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लोकतंत्र के खेल में कांजी हाउस विहार

तिरछी नज़र

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विनय कुमार पाठक

हीरा, मोती, बादल, चेतक, सभी का हैदराबाद के फाइव स्टार कांजी हाउस में स्वागत है। इस कांजी हाउस में बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं जिसके प्रभाव से मस्तिष्क में दल-विरोधी विचार नहीं आते। यह सुविधा देश के सभी भाग के जीवों के लिए उपलब्ध है। बिहार हो, झारखंड हो या फिर और कोई क्षेत्र, सभी का यहां दिल खोलकर स्वागत किया जाता है। सभी दल यह सुविधा अपने सदस्यों के लिए समय-समय पर उपलब्ध करवाते रहते हैं। न सिर्फ यहां विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं बल्कि आने-जाने के लिए लक्जरी डीलक्स बस और चार्टर्ड प्लेन की भी सुविधा है।

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कोई जरूरी नहीं कि यह सुविधा सिर्फ हैदराबाद कांजीहाउस में ही हो। स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए देश के अन्य भागों में भी यह सुविधा उपलबद्ध है। उदाहरण के लिए हम गुवाहाटी या गोवा को ले सकते हैं। रणनीति विशेषज्ञ बताते हैं कि यह सुविधा मुख्य रणस्थल से दूर होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि रणस्थल महाराष्ट्र है तो यह सुविधा असम में होना उचित होता है। बिहार, झारखंड जैसे स्थानों के लिए हैदराबाद बेहतर स्थान हो सकता है। यह कांजीहाउस चाहे जहां भी हों, इन सभी जगहों पर मन बहलाने के लिए इतने साधन उपलब्ध करवाए गए हैं कि कोई भी व्यक्ति मन तड़पत हरि दर्शन को आज के चक्कर में न रहे और अपने भाई-बंधु के साथ सौहार्दपूर्वक समय व्यतीत करे।

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अपने क्षेत्र में रहने से जीवों के विचार भटकने का खतरा रहता है। मन का क्या है भटकता रहता है। और मन के खुद भटकने से ज्यादा दूसरों द्वारा भटकाने का खतरा बना रहता है। खाली दिमाग वैसे भी शैतान का घर होता है। कब आकर कौन शैतान खाली दिमाग में घर बसा ले- कहा नहीं जा सकता। अतः कांजी हाउस में यहां आने वाले सभी सम्माननीय अतिथियों की सभी इंद्रियों के लिए ऐसी सुविधा दी जाती है कि वे दिमाग को खाली न रहने दें।

प्रायः कांजी हाउस में तो किसी बहादुरी भरे कारनामे के लिए ही स्थान उपलब्ध होता है। तो इसका उत्तर यह है कि कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि माननीयों द्वारा बहादुरी भरे कारनामें करने का अंदेशा रहता है। इन संभावित बहादुरी भरे कारनामे के कारण सिंहासन के दोलायमान होने की आशंका बनी रहती है। तो इस प्रकार का कोई कारनामा किसी भी माननीय द्वारा न हो, इसी कारण से कांजी हाउस में ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इंद्र का दरबार भी शरमा जाए।

साथ ही टीम स्पिरिट का भी ख्याल रखा जाता है। जिस प्रकार किसी टीम के सदस्यों के एक साथ आने-जाने की व्यवस्था होती है उसी प्रकार इन माननीयों को भी बिलकुल ‘हम साथ-साथ हैं’ की भावना के साथ, साथ-साथ रखा आता है। साथ-साथ टीवी, न्यूज़ चैनल को हाथ हिलाते, कभी ‘वी’ का इशारा करते या बड़े अच्छे लगते हैं- धरती, रैना, नदिया आदि की तरह।

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