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कहानियां गढ़ने वाले ट्रंप को साहित्य का नोबेल

उलटबांसी

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ट्रंप को नोबेल साहित्य पुरस्कार मिलना चाहिए था, वह कहानी बहुत सुनाते हैं। तरह-तरह की कहानियां ट्रंप सुनाते हैं। भारत-पाक का युद्ध रुकवा दिया, वह कहते हैं। भारत की तरफ आपरेशन सिंदूर बंद न हुआ, पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां भी चलती रहती हैं।

वर्ष 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार ने ट्रंप के जीवन में अशांति कर दी है। ट्रंप को नोबेल न मिलना एक तरह नोबेल का अपमान है, ऐसा ट्रंप के चेले चमचे बता रहे हैं। ट्रंप ने बार-बार कहा, ‘मैंने आठ युद्ध रुकवाए, इस्राइल-हमास से लेकर भारत-पाकिस्तान तक, नोबेल मेरा हक है!’ लेकिन नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने कहा, ‘सॉरी, मिस्टर प्रेसिडेंट, आपकी शांति तो ट्रंप ब्रांड का बिजनेस लग रही है, पुरस्कार नहीं।’

यह सुनकर ट्रंप ने ट्वीट किया होगा– ‘फेक न्यूज! नॉर्वे फेक कंट्री है, मैं नया पुरस्कार बनाऊंगा—ट्रंप पीस अवॉर्ड, जो हर हफ्ते मिलेगा, सिर्फ मुझे!’ लेकिन व्यंग्य की बात करें तो यह पूरा कांड एक बड़ा व्यंग्य है– शांति का पुरस्कार मांगने से मिलता है क्या? अगर ऐसा होता तो दुनिया के हर राजनेता को नोबेल मिल चुका होता और नोबेल कमेटी को वॉलमार्ट की शाखा समझ लिया जाता। ट्रंप को अगर नोबेल मिल जाता, तो वह इसे देखने पर वह टैरिफ लगा देते। जो काम-धंधा नहीं है, वह ट्रंप को समझ नहीं आता। सिर्फ धंधा समझते हैं ट्रंप। उन्हें लगा होगा कि नोबेल मिलने से उनके धंधे की ब्रांड वैल्यू बहुत बढ़ जायेगी।

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ट्रंप की शांति भी बिजनेस जैसी है–डील करो, फायदा लो, फिर प्रचार। शांति फ्री नहीं बिकती, वह कमाई जाती है, मांगी नहीं जाती। ट्रंप नोबेल लेकर कहते, ‘यह ग्रेटेस्ट डील एवर, नोबेल टॉवर भी खोल देते वह। ट्रंप नोबेल की ट्रॉफी को किराये पर भी उठाने लगते। ट्रंप व्हाइट हाउस में नोबेल मेडल लगाते, और कहते, ‘यह ओबामा के मेडल से बड़ा है, ओबामा का मेडल तो छोटा था!’ फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस—‘मैंने शांति की, अब मेक्सिको बार्डर पर दीवार बिल्ड करूंगा नोबेल के नाम पर!’ वैसे ट्रंप को तो डील पसंद है, पुरस्कार नहीं। नोबेल शांति पुरस्कार खुद एक व्यंग्य है। अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट बनाया, फिर पछतावा हुआ तो पुरस्कार बनाया शांति का। लेकिन आजकल यह पुरस्कार युद्धरतों को ही मिलता है–ओबामा को मिला, जो अपने वक्त के युद्ध लड़ रहे थे।

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ट्रंप को नोबेल साहित्य पुरस्कार मिलना चाहिए था, वह कहानी बहुत सुनाते हैं। तरह-तरह की कहानियां ट्रंप सुनाते हैं। भारत-पाक का युद्ध रुकवा दिया, वह कहते हैं। भारत की तरफ आपरेशन सिंदूर बंद न हुआ, पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियां भी चलती रहती हैं।

नोबल कमेटी वाले ट्रंप से बोले, ‘डोनाल्ड, तुम्हारी शांति की परिभाषा है मेक अमेरिका ग्रेट अगेन, लेकिन बाकी दुनिया का क्या?’ ट्रंप बोले, ‘बाकी दुनिया को वह अमेरिका का हिस्सा मानते हैं।’

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