आलोक पुराणिक
बजट को बनाने वाले आम तौर पर कुछ वर्गों की तरफ देखते ही नहीं हैं। बजट से पहले मदिरा प्रेमी एसोसिएशन के अध्यक्ष बेस्टो मुखर्जी द्वारा वित्त मंत्रालय को दिया गया मांग-पत्र :-
आप देखिये कि शराबियों की वजह से कितनी सरकारों का खजाना भरा रहता है। देश की राजधानी दिल्ली में शराब से दस हजार करोड़ रुपये की इनकम का अंदाजा है। आप खुद देखिये, सरकार ने कोरोना में न स्कूल खोले, न कालेज- सबसे पहले क्या खुलीं शराब की दुकान। आप देखिये, शराबी कितने कष्ट झेलकर भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं, घरवालों की गालियां सुनते हैं फिर देश की अर्थव्यवस्था के प्रति इनकी प्रतिबद्धता देखिये, फिर लाइन में लग जाते हैं। शराबी से ज्यादा बेहतर कस्टमर अर्थव्यवस्था में कौन हो सकता है, धूप में, लू में लाइन में लगता है। शराबी जैसा कस्टमर कभी भी महंगाई की शिकायत नहीं करता।
देखिये, तमाम आइटमों के दुकानदार अपने ग्राहकों को दुकान के अंदर बुलाकर इज्जत से बैठाते हैं पर शराब का दुकानदार तो दुकान के बाहर इतना बड़ा जाल लगवाते हैं कि शराबी दुकान से दूर रहे। फिर भी शराबी डटा रहता है। मेरी मांग है कि पांच लाख रुपये तक की शराब की खरीद को इनकम में से घटा दिया जाये, जैसे अगर किसी बंदे की आय दस लाख रुपये महीने की है और पांच लाख रुपये की शराब खरीदी है उसने, तो फिर दस लाख में पांच लाख घटाकर पांच लाख पर ही आयकर लगे। और दस लाख रुपये से अधिक की शराब खऱीदने वाले को कोरोना वाॅरियर घोषित किया जाये। कम से कम यह तो हो कि शराब पर खर्च की गयी सारी रकम पर सेक्शन अस्सी सी के तहत कर छूट दी जाये।
काश! यह भी हो बजट स्पीच में :-
हम जल्दी ही दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान से पकड़कर लायेंगे और उसका नाम बदलकर दाऊदयाल कर देंगे और नाम बदलने की फीस लेंगे। नाम बदलना बहुत कमाई वाला काम होगा। हम इतने नाम बदल देंगे कि उसकी फीस से ही खजाना भर जायेगा। हम यहीं से कराची का नाम बदलकर कल्पनापुर कर देंगे और लाहौर का नाम लौहगढ़ कर देंगे। और इतना ही नहीं, ये क्या सब कोरोना वायरसों के नाम अंग्रेजी टाइप चल रहे हैं, ओमीक्रोन वायरस का नाम ओमपाल और डेल्टा वायरस का नाम धर्मपाल कर देंगे, इसका फायदा यह होगा कि हम दिन में कई बार ओम और धर्म का नाम ले सकेंगे। जो डाक्टर फिर भी इन्हें ओमीक्रोन या डेल्टा वायरस कहेंगे, उन्हें एक तय फीस चुकानी होगी। आप समझ लीजिये कि नाम बदलकर हम कितना कमा सकते हैं। नागिन कर भी हम लगायेंगे, नागिनों की बहुत लोकप्रियता हो गयी है। टीवी सीरियलों पर कई नागिनें इंसानों से भी ज्यादा कमा रही हैं। नागिनों पर कर लगाकर हम खजाना भर सकते हैं।
बजट प्रस्ताव करता है कि नागिन वाला सीरियल देखने वाले को नागिन टैक्स देना होगा।