नीति आयोग की रिपोर्ट रोडमैप फॉर जॉब क्रिएशन इन द एआई इकोनॉमी 2025 के मुताबिक एआई के बढ़ते प्रभाव से जहां 2031 तक बड़ी संख्या में पारंपारिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं, वहीं एआई से जुड़ी करीब 40 लाख नई नौकरियां निर्मित होते हुए दिखाई देंगी।
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने नई पीढ़ी को प्रारंभिक स्तर से ही भविष्य की तकनीक कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ने की सार्थक पहल की है। इसके मद्देनजर आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 से देशभर के सभी स्कूलों में तीसरी कक्षा से ही एआई पढ़ाने का फैसला किया है। इन दिनों भारत में श्रमशक्ति और रोजगार बाजार, पर आई रिपोर्टों में दो बातें रेखांकित हो रही हैं। एक भारत की नई पीढ़ी के लिए उद्योग-कारोबार की नई जरूरतों और नई डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत एआई की नौकरियों में तेजी से वृद्धि हो रही है। दो, विदेशों में भी भारत की एआई स्किल्स से सुसज्जित प्रतिभाओं के लिए मौके बढ़ रहे हैं।
हाल ही में वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर, 2025 में एआई और मशीन लर्निंग दक्षता की नौकरियों में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है। इनकी मांग आईटी व गैर आईटी क्षेत्र में भी बढ़ रही है। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने राष्ट्रीय, श्रम शक्ति नीति 2025 के मसौदे के तहत स्वीकार किया है कि भारत का श्रम बाजार ढांचागत बदलाव से गुजर रहा है। अब एआई और नए कौशल विकास पर जोर देना जरूरी है। नीति आयोग की रिपोर्ट रोडमैप फॉर जॉब क्रिएशन इन द एआई इकोनॉमी 2025 के मुताबिक एआई के बढ़ते प्रभाव से जहां 2031 तक बड़ी संख्या में पारंपारिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं, वहीं एआई से जुड़ी करीब 40 लाख नई नौकरियां निर्मित होते हुए दिखाई देंगी।
निस्संदेह इस समय एआई फोकस की वजह से कई कंपनियों में पारंपारिक नौकरियां खत्म होते हुए दिखाई दे रही हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियां खत्म नहीं होती, बल्कि उसकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां सृजित होती हैं। वस्ततुः एआई के आगमन ने नौकरी बाजार में क्रांति ला दी है, नए अवसर और भूमिकाएं पैदा की हैं। एआई का प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई उद्योगों और भूमिकाओं को बदल रहा है। भारत की नई पीढ़ी एआई कामों में लगातार अपना योगदान बढ़ा रही है। ओपन एआई के सीईओ सैम आल्ट मैन के मुताबिक एआई के लिए दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। गुगल के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक भारत एआई के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के मुताबिक भारत की गणित में दक्ष नई पीढ़ी के लिए एआई में अपार संभावनाएं हैं।
इस समय भारत में एआई पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से विस्तार कर रहा है। फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स के मुताबिक भारत में एआई का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। जहां इस वर्ष 2025 में भारत का एआई बाजार 13.05 अरब डॉलर मूल्य की ऊंचाई पर है, वहीं यह बाजार आकार 2032 में 130.63 अरब डॉलर मूल्य का अनुमानित है। भारत में प्रौद्योगिकी और एआई पारिस्थितिकी तंत्र में 60 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं। देश में 1,800 से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र हैं, जिनमें 500 से अधिक एआई पर केंद्रित हैं। भारत में लगभग 1.8 लाख स्टार्टअप हैं, और पिछले वर्ष शुरू किए गए नए स्टार्टअप में से लगभग 89 फीसदी ने अपने उत्पादों या सेवाओं में एआई का उपयोग किया है। एआई अपनाने वाले अग्रणी क्षेत्रों में औद्योगिक और ऑटोमोटिव, उपभोक्ता वस्तुएं और खुदरा क्षेत्र, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं तथा बीमा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र शामिल हैं। ये एआई के कुल मूल्य में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
आज एआई को लेकर निवेश की वैश्विक होड़ लगी हुई है। हाल ही में 14 अक्तूबर को दुनिया की प्रमुख डिजिटल कंपनी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने विशाखापट्टनम में एक बड़ा डेटा सेंटर और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) हब बनाने का ऐलान करते हुए कहा कि उनकी कंपनी अगले पांच साल में यानी 2030 तक भारत में 15 अरब डॉलर का निवेश करेगी। यह भारत में गूगल का अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। निस्संदेह, यह एआई हब भारत के डिजिटल भविष्य में एक माइलस्टोन है। वस्तुतः इस एआई हब से न केवल करीब दो लाख नए रोजगार मौके तैयार होंगे, बल्कि यह टेक इनोवेशन को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।
एआई स्किल्स से प्रशिक्षित भारतीय युवाओं के लिए विदशों में भी मौके बढ़ रहे हैं। दुनिया की जनसांख्यिकी भारत के पक्ष में खड़ी है। कई देशों में जन्म दर गिर चुकी है और वृद्ध जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट ने अनुमान लगाया कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर 4.5 से 5 करोड़ श्रमिकों की कमी हो जाएगी। ऐसे में ‘ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्राम इंडिया फाउंडेशन’ का मानना है कि भारत को केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी उच्च कौशल से प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करना होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार अब बड़े पैमाने पर श्रम बल को विदेशों में रोजगार दिलाने की दिशा में कदम उठा रही है। पिछले छह वर्षों में भारत 20 से अधिक देशों के साथ लेबर-मोबिलिटी समझौते कर चुका है। इनमें यूरोप, एशिया और खाड़ी के विकसित देश भी हैं। भारतीय श्रमबल को वैध रास्ते से विदेशों में भेजा जा सके और उनकी सुरक्षित वापसी और पुनर्वास भी सुनिश्चित हो सके। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत के विदेश मंत्रालय ने नौ अक्तूबर को ओवरसीज मोबिलिटी बिल 2025 का मसौदा जारी किया है, ऐसे श्रम निर्यात माडल से भारत के एआई स्किल्स से दक्ष लाखों युवाओं को विदेशों में अच्छे रोजगार के मौके प्राप्त होंगे।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।

