भारत सामुद्रिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। अपने देश में ही युद्धपोतों, पनडुब्बियों एवं एंटीशिप मिसाइलों का निर्माण और सफलतापूर्वक परीक्षण इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई के मझगांव डॉक में दो स्वदेशी युद्धपोतों सूरत और उदयगिरि का जलावतरण किया। इस अवसर पर उनके साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार मौजूद थे।
इस सफलता से भारतीय नौसेना के आयुध भंडार की ताकत बढ़ेगी। ये युद्धपोत दुनिया के तकनीकी रूप से सबसे उन्नत मिसाइल वाहक साबित होंगे। इस उपलब्धि से भारत आने वाले समय में न केवल अपनी जरूरतें पूरी करेगा बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों की युद्धपोत निर्माण की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इससे मेक इन इंडिया तथा मेक फॉर द वर्ल्ड की परिकल्पना भी साकार होगी। इस सफलता से यह भी सुनिश्चित हो गया है कि अब भारत की पहुंच हिन्द महासागर से प्रशान्त महासागर और अटलांटिक महासागर तक हो जाएगी। इसके अलावा नौसेना की पुराने पोतों पर निर्भरता कम हो जाएगी।
नि:संदेह युद्धपोतों के निर्माण की प्रक्रिया अत्यन्त कठिन होती है तथा इसमें बड़े पैमाने पर तकनीक व कौशल का समावेश होता है। अब जिस गति से युद्धपोत बनाए जा रहे हैं उससे यह स्पष्ट है कि भारत का युद्धपोत निर्माण कार्यक्रम अपनी सक्षमता को प्राप्त कर चुका है। इस क्षमता के कारण ही विगत तीन वर्षों में देश में बने तीन युद्धपोतों को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा चुका है। पिछले पांच वर्षों में नौसेना के आधुनिकीकरण के बजट का दो-तिहाई से अधिक का हिस्सा स्थानीय आपूर्ति पर खर्च हुआ है। वर्ष 2014 में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत नौसेना ने ज्यादातर ठेके भारतीयों को ही दिए थे। तब से अब तक नौसेना की जरूरतों का 90 प्रतिशत सैन्य साजो-सामान स्वदेशी निर्माता ही उपलब्ध करवा रहे हैं। नौसेना ने अपनी जरूरत के लिए जिन 41 युद्धपोतों व पनडुब्बियों का ऑर्डर दिया है उनमें से 39 का निर्माण भारत में ही हो रहा है।
ये दोनों युद्धपोत मेक इन इंडिया के तहत भारत में निर्मित किए गए हैं। मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने कहा कि इतिहास में पहली बार स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों को एक साथ लॉन्च किया गया है। इन दोनों युद्धपोतों को नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा इन हाउस डिजाइन किया गया है और एमडीएल मुम्बई द्वारा बनाया गया है। विदित हो कि युद्धपोत सूरत प्रोजेक्ट 15बी कार्यक्रम के तहत बनाया जाने वाला चौथा विध्वंसक पोत है, जिसमें राडार को चकमा देने की अधुनातन प्रणाली लगी हुई है। प्रोजेक्ट 15बी श्रेणी के पोत भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टील्थ निर्देशित मिसाइल विध्वंसक है। सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोत के महत्वपूर्ण बदलाव का सूचक है। दूसरा पोत उदयगिरि प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट कार्यक्रम का हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट 17ए फ्रिगेट का तीसरा युद्धपोत है। यह शिवालिक श्रेणी का उन्नत संस्करण है जो बेहतर हथियार, सेंसर एवं मंच प्रबंधन प्रणाली से लैस है।
स्वदेशी युद्धपोत सूरत का वजन 7400 टन है। इसकी लम्बाई 163 मीटर है। यह 45 दिन तक समुद्र के भीतर रह सकता है। इस पोत पर 4 इंटरसेप्टर बोट, 250 जवान एवं 50 नौ सैनिक अधिकारी एक साथ रह सकते हैं। सूरत युद्धपोत 56 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से समुद्री दूरी तय कर सकता है। एक बार ईंधन लेने के बाद यह समुद्र में 7400 किलोमीटर की दूरी का सफर तय कर सकता है। यह राडार को चकमा देने में माहिर है। इस युद्धपोत पर ब्रह्मोस जैसी आधुनिक मिसाइलें, एंटी सब मरीन लॉन्चर जैसे आधुनिक हथियार तैनात किए जा सकते हैं। इसी तरह उदयगिरि भी कुछ कम नहीं है। यह आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एवं उन्नत हथियारों से लैस युद्धपोत है। इस पर ध्रुव और वेस्टलैंड सी-किंग जैसे हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। इसके अलावा इसमें ब्रह्मोस मिसाइल, बराक-8 ईआर मिसाइल एवं एंटी सबमरीन लांचर तैनात किए जाने की क्षमता है।
भारतीय नौसेना द्वारा 18 मई को पहली बार स्वदेशी तकनीक वाली एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सहयोग से किया गया जो कि सफल रहा। मिसाइल ने परीक्षण के दौरान सभी तय मानकों को पूरा करते हुए लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा। इसका परीक्षण नौसेना के हेलीकॉप्टर ‘सी किंग 42 बी’ से किया गया। यह परीक्षण काफी खास है क्योंकि इस मिसाइल सिस्टम में अनेक अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं। यह समुद्र की ऊपरी सतह से थोड़ा ऊपर उठकर तेज गति से लक्ष्य की ओर जाती है, जिससे यह राडार की पकड़ में नहीं आती है। ऊंचाई कम होने के कारण शत्रु इसे मारकर गिरा नहीं सकता। हवा से लांच की जाने वाली यह मिसाइल नौसेना के हेलीकॉप्टरों पर लगाई जाएगी। इससे नौसेना काफी ताकतवर हो जाएगी।