेता तो कबसे काम पर लगे हुए हैं।

कुमार साहब सिंह साहब से भिड़ गये थे कि वो नेता जीतेगा।

Advertisement
×