हादसों की बढ़ती शृंखला और सुरक्षा की चूक
अहमदाबाद दुर्घटना ने बोइंग विमानों की सुरक्षा पर फिर जबरदस्त चिंताएं बढ़ा दीं। पहले ही गुणवत्ता नियंत्रण, डिजाइन की मजबूती, सुरक्षा मानकों और नियामक निगरानी पर सवाल कम नहीं हैं।
ऋतुपर्ण दवे
बारह जून, 2025 दुनिया कोे इतिहास में काले दिन के रूप में याद रखा जाएगा। फिर 15 जून की उत्तराखंड में आर्यन एविएशन प्रा. लि. के एक हेलीकॉप्टर क्रैश ने सवालों को और बड़ा कर दिया। शाम ढलने से पहले पुणे में बंद, जर्जर पुल तेज पानी के बहाव में उस पर खड़े बाढ़ का आनंद लेते लोगों का वजन नहीं सह पाया और ढह गया। इन हादसों ने सुरक्षा पर कई सवालिया निशान लगा दिए हैं।
फ्लाइट एआई‑171 के बोइंग की खूबियों के साथ खामियां पता थीं। इसकी तमाम सीरीज भी सुरक्षा पर घिरती रही। बोइंग पर सवार हजारों नॉटिकल मील के सफर पर निकले लोग, एक हथेली की पांच उंगलियों जितने मील भी नहीं उड़ पाए।
पिछले साल अमेरिकी सीनेट ने बोइंग के पूर्व सीईओ डेव कॉलहम को सुरक्षा को लेकर कड़ी पूछताछ के लिए तलब किया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नए सीईओ केली ऑर्टबर्ग ने अगस्त 2024 में पद संभाला, लेकिन सुरक्षा चुनौतियां कम नहीं हुईं। जून, 2025 में ड्रीमलाइनर हादसे ने बोइंग पर फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए, जबकि पहले से ही सुरक्षा उल्लंघन और निरीक्षण में बाधा जैसे आरोप कंपनी पर लगे हुए थे।
आखिर बोइंग में ऐसी कौन-सी खराबी है जो दुर्घटनाएं थम नहीं रहीं? दुनिया में इसके पांच सबसे बड़े हादसों ने भरोसे को तोड़ा है। 1977 में टेनेरिफ हादसा हुआ। 2018 में लॉयन एयर फ्लाइट का बोइंग 737 मैक्स क्रैश से 189 मौतें हुईं। जबकि 2019 में इथियोपियन एयरलाइंस के बोइंग 737 मैक्स में 157 और 2024 में जेजू एयर फ्लाइट के बोइंग 737-800 क्रैश में 179 लोगों की जान चली गई।
चिंताजनक यह है कि नई पीढ़ी के विमान मॉडल भी सुरक्षा को लेकर सवालों के घेरे में आ गए हैं। बोइंग 737 सीरीज़ के 800 वैरिएंट ने पहली बार 1997 में उड़ान भरी और यह दुनिया के सबसे ज़्यादा बिकने वाले तथा भरोसेमंद विमानों में गिना जाने लगा। इसकी शुरुआती यात्री क्षमता 189 थी। इसके बाद आए उन्नत संस्करण ‘बोइंग 737 मैक्स’ को बड़े इंजन, उन्नत मशीनरी और आधुनिक सॉफ्टवेयर से लैस किया गया था। लेकिन डिजाइन संबंधी खामियों के चलते 2018 और 2019 में इसके दो विमानों की दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें कुल 346 लोगों की जान चली गई।
नए और उन्नत मॉडलों के बावजूद बोइंग पर लगातार सवाल उठते रहे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इंजीनियर सैम सालेहपुर के हवाले से बताया कि 787 ड्रीमलाइनर और 777 विमानों में खामियां हैं, जो शॉर्टकट्स की वजह से आई हैं और इससे बड़े हादसे हो सकते हैं। सैम ने कहा मकसद बोइंग को बदनाम करना नहीं, हादसों को रोकना है। उनकी चिंताओं को अनदेखा नहीं किया गया और 2021 में एफएए ने ड्रीमलाइनर की डिलीवरी रोक दी। बाद में बोइंग ने दुरुस्तियां कर डिलीवरी शुरू की, लेकिन कंपनी का दावा सुरक्षित होने का खोखला साबित हुआ। इसके चलते 737 मैक्स बेड़े की उड़ानों पर रोक लग गई। भारत के डीजीसीए ने भी 2019 से 2021 तक बोइंग 737 मैक्स विमानों को प्रतिबंधित रखा और 2024 में इमरजेंसी एग्जिट जांच के आदेश दिए। अमेरिका में भी 737 मैक्स 9 विमानों की उड़ानें रोक दी गईं।
अहमदाबाद दुर्घटना ने बोइंग विमानों की सुरक्षा पर फिर जबरदस्त चिंताएं बढ़ा दीं। पहले ही गुणवत्ता नियंत्रण, डिजाइन की मजबूती, सुरक्षा मानकों और नियामक निगरानी पर सवाल कम नहीं हैं। वहीं, 2009 में पहले क्रैश के बाद से 100 से अधिक घटनाएं हुईं। साल की शुरुआत में ही वाशिंगटन जा रहे बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को आइवरी कोस्ट पर उड़ते वक्त इमरजेंसी के चलते लागोस में लैंडिंग करानी पड़ी, सितंबर 2024 में, दिल्ली से बर्मिंघम जा रहे बोइंग 787-800 विमान की इमरजेंसी में मॉस्को में लैंडिंग कराई गई। 11 मार्च 2024 को 50 यात्रियों को लेकर सिडनी से ऑकलैंड जाते समय बोइंग ड्रीमलाइनर में अचानक हलचल हुई। यात्री छत से टकराए और कई घायल हो गए।
2021 से 2023 के बीच, फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफएए ने बोइंग ड्रीमलाइनर विमानों की डिलीवरी रोक दी ताकि सुरक्षा मानकों की जांच हो सके। उसके बाद बोइंग ने निर्माण प्रक्रिया में बदलाव कर डिलीवरी शुरू की। कंपनी ने कहा कि अब उसके विमान उड़ान के लिए सुरक्षित हैं। इस बीच फिटनेस और बाकी औपचारिकताओं को पूरा करने की कागजी कवायद में कोई कमी नहीं आई कि अहमदाबाद में इसी 12 जून को बोइंग 787 ड्रीमलाइनर क्रैश अब तक का तीसरा सबसे बड़ा हादसा बनकर सामने आया।
787 ड्रीमलाइनर साल 2011 में पहली बार सेवा में आया जिसने पिछले 14 साल तक बिना किसी घातक हादसे के 10 बिलियन से ज्यादा यात्रियों को ढोया। अहमदाबाद प्लेन क्रैश से पहले इसके नाम कोई मौत दर्ज नहीं थी। लेकिन अहमदाबाद प्लेन क्रैश बोइंग का तीसरा सबसे बड़ा हादसा बन गया। बड़ा सवाल यह भी कि 108 साल पुरानी कंपनी, अनगिनत क्रैश और हजारों मौतों का कलंक क्या धुलेगा?
सवाल उत्तराखंड की हेलीकॉप्टर सेवा पर भी है। अभी इस चारधाम यात्रा को 5 हेलीकॉप्टर हादसों ने हिला दिया। हर बार खराब मौसम की वजह सामने आती है, जबकि लापरवाही की चर्चाएं मोटी कमाई, ज्यादा चक्कर, ओवरलोडिंग जैसे आरोपों से कंपनी घिरी है। 14 सालों में 13 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं और 41 मौतें उन्नत तकनीक के दौर में बेहद दुखदायी हैं। ठीक वैसे ही जैसे पुणे का बंद हो चुका जर्जर पुल खुद के ढहाने का सरकारी इंतजार करता रहा। लेकिन एक सैलाब ने वो कर दिया जो वहां की सरकार नहीं कर पाई। इससे असमय 4 मौतें, 15-20 घायल हुए और ढेरों सवाल खड़े हो गए।