मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

प्रेरणास्रोत सहोदरा बाई राय

ब्लॉग चर्चा
Advertisement

बुंदेलखंड के सागर जिले के एक छोटे से गांव कर्रापुर की एक महिला ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में न केवल अपना उल्लेखनीय योगदान दिया, बल्कि देश के आजाद होने के बाद सागर की प्रथम निर्वाचित सांसद बनकर सागर के स्त्री समाज को गौरवान्वित किया। अंग्रेज सरकार बुंदेलखंड के लोगों के दुस्साहस से इतनी घबराई रहती थी कि उन्होंने दमनकारी नीति अपनाते हुए इस क्षेत्र को शिक्षा और विकास में पीछे रखा। उन्हें लगता था कि बुंदेलखंड की आम जनता आर्थिक विपन्नता के चलते टूट जाएगी और हार मान लेगी।

उस वक्त बुंदेलखंड में भी देश के अन्य भागों की भांति स्वतंत्रता आंदोलन जोर पकड़ता गया। वहां की साहसिक महिला सहोदरा बाई राय भी आंदोलन में कूदीं। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1919 को दमोह जिले के एक छोटे से गांव बोतराई में हुआ था। उन्होंने अपनी सहेलियों को एकत्र कर एक सेना बनाई थी, जिसका नाम था- ‘सहोदरा सेना।’ मात्र 15 वर्ष की आयु में सहोदरा बाई का विवाह मुरलीधर के साथ कर दिया गया। दुर्भाग्यवश किसी अज्ञात बीमारी के कारण मुरलीधर राय का निधन हो गया। वह ससुराल छोड़ कर दमोह के खेरी ग्राम से सागर के कर्रापुर में अपनी बड़ी बहन के पास आकर रहने लगी। वहां श्रमिकों के साथ काम में जुट गयीं।

Advertisement

सहोदरा बाई महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थीं। सन‍् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन की लहर बुंदेलखंड में भी गहराने लगी। धरना, प्रदर्शन, विरोध आदि किए जाने लगे। सहोदरा बाई को 6 माह के कारावास की सजा दी गई। सन‍् 1945 में उन्होंने गांधी जी के साथ नौआखाली के दंगापीड़ित क्षेत्रों का दौरा किया और वहीं राहत-कार्य संभाला। वहीं सहोदरा बाई को गोआ मुक्ति संघर्ष के बारे में पता चला था। देश की आजादी के बाद भी गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार था। उसी दौरान वहां महिलाओं की एक आमसभा में पुलिस ने गोलियां चलाते हुए तिरंगे को गिराने का प्रयास किया। तब सहोदरा बाई ने आगे बढ़कर तिरंगे को थाम लिया। वह पुलिस की गोलियों से घायल हो गईं, लेकिन उन्होंने तिरंगे को गिरने नहीं दिया। सहोदरा बाई को क्रांतिकारी सुरक्षित स्थान पर ले गए और इलाज कराया। वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में वह सांसद बनीं। सहोदरा बाई ने कर्रापुर में अपनी जमीन अस्पताल के लिए दान की थी। इस जमीन पर उनके नाम से अब भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। सहोदरा बाई का निधन 26 मार्च, 1981 को हुआ।

साभार : शरअक्षरा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

Advertisement
Show comments