अरुण नैथानी
कहते हैं प्रतिभा व मेहनत के बावजूद शिखर की सफलता तब ही हासिल होती है जब देशकाल-परिस्थितियां भी अनुकूल हों। वहीं किसी की चूक दूसरे के लिये कामयाबी की राह भी बन जाती है। इसका जीवंत उदाहरण हाल ही में संपन्न आस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में राफेल नडाल की जीत है। दुनिया के छह नंबर की वरीयता प्राप्त राफेल नडाल ने यह कामयाबी रूस के डेनियल मेदवेदेव को हराकर हासिल की, जो विश्व वरीयता में नंबर दो का स्थान रखते थे। नडाल का कमाल यह भी कि वह शुरुआती दो सेटों में पिछड़ने के बाद न केवल खेल में वापस आये, बल्कि पांच घंटे चौबीस मिनट चले पांच सेटों के मुकाबले में आस्ट्रेलियाई ओपन का खिताब भी जीतने में कामयाब हुए। यह राफेल की किस्मत थी कि कोरोना वैक्सीन न लगवाने वाले सर्बिया के नोवाक जोकोविच को लंबे विवाद और आस्ट्रेलिया में कोर्ट-कचहरी के बाद टूर्नामेंट से बैरंग लौटना पड़ा।
दरअसल, जोकोविच की व्यक्तिगत धारणा रही कि जरूरी नहीं है कि कोरोना वैक्सीन लगायी जाये। आस्ट्रेलिया की प्रांतीय सरकार के आयोजकों ने विशेष परिस्थितियों में जोकोविच को टूर्नामेट में खेलने की अनुमति दे दी। लेकिन फिर आस्ट्रेलिया की केंद्रीय सरकार इस मुद्दे पर मुखर हो गई। एक बार आस्ट्रेलिया की कोर्ट ने जोकोविच के पक्ष में फैसला दिया भी, लेकिन आस्ट्रेलिया की केंद्रीय सरकार इस मुद्दे पर अड़ गई। उसे लगा कि देश में जारी कोरोना महामारी के खिलाफ जारी सख्त मुहिम को लेकर गलत संदेश जायेगा। फिर जोकोविच को उलटे पैर सर्बिया लौटना पड़ा। दरअसल, जोकोविच आस्ट्रेलिया ओपन के प्रबल दावेदार थे और पिछले टूर्नामेंट समेत लगातार नौ बार उन्होंने यह खिताब जीता था। वहीं दूसरी ओर नडाल का इस टूर्नामेंट में खेलना संदिग्ध था। वे चोट से गुजर रहे थे और वर्ष 2021 के दूसरे भाग में वे अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले खेल ही नहीं पाये।
दरअसल, नडाल ने हाल ही में आशंका जतायी थी कि पैर की गंभीर चोट के कारण वे शायद दोबारा वापसी न कर सकें। लेकिन दृढ़ संकल्प के चलते ही उन्होंने कुछ ही महीनों में यह उपलब्धि हासिल कर ली। जब उन्होंने आस्ट्रेलियन ओपन की ट्रॉफी हाथ में ली तो इस बात को दोहराया ‘मेरे लिये यह अद्भुत क्षण है। ईमानदारी से कहूं तो डेढ़ महीने पहले तक मुझे यह भरोसा नहीं था कि मैं वापस लौटूंगा या नहीं। टेनिस दोबारा खेल पाऊंगा या नहीं। आज इस ट्रॉफी के साथ खड़ा हूं तो आपके समर्थन का आभार।’
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि 21वां ग्रैंड स्लैम जीतकर वे दुनिया के ऐसे पहले खिलाड़ी बन गये हैं, जिसने यह उपलब्धि हासिल की है। दरअसल, इस टूर्नामेंट से पहले तक टेनिस की त्रिमूर्ति कहे जाने वाले नडाल, रोजर फेडरर और जोकोविच के बीस-बीस ग्रैंड स्लैम थे। जोकोविच की किस्मत ने साथ नहीं दिया अन्यथा वे इस टूर्नामेंट को जीतने के साथ इस विश्व रिकॉर्ड को भी हासिल कर सकते थे। लेकिन अब हकीकत यह है कि नडाल इस रिकॉर्ड में नंबर वन हैं।
दरअसल, दुनिया के पूर्व एक नंबर खिलाड़ी रहे राफेल नडाल ने जीवट का खेल दिखाते हुए शुरुआती दो सेटों को हारने के बाद यह अप्रत्याशित कामयाबी हासिल की। स्पेन के 35 वर्षीय नडाल ने खेल में अपना पूरा दमखम दिखाया। वह बात अलग है कि चैंपियनशिप जीतने के करीब पहुंचे नडाल की सर्विस मेदवेदेव ने तोड़ दी थी, लेकिन तब तक नडाल बढ़त ले चुके थे। नडाल के नाम इस टूर्नामेंट के बाद कई रिकॉर्ड दर्ज हो गये। नडाल इसके साथ ही चारों ग्रैंड स्लैम खिताब कम से कम दो बार जीतने वाले टेनिस के इतिहास के चौथे पुरुष खिलाड़ी बन गये। नडाल ने आस्ट्रेलियन ओपन का पहला खिताब 2009 में जीता था, दूसरा खिताब जीतने के लिये उन्हें तेरह साल इंतजार करना पड़ा। नडाल ने 29 मेजर फाइनल में यह 21वीं जीत दर्ज की। नडाल की यह सफलता इसलिये भी खास है कि वे वर्ष 2021 के दूसरे हॉफ में सिर्फ दो मैच खेलकर आस्ट्रेलिया पहुंचे। पैर की पुरानी चोट के कारण वे ज्यादातर समय खेल नहीं पाये। चोट भी ऐसी जिसका उपचार तो संभव है लेकिन वह पूरी तरह ठीक नहीं होगी। इतना ही नहीं, वे पिछले दिनों कोविड-19 की चपेट में आये थे। इसके बावजूद उन्होंने अपने खेल करिअर में चौथी बार दो सेटों में पिछड़ने के बाद बेस्ट ऑफ फाइव सेट में यह मुकाबला जीता। यह कामयाबी इतनी बड़ी थी कि महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को कहना पड़ा, ‘यह बिल्कुल शानदार है। कम से कम इसे आश्चर्यजनक तो कह सकते हैं कि दो सेट से पिछड़ने के बाद वापसी करना और अपना 21वां ग्रैंड स्लैम जीतना अविश्वसनीय है।’
बहरहाल, यह तय हो गया कि नडाल ग्रैंड स्लैम के 145 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा पुरुष एकल खिताब जीतने वाले खिलाड़ी बन गये। अपना बीसवां खिताब उन्होंने दो साल पहले नोवाक जोकोविच को हराकर फ्रेंच ओपन के रूप में जीता था। नडाल 29 ग्रैंडस्लैम के फाइनल खेल चुके हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 13 फाइनल मुकाबले फ्रैंच ओपन के हैं और सभी जीते हैं। वे दो बार यूएस ओपन व चार बार विम्बलडन जीत चुके हैं। नडाल के नाम लगातार 852 हफ्ते तक टॉप-10 में बने रहने का रिकॉर्ड भी है। इस लंबी रेस के खिलाड़ी से ज्यादा बार कोई अन्य खिलाड़ी ऐसा नहीं कर पाया। तभी स्पेन के इस खिलाड़ी को टेनिस का बेताज बादशाह कहा जाता रहा है, लेकिन अब उनके सिर पर दुनिया के सबसे ज्यादा ग्रैंडस्लैम जीतने का ताज है।