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एआई से मुकाबले के लिए जरूरी मानवीय क्षमताएं

मानव बनाम मशीन

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भविष्य में एआई के दौर में असली ताक़त उन लोगों के पास होगी, जिनके पास ये मानवीय गुण होंगे। मसरल, सवाल पूछने की हिम्मत, कठिनाई में टिके रहने का अनुशासन, अपने विचारों को लिखकर स्पष्ट करने की कला, भरोसे से बातचीत करने की क्षमता और दूसरों को प्रेरित करने का नेतृत्व।

आज हम ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारे जीवन, कामकाज और सोचने के तरीके को बदल रही है। एआई आज हर क्षेत्र—शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, बैंकिंग, उद्योग, मीडिया—में अपनी पैठ बना चुकी है। जहां एक ओर यह तकनीक कार्यक्षमता बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर यह चिंता भी बढ़ा रही है कि भविष्य में क्या मनुष्य के रोजगार छिन जाएंगे?

यह सवाल बेहद प्रासंगिक है। क्या इंसान एआई से मुकाबला कर पाएगा? जवाब है—हां, बिल्कुल कर सकता है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि हम ऐसी क्षमताएं विकसित करें जिनकी बराबरी एआई कभी नहीं कर सके।

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एआई तेज़ी से डेटा को प्रोसेस कर सकता है, पैटर्न पहचान सकता है, और जटिल निर्णय भी ले सकता है। लेकिन यह एक सच्चाई है कि एआई में मानवीय भावनाएं, नैतिकता, रचनात्मकता और सहानुभूति नहीं होती। एआई ‘सोचता’ नहीं, बल्कि ‘सीखाए गए पैटर्न’ पर काम करता है। यह वही कर सकता है जो उसे सिखाया गया है; नई परिस्थितियों में मानवीय समझ या संवेदनशीलता नहीं दिखा सकता। इसलिए, भविष्य उन्हीं लोगों का होगा जो अपनी मानवीय क्षमताओं को निखारेंगे और तकनीक को अपना सहयोगी बनाएंगे, प्रतिस्पर्धी नहीं। एआई से आगे रहने के लिए विकसित की जाने वाली मुख्य क्षमताएं मानवीय पूंजी है।

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एआई के पास भावनाएं नहीं हैं, लेकिन इंसानों के पास यह सबसे बड़ी ताकत है। नेतृत्व, टीम वर्क, ग्राहक सेवा, या लोगों के साथ जुड़ने की क्षमता—ये सब भावनात्मक समझ से ही संभव हैं। अपनी सहानुभूति, संवाद शैली और दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता को बढ़ाएं। भविष्य में जो व्यक्ति ‘लोगों को समझना’ जानता है, वही ‘मशीनों को चलाना’ भी बेहतर कर पाएगा।

रचनात्मक सोच वह क्षेत्र है जहां एआई अभी भी पीछे है। एआई मौजूदा डेटा के आधार पर सुझाव देता है, लेकिन नई और मौलिक अवधारणा गढ़ने की क्षमता केवल मनुष्य के पास है। कलाकार, डिजाइनर, लेखक, उद्यमी और इनोवेटर—इन सभी को भविष्य में बड़ा स्थान मिलेगा।

रचनात्मक सोच का अभ्यास करें: पेंटिंग, कहानी लेखन, संगीत, डिजाइन थिंकिंग या किसी समस्या के नए समाधान निकालना। सिर्फ़ जानकारी याद कर लेना काफी नहीं है। ज़रूरी है सवाल करना, ‘ये बात सच में सही है या नहीं? इसके पीछे कौन-सी धारणाएं छिपी हैं? इसका दूसरा पहलू क्या है?’ मशीन आपको बहुत जवाब दे सकती है, लेकिन सही को चुनना और गहराई से समझना इंसान ही कर सकता है।

आपके सामने कोई अख़बार की ख़बर आती है कि ‘यह दवा हर बीमारी का इलाज है।’ मशीन उस खबर को हज़ारों तरीकों से कॉपी कर सकती है, लेकिन एक इंसान ही यह सवाल पूछ सकता है, ‘क्या यह सच है? इसके पीछे किसका लाभ छिपा है? क्या इसके प्रमाण हैं?’ जैसे किसी समझदार किसान की तरह, जो बीज बोने से पहले मिट्टी को परखता है। वह आंख बंद करके नहीं बोता। उसी तरह, सोचने वाला इंसान भी हर बात को परखता है। यही आदत आपको धोखे से बचाती है और सच्चाई तक ले जाती है।

जिम्मेदार और अनुशासन आदत है अपने वचन निभाने की। वह काम पूरा करना जो आपने तय किया, चाहे मन न हो, चाहे थकान हो। मशीन को मेहनत करने की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन इंसान जब मुश्किल होने पर भी टिकता है, तभी असली ताक़त पैदा होती है। थॉमस एडिसन, बल्ब बनाने वाला वैज्ञानिक, उसने हज़ारों बार प्रयोग किया और असफल हुआ। अगर वह बीच में छोड़ देते तो आज अंधेरा ही रहता।

एआई किसी समस्या का समाधान डेटा के आधार पर करता है, लेकिन जटिल मानवीय या सामाजिक समस्याओं का समाधान केवल इंसान ही सोच सकता है। ‘क्यों’, ‘कैसे’ और ‘क्या’ पूछने की आदत डालें। समस्या को देखने के कई दृष्टिकोण अपनाएं और विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करें।

तकनीक तेजी से बदल रही है, इसलिए ‘सीखते रहना’ ही भविष्य का सबसे बड़ा हथियार है। नई तकनीकों, टूल्स और ट्रेंड्स के साथ खुद को अपडेट रखें। अगर आप एक कौशल में विशेषज्ञ हैं, तो उससे जुड़े नए क्षेत्रों में भी ज्ञान बढ़ाएं।

एआई के प्रयोग के साथ कई नैतिक सवाल भी उठते हैं—डेटा गोपनीयता, फेक न्यूज, साइबर सुरक्षा आदि। भविष्य में वे पेशेवर मूल्यवान होंगे जो तकनीक के साथ-साथ उसकी नैतिक सीमाओं को भी समझेंगे। समाज के लिए जिम्मेदार तकनीकी उपयोग की समझ विकसित करना बहुत ज़रूरी है। इसलिए, भविष्य में आपको मशीन से मुकाबला करने की ज़रूरत नहीं है। वह तो हमेशा तेज़ रहेगी। आपको इंसानियत को संभालना है,स्पष्ट सोच, मज़बूत चरित्र, सच लिखने-बोलने की हिम्मत, बातचीत और समझौते की कला, और दूसरों को प्रेरित करने की शक्ति। यही असली ताक़त है, यही गुण कभी भी बदले नहीं जा सकते।

भविष्य में एआई के दौर में असली ताक़त उन लोगों के पास होगी, जिनके पास ये मानवीय गुण होंगे। मसरल, सवाल पूछने की हिम्मत, कठिनाई में टिके रहने का अनुशासन, अपने विचारों को लिखकर स्पष्ट करने की कला, भरोसे से बातचीत करने की क्षमता और दूसरों को प्रेरित करने का नेतृत्व। यही वह रास्ता है जिससे इंसान हमेशा मशीन से आगे रहेगा।

लेखक विज्ञान विषयों के जानकार हैं।

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