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गिराने के खेल में देशभक्ति से बड़ी कैशभक्ति

उलटबांसी
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पाकिस्तान वाले राफेल गिरा दें, यह मुश्किल लग रहा है। पाकिस्तान में मिलिट्री वालों को गिराने का खासा तजुर्बा है यूं तो, पर पाक मिलिट्री का वह तजुर्बा वहां लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकारें गिराने का है।

चालू विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता दिवस पर मूल्यों में गिरावट विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार निबंध इस प्रकार है—

मूल्यों में गिरावट हुई है, ऐसा हमको पता लगता है सरकारी आंकड़ों से। महंगाई की दर कम हुई है, ऐसा सरकार ने बताया है। पर विधायकों के मूल्यों में कोई गिरावट न हुई है, ऐसा वे लोग बताते हैं जो सरकार बनाने और गिराने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करते हैं।

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पूरी दुनिया में असल धंधा मूल्यों को उठाने और गिराने का ही है। मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई चैनलों में खबर आयी कि फ्रांस के लड़ाकू हवाई जहाज राफेल पाकिस्तान द्वारा गिरा दिये गये। इसके बाद राफेल कंपनी के शेयरों में गिरावट की खबर आयी। कुछ दिन पहले भारतीय वायु सेना के प्रमुख ने बताया कि भारत ने अमेरिकी लड़ाकू जहाज एफ16 को गिराया था। अब एफ16 का धंधा मंदा होने की खबर है। मूल मसला धंधे का है। धंधा चलना चाहिए, जहाज चलने चाहिए, तोप चलनी चाहिए। हथियार, जहाज के कारोबार के लिए मारधाड़ जरूरी है। इसलिए अमेरिका यह सुनिश्चित करता रहता है कि दुनिया भर में मारधाड़ होती रहे।

पाकिस्तान वाले राफेल गिरा दें, यह मुश्किल लग रहा है। पाकिस्तान में मिलिट्री वालों को गिराने का खासा तजुर्बा है यूं तो, पर पाक मिलिट्री का वह तजुर्बा वहां लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकारें गिराने का है। सरकारें गिराने का विकट तजुर्बा है पाक मिलिट्री को। ऐसा तजुर्बा कि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार पूरे पांच साल न चल पायी। पाकिस्तान की मिलिट्री के बारे में एक बात कही जाती है कि इसने युद्ध कभी जीता नहीं और चुनाव कभी हारा नहीं। यानी सरकार चाहे शऱीफ की या बदमाश की, हुकूमत मिलिट्री की ही होती है।

पाकिस्तान मिलिट्री वाले प्लाट से लेकर खाद तक बेचते हैं। पाकिस्तान में चाहे जिसका भाव गिर जाये, मिलिट्री का भाव कभी न गिरता। अमेरिका की चिंता भी भावों को लेकर है। अमेरिका की चिंता यह है कि उसका भाव कहीं कम ना हो जाये दुनिया के बाजार में। दुनिया के बाजार में अमेरिका का भाव इसलिए कम हो रहा है कि चीन बहुत सस्ते भाव पर अपने आइटम बेच रहा है। चीन का सस्ताई का यह जलवा है कि अमेरिका की कंपनियां भी चीन जाकर ही आइटम बना रही हैं और मुनाफा कमा रही हैं। अमेरिकन राष्ट्रपति डपटते हैं अमेरिकन कंपनियों को कि वापस अमेरिका में आकर माल बनाओ। अमेरिकन कंपनियां बताती हैं हमारा काम सिर्फ माल बनाना नहीं है, हमारा मूल काम है मुनाफा बनाना। कंपनियों को न चीन से प्यार है न अमेरिका से प्यार है, उन्हें सिर्फ और सिर्फ मुनाफे से प्यार है। ट्रंप अमेरिकन कंपनियों को देशभक्ति की दुहाई देते हैं। अमेरिकन कंपनियां बताती हैं कि वह देशभक्त से ज्यादा कैशभक्त हैं।

दरअसल, दुनियाभर में असल लड़ाई धंधे की है, जिसमें कारोबारियों को एक-दूसरे के भाव गिराना जरूरी होता है।

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