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अब आई दिवाली के बाद की ईएमआई

उलटबांसी
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हर रिश्ते की कीमत का अंदाज़ा उसी से लगता है —‘काजू कतली दी है या रसगुल्ला?’ अगर किसी ने सिर्फ ‘नमकीन गिफ्ट पैक’ दिया, तो समझो कि रिश्ते में हल्की खटास है।

दिवाली बीत चुकी है। ये खरीदो, वो खरीदो, पैसे न हों, तो लोन पर खरीदो, ऐसे दिवाली इश्तिहारों के चक्करों में बहुत लोगों ने बहुत कुछ ऐसा खरीद लिया है, जो उनकी जेब की औकात से बाहर था। दिवाली तो एक दिन होकर निकल गयी पर खरीदे गये आइटमों की ईएमआई बहुत महीने चलेगी।

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घर में मिठाइयों का हाल ऐसा है कि एक कोने में बर्फी है, दूसरे में लड्डू, और फ्रिज में कुछ ऐसा पदार्थ पड़ा है जो अब ‘मिठाई’ से ज़्यादा ‘रासायनिक प्रयोग’ लग रहा है।

पड़ोसी कुमार जी अब भी छत पर लाइट्स लटकाए घूम रहे हैं।

उनका मानना है कि ‘जब तक बिजली का बिल नहीं आएगा, तब तक दिवाली जारी है।’

दिवाली का सबसे बड़ा फायदा – लोग साल में एक बार मिल लेते हैं।

सबसे बड़ा नुकसान– मिलते ही झगड़ लेते हैं।

जो लोग दिवाली पर मिठाई बांट रहे थे, अब स्टेटस डाल रहे हैं : मोटापे से बचने के उपाय।

दिवाली से पहले घर में जो सफाई अभियान चला था, अब उसका रिवर्स मिशन चल रहा है।

मां ने कहा था– ‘इस बार घर चमकना चाहिए।’

अब वही मां कहती हैं –‘इतनी सफाई करने की ज़रूरत नहीं थी, अब सब चीज़ें मिलती ही नहीं।’

ड्रॉअर से अब भी पुराने बिल, पुराने गिफ्ट कार्ड और ‘एक्स-ब्वॉयफ्रेंड के दिए कार्ड’ निकल रहे हैं। घर साफ तो हो गया, मगर पारिवारिक इतिहास मिट गया।

दिवाली गिफ्ट एक्सचेंज अब भारतीय अर्थव्यवस्था का असली स्तंभ है। लोगों ने ‘गिफ्ट देकर गिफ्ट लेने’ की परंपरा को इस हद तक बढ़ाया है कि अब वही गिफ्ट तीन मोहल्ले घूमकर वापस अपने घर आ जाता है।

कुछ लोगों ने इस परंपरा को नया नाम दिया है–रिसाइकिलेबल गिफ्टिंग।

अर्थात गिफ्ट को रिसाइकिल करते रहना यानी पृथ्वी और रिश्तों —दोनों की सेवा।

दिवाली से पहले हर शॉपिंग वेबसाइट ने घोषणा की थी–

‘सबसे बड़ा सेल, सबसे सस्ता माल!’

अब बैंक ने घोषणा की है– सबसे लंबा ईएमआई प्लान!

हर साल की तरह इस बार भी लोग दो भागों में बंट गये।

पहले, जो बोले–‘पटाखे नहीं फोड़ेंगे, पर्यावरण बचाएंगे।’

दूसरे, जो बोले–‘बच्चों की खुशी में सब जायज़ है।’

तीसरे वो जो बोले–‘भाई, बच्चों की खुशी और वायु गुणवत्ता— दोनों में संतुलन कैसे हो?’

अब दिवाली बीत गई है, वायु गुणवत्ता वही पुराने वक्त की है।

काजू कतली अब सिर्फ मिठाई नहीं, भावनात्मक मुद्दा बन चुकी है।

हर रिश्ते की कीमत का अंदाज़ा उसी से लगता है—‘काजू कतली दी है या रसगुल्ला?’

अगर किसी ने सिर्फ ‘नमकीन गिफ्ट पैक’ दिया, तो समझो कि रिश्ते में हल्की खटास है।

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