नरपतदान बारहठ
नजरिया यानी कि आपकी नजर में आपने क्या देखा, सोचा। नज़रिया हमारे व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा है। हमारा नजरिया ही हमारी जीवन यात्रा की दशा और दिशा तय करता है। सहज रूप में देखें तो आप किसी चीज को किस नजर और इरादे से देखते हैं वही आपके जीवन का नजरिया होता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का होता है। जब आपकी नजर निगेटिव यानी नकारात्मक हो जाती है तो नजरिया निराशा और दुख का सबब बन जाता है, और जब यह पॉजिटिव यानी सकारात्मक रूप ले लेता है तो जीवन सहज और सरल दिखने लगता है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आप निगेटिव नजरिए को पॉजिटिव में रूपांतरित कैसे कर सकते हैं।
इसका जवाब है। रूपांतरण आपकी सोचने-समझने की क्षमता पर निर्भर करता है। आप जो दुख महसूस करते हुए जो सोच रहे हो, उसके विपरीत सोचना शुरू कर दीजिए। आपने सुना होगा कि अक्सर कहा जाता है कि ‘नज़रिया बदलने से नजारे बदल जाते हैं।’ तो बस इतना भर ध्यान रखना है कि कोई भी घटना हो, उसे दुखदाई ना मानकर,उसे स्वीकार कर, उसे एक नयी सीख देने वाली बात मानकर, और आगे का रास्ता सहज मानकर अग्रसर होना ही पॉजिटिव नजरिये की स्थापना का मार्ग है।
इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसे कि कोई एक आदमी कई मुसीबतों का सामना करता है और सोचता है कि गत माह मेरा पांव दुर्घटना का शिकार हुआ, ज्यादा इंजरी के कारण ऑपरेशन किया गया। इसके कारण मुझे बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा। इस दौरान मेरे अन्य साथी मुझसे बहुत आगे निकल गये। यही नहीं, बीते दिनों ही बेटा कार दुर्घटना में घायल हो जाने के कारण, आईएएस की परीक्षा में फेल हो गया क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। कार की टूट-फूट का नुकसान हुआ, वो अलग। यह मेरे लिए बहुत दुखदाई समय है। मैंने आखिर ईश्वर का क्या बिगाड़ा था। इतना कुछ नुकसान हो गया। अब क्या होगा पता नहीं। …इस तरह सोचना ही निगेटिव नजरिया है।
अब इसकी जगह अगर वह आदमी यह सोचता कि आखिरकार मुझे उस पांव की चोट से छुटकारा मिल ही गया, जिसके कारण मैं कई दिनों से असहाय दर्द से परेशान था। और ये भी अच्छा ही हुआ कि भगवान ने दुघर्टना में मेरे इकलौते बेटे की रक्षा की। कार टूट-फूट गई, उसको ठीक करा दूंगा, लेकिन मेरे बच्चे की जिंदगी तो बच गई। उसे नयी जिंदगी तो मिली ही और हांथ-पांव भी सही सलामत हैं। शुक्र है कि मेरा यह समय अच्छा रहा। इस समय में मुझ पर भगवान की बहुत कृपा रही। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि, ऐसे ही सदैव मुझ पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाये रखना।
बस इस तरह सोचना पॉजिटिव नजरिया है, जो जीवन को सुख का आभास दे सकता है। तो यहां देखने वाली बात यह भी है कि इसका सबक यह भी है कि हमारा नजरिया हमारी सफलता और जीवन पर बहुत बड़ा असर डालता है। इसलिए हमें स्वयं को, अपने परिवार और मित्रों को हमेशा सकारात्मक नजरिया रखना और देना चाहिए। किसी भी बात पर पूर्ण राय बनाने के पूर्व, अलग कोण से सोचिये और फिर निर्णय लीजिये। हर चीज में सुख ढूंढ़ने की आदत बनाइये। मुसीबतों में अवसर ढूंढ़ने का प्रयास करिए क्योंकि सिर पकड़कर बैठे रहने से कुछ हासिल भी नहीं होने वाला। याद रखिये दुनिया में सबको बदलने का असफल प्रयास करने से कई गुना ज्यादा सरल है, अपने नजरिए को बदल लेना।
ज्यादातर लोग अपने क्षेत्र में इसलिए सफल नहीं हो पाते क्योंकि वे हमेशा नकारात्मक नजरिए पर ही अपने नजरें गड़ाते हैं। यदि आपको अपने जीवन में सफल होना है तो आपको अपने अन्दर सकारात्मक नजरिया विकसित करना होगा। सफलता का प्रतिशत तब तक नहीं बढ़ेगा जब तक आप अपने अन्दर सही नजरिये वाला बीज नहीं बो देते। इन तरीकों को अपनाकर नज़रिया बदल सकते आप…
– उस समस्या/ क्षेत्र की पहचान करें, जिसके लिए नज़रिया बदलने की ज़रूरत है।
– अपनी वर्तमान मौलिक सकारात्मक धारणाओं की एक सूची तैयार करें।
– वर्तमान स्थिति को विभिन्न आयामों से देखने की कोशिश करें। रचनात्मक और अभिनव सोच का इस्तेमाल करें ।
– कई बार विचार मंथन के ज़रिये स्थिति के विभिन्न आयामों से कल्पना कर पाना संभव होता है। इसलिए विचार मंथन करें।
– मुसीबतों में पॉजिटिव सोच रखने वाले मित्रों से भी मदद लें।