भूटान की पॉवर ग्रिड में भारतीय निजी क्षेत्र की बढ़त
भूटान स्वच्छ ऊर्जा के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जिसमें अडानी, रिलायंस और टाटा ने बड़े पैमाने पर जलविद्युत और सौर परियोजनाएं विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है। भूटान गए पीएम मोदी को बोलना ही पड़ा कि...
भूटान स्वच्छ ऊर्जा के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जिसमें अडानी, रिलायंस और टाटा ने बड़े पैमाने पर जलविद्युत और सौर परियोजनाएं विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
भूटान गए पीएम मोदी को बोलना ही पड़ा कि दरियागंज लालबत्ती विस्फोट में शामिल दहशतगर्दों को हम बख्शेंगे नहीं। भूटान 4 से 17 नवंबर, 2025 तक ‘वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव’ की मेजबानी कर रहा है। इसमें दुनियाभर के बौद्ध नेता, शांति समर्थकों की शिरकत हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी एक पंथ दो नहीं, तीन काज के वास्ते थिम्पू गए थे। पहला, थिम्पू में चल रहे वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव में भागीदारी। दूसरा, भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती पर शुभकामना देना। और तीसरा, 1020 मेगावाट पुनात्सांगछू-II जल-विद्युत परियोजना का उद्घाटन।
हिमालय के ग्लेशियरों से निकली फोछू और मोछू नदियों की धारा से निर्मित पुनात्सांगछू नदी, दक्षिण की ओर बहकर पश्चिम बंगाल के मैदानों में प्रवेश करती है, और अंततः ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है। अगस्त, 2025 में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड ने पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना की दो इकाइयों को चालू कर दिया था। लेकिन, इसका उद्घाटन कार्यक्रम बाक़ी था। पीएम मोदी ने कहा कि इससे भूटान के जलविद्युत उत्पादन में 40 प्रतिशत की वृद्धि होगी, और भारत को इससे बिजली का निर्यात होगा।
पश्चिमी भूटान के वांगडू फोडरंग जिले के पुनात्सांगछू जलविद्युत परियोजना के लिए जुलाई, 2006 में समझौता हुआ था। यह परियोजना दो चरणों में विकसित की गई। यह दिलचस्प है, कि पुनात्सांगछू-I जलविद्युत परियोजना अभी पूरी नहीं हुई। भूवैज्ञानिक समस्याओं के कारण इसमें काफी देरी हुई है। इस परियोजना को 2013 और 2019 में ढलानों में आई खराबी के कारण भारी नुकसान हुआ था। 31 मार्च, 2025 को पुनात्सांगछू-I हाइड्रो प्रोजेक्ट का अपडेट था, कि इसका 87.75 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन इसके चालू होने की कोई निश्चित तिथि तय नहीं है।
पीएम मोदी की इस यात्रा में भारत और भूटान ने 7 समझौते किए, जिसमें 4000 करोड़ रुपये का ऊर्जा ऋण, 1020 मेगावाट की पनबिजली परियोजना का उद्घाटन और 89 किमी लंबी दो नई रेल लिंक परियोजनाओं की मंजूरी शामिल है। 4000 करोड़ रुपये का ऊर्जा ऋण क्या भावी परियोजनाओं पर खर्च होंगे? भूटान स्वच्छ ऊर्जा के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जिसमें अडानी, रिलायंस और टाटा ने बड़े पैमाने पर जलविद्युत और सौर परियोजनाएं विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
भूटान, वर्ष 2030 के दशक की शुरुआत तक 1.9 गीगावाट से अधिक बिजली उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार है। उसकी ऊर्जा महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए भारत के तीन प्राइवेट प्लेयर्स ने लीड लेनी शुरू की है। अडानी का 570 मेगावाट का वांगछू प्रोजेक्ट, टाटा का 600 मेगावाट का खोलोंगछू और रिलायंस का 500 मेगावाट का सौर ऊर्जा फार्म शामिल है। सितंबर, 2025 में, ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (डीजीपीसी) और अडानी पावर ने 570 मेगावाट वांगछू जलविद्युत परियोजना के लिए शेयरधारक समझौते और रियायत पर हस्ताक्षर किए। यह उनकी व्यापक 5 गीगावाट साझेदारी के तहत पहली बड़ी परियोजना है। वांगछू प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य 2026 में शुरू होने की उम्मीद है, जिसकी विकास अवधि पांच वर्ष होगी, जिससे लगभग 2031 तक पहली बिजली इकाई उत्पादन कर सकेगी। यह परियोजना नए द्विपक्षीय निवेश ढांचे के तहत किसी निजी भारतीय समूह के साथ भूटान का पहला मेगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट होगा, जिसे डीजीपीसी के माध्यम से भूटानी नियंत्रण बनाए रखते हुए विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रिलायंस पावर, ड्रुक होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट्स की सहायक कंपनी ग्रीन डिजिटल के साथ मई, 2025 के अपने संयुक्त उद्यम के तहत, पश्चिमी और मध्य भूटान में अब तक के सबसे बड़े सौर निवेश करने जा रही है। 500 मेगावाट के सौर फार्म डेवलप करने के वास्ते अनिल अम्बानी के रिलायंस पावर ने एक दीर्घकालिक विद्युत क्रय समझौते (पीपीए) के लिए एक वाणिज्यिक टर्म शीट पर हस्ताक्षर किए हैं, और ईपीसी निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है।
रिलायंस पावर 2026 के अंत तक बिजली उत्पादन शुरू कर देगा और 2027 के मध्य तक 500 मेगावाट पूरी क्षमता से चालू हो जाएगी। यह परियोजना भूटान में जलविद्युत के अलावा पहली बार बड़े पैमाने अक्षय ऊर्जा के संतुलन की रणनीति को दर्शाता है। इस लक्ष्य के लिए डीएचआई के साथ रिलायंस पावर के अक्तूबर, 2024 के रणनीतिक समझौते में, मध्य भूटान में 770 मेगावाट की चमखरछु-I रन-ऑफ-रिवर परियोजना भी शामिल है। चमखरछु-I परियोजना भारत को भूटान के जलविद्युत निर्यात को बूस्टर डोज़ देगी, और संभवतः 2030 के दशक की शुरुआत तक भारत को अपनी पहली बिजली आपूर्ति शुरू कर देगी।
टाटा पावर ने भूटान में अपनी उपस्थिति भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान के सहयोग से मजबूत की, जिसका समापन जुलाई, 2025 में हुआ, जब उसने खोलोंगछू हाइड्रो पावर लिमिटेड (केएचपीएल) में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल की। त्राशियांगत्से में स्थित यह परियोजना, डीजीपीसी के साथ संयुक्त रूप से विकसित भूटान के सबसे तकनीकी रूप से जटिल उपक्रमों में से एक है। इसके वित्तपोषण के लिए, केएचपीएल ने एक ऋण प्राप्त किया। वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में भारत के पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 48 बिलियन (लगभग 580 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का सावधि ऋण प्राप्त होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्माण पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ आगे बढ़ सके। अनुमानित पांच वर्षों के निर्माण के साथ, 600 मेगावाट की यह परियोजना 2030-2031 के आसपास चालू होने वाली है।
जून, 2025 में जारी राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के अनुसार, भूटान का लक्ष्य 2040 तक अपनी कुल स्थापित क्षमता को 25 गीगावाट तक बढ़ाना है। भूटान का लक्ष्य 20 गीगावाट हाइड्रो से, और 5 गीगावाट सौर एवं पवन ऊर्जा से विद्युत का दोहन करना है। यह रणनीति भूटान की घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ विद्युत निर्यात को आगे बढ़ाने देने पर केंद्रित है, ताकि साल भर ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। निजी भागीदारी के साथ, भूटान का नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो, अगले दशक में अपनी वर्तमान स्थापित क्षमता 2.3 गीगावाट से दोगुने से अधिक होने की राह पर है।
अगले दो वर्षों में भूटान के पावर ग्रिड में विविधता लाने में सौर ऊर्जा अग्रणी भूमिका निभाएगी। लेकिन, जलविद्युत का दीर्घकालिक विस्तार थमेगा नहीं। रिलायंस के साथ 500 मेगावाट की सौर ऊर्जा साझेदारी सर्दियों में गर्मी का अहसास दिलाएगी, और रोज़गार सृजन का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके साथ अडानी और टाटा की जलविद्युत परियोजनाएं 2030 के दशक में भूटान के निर्यात राजस्व को मज़बूत करेंगी, जिससे हिमालय में कार्बन-मुक्त नवीकरणीय ऊर्जा केंद्र बनने के भूटान के व्यापक लक्ष्य को बल मिलेगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है, कि भारत की ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं के विस्तार में चीन आड़े नहीं आ रहा!
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

