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अब कह दिया तो दिल रखने को मान लो

तिरछी नज़र
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आदमी कुछ दिन वेंटिलेटर पर टिक गया तो टीवी प्रोग्राम वाले यमराज को कोसने लगते हैं कि यमदूत सरकारी कर्मचारी हो गए हैं, काम टाइम से करते ही नहीं। हॉस्पिटल में बिस्तर पर लेटा आदमी सामने टीवी पर अपने मरने की खबर देखे, इससे दुखद बात और क्या होगी?

खबरिया चैनल बहुत तेज चलते हैं। इतने तेज कि पीछे क्या-क्या छूट गया, इन्हें ही नहीं पता। इनकी पहुंच बहुत ऊपर तक होती है। इतनी ऊपर कि यमराज भी पूछता है कि बताओ आज किसकी मृत्यु करनी है? न्यूज चैनल ने कहा प्रसिद्ध फलां जी का निधन हो गया। प्रसिद्ध ही होगा तभी तो उनका निधन हुआ है। वरना चैनल आम के लिए दो तीन मारे गए से काम चला लेता है।

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अब वह प्रसिद्ध आदमी प्रसिद्ध हॉस्पिटल में भर्ती था। ये हॉस्पिटल का रिकॉर्ड मानिए या मीडिया का कॉन्फिडेंस, वहां भर्ती होते ही मान लिया जाता है कि वह शोक संवेदना लायक हो गए हैं। इधर ऐसी खबरों के लिए मीडिया अपने एंकर में ये देखता है कि किस एंकर की सूरत शक्ल रोने जैसी है, उसे ही टीवी पर दिखाना है। मरने वाला अगर फिल्मी दुनिया से हुआ तो उसके गाने, फिल्मी सीन आदि का एक कार्यक्रम बना कर रख लिया जाता है, जैसे ही डॉक्टर ने उसकी मृत्यु रिपोर्ट पर दस्तखत किए, इधर टीवी पर गाने शुरू। क्रिकेटर हुआ तो उसके मैच की क्लिप दिखा देते हैं। राजनेता हुआ तो उसके भाषण। कभी हो ये जाता है कि वह आदमी कुछ दिन वेंटिलेटर पर टिक गया तो टीवी प्रोग्राम वाले यमराज को कोसने लगते हैं कि यमदूत सरकारी कर्मचारी हो गए हैं, काम टाइम से करते ही नहीं। हॉस्पिटल में बिस्तर पर लेटा आदमी सामने टीवी पर अपने मरने की खबर देखे, इससे दुखद बात और क्या होगी?

डॉक्टर ने कहा सर, आप मर चुके हैं।

आदमी कहता है : डॉक्टर साहब मैं आपके सामने जिंदा हूं।

डॉक्टर बोला : ये सही है, आप जिंदा हैं लेकिन दुनिया की नजरों में आप मर चुके हो।

इतना बड़ा न्यूज चैनल कह रहा है तो वह झूठ थोड़े ही बोलेगा, अगर मान लो वह झूठ बोल भी रहा है तो हम क्या करें?

आदमी बोला : देखिए, मैं अभी जीवित हूं, मैं खा रहा हूं, पी रहा हूं।

देखिए सर आप बड़े लोग हैं। आप हमेशा ही जीवित बने रहेंगे, फिल्म में, टीवी पर पेपर में, कई सौ साल तक। ये तो साहब, इस टीवी चैनल की साख का सवाल हैै। आप उस गरीब आदमी का सोचिए जो कागज में मर गया। वह जिंदा होते हुए घूम रहा है। वह भी आखिरी में सरकार का सहयोग करता ही है, वह भी उसी कागज को देखते हुए मर जाता है।

आदमी : तो अब मैं क्या करूं?

डॉक्टर, अरे आप तो फिल्म में डायरेक्टर के कहने से कई बार मरे हैं। तो इस बार न्यूज चैनल के कहने से मर जाइए।

मेरी फैमिली का क्या होगा?

डॉक्टर बोला : आपको आपकी फैमिली की चिन्ता है। उन करोड़ों लोगों की नहीं जो अब तक आपको श्रद्धांजलि दे चुके, वह क्या करेंगे अब? उनके लिए वेंटीलेटर पर जाना श्मशान जाने जैसा ही है।

अब वह तो आपके श्मशान के फोटो भी शेयर करने के इंतजार में बैठे हैं, उनके हाथ में मोबाइल है, डाटा है, वह तो मान ही चुके हैं।

सच में ऐसे कोई मरता है क्या?

डॉक्टर बोला : मरता है सर, कई लोगों की आत्मा, संवेदना और मनुष्यता सच में मर जाती है।

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