व्यापक बदलाव हो
केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के कितने भी दावे क्यों न करे लेकिन इस मामले में हम एशिया में सबसे आगे निकल गये हैं। यह स्थिति हमारे चारित्रिक स्तर और आम आदमी को न्याय मिलने की कठिनाइयों को भी दर्शाती है। घूसखोरी का चक्र तोड़ने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को लोक सेवाओं के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार लाने, शिकायत के साधन आसान बनाने व आवश्यक सेवाओं को जल्द व प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए लोगों के अनुकूल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सुविधाओं को बढ़ाने की जरूरत है।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद
अलग मंत्रालय बने
एशिया में भारत रिश्वतखोरी में सबसे ऊपर है। बेशक सत्ता पक्ष से संबंधित लोग यह कहें कि मोदी सरकार के तहत भ्रष्टाचार पर नकेल डाली जा चुकी है लेकिन समय-समय पर किसी न किसी विभाग में भ्रष्टाचार या घोटाले की बात सुनने को मिलती है। आशा के विपरीत लॉकडाउन के समय भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। अगर इससे मुक्ति पाई जानी है तो भ्रष्टाचार से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ेगा। केंद्र तथा राज्यों में भ्रष्टाचार विरोधी एक अलग मंत्रालय होना चाहिए जो कि देश में भ्रष्टाचार की समस्या को पारदर्शिता के आधार पर ईमानदारी से हल करे।
शामलाल कौशल, रोहतक
पारदर्शिता जरूरी
भ्रष्टाचार के मामलाें में भारतवर्ष की चिंताजनक स्थिति है। रिश्वतखोरी कम करने के लिए मोदी सरकार ने कई सेवाओं का डिजिटलीकरण किया है, ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराई हैं और सतर्कता जागरूकता अभियान चलाए हैं। हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाकर बेहतरीन मिसाल पेश की है। उपभोक्ताओं, ग्राहकों और ईमानदार अधिकारियों-कर्मियों को जागरूक रहते हुए पारदर्शिता के उत्कृष्ट मापदंड स्थापित करने चाहिए ताकि रिश्वतखोरी पर लगाम लगाई जा सके।
युगल किशोर शर्मा, फरीदाबाद
खुद भी बदलें
देश में भ्रष्टाचार के उपचार के लिए कई छोटे-मोटे ऑपरेशन किये गये पर अभी तक पूर्ण सफलता हाथ नहीं लग पायी है। रिश्वत लेते व देते वक्त लोग यह भूल जाते हैं कि वे किसी भले आदमी का हक मार रहे हैं। रिश्वतखोरी की प्रवृत्ति गरीब प्रतिभावान छात्रों में उदासीनता ही नहीं ला रही अपितु उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ भी कर रही है। लोगों को सर्वप्रथम स्वयं ईमानदार बनने की शुरुआत करनी होगी। जनता को सोचना होगा कि वे एक ईमानदार देश के नागरिक होने का गौरव प्राप्त करना चाहते हैं या एक भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंसे देश का कलंक भुगतना चाहते हैं।
देवेन्द्रराज सुथार, जालोर, राजस्थान
सख्त हो सजा
रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार आज समाज को अन्दर ही अन्दर कैंसर की तरह खोखला करता जा रहा है। इसके कारण कई बार लोगों को अन्याय का सामना भी करना पड़ता है। कई बार मलाईदार पदों पर भी ऐसे भ्रष्ट व्यक्ति बैठ जाते हैं, जिसका खमियाजा ईमानदार लोगों को भुगतना पड़ता है। इस बीमारी का केवल एक ही उपाय है कि सरकार ऐसे सख्त कानून बनाये, जिससे भ्रष्टाचारी को सख्त सजा मिले ताकि हर भ्रष्टाचारी एक बार रिश्वत लेने से पहले कई बार सोचे।
ज्योति कमोदा, कुरुक्षेत्र
कानूनों का क्रियान्वयन
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी को तुरंत रोकना होगा जो खुद अनेक जुर्मों और भ्रष्टाचार की जननी है। साथ ही निजीकरण को सिरे से नकारते हुए राष्ट्रीयकरण की ठोस नीति के तहत सभी को समान काम के बदले समान दाम देने की सही और सरल व्यवस्था देनी होगी। इसके अलावा सशक्त लोकपाल और सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को भी पूरी पारदर्शिता से लागू करना होगा जो इसका कारगर उपाय है। चुनाव में दागी नेताओं को बिल्कुल अलग रखने की भी ठोस व्यवस्था करनी होगी। तभी देश से भ्रष्टाचार से निजात मिल सकती है।
राजवंती खत्री, नरेला
पुरस्कृत पत्र
समाज से बदलाव
यह अत्यंत गंभीर और संवेदनशील विषय है कि भारत एशिया में रिश्वतखोरी के मामले में अव्वल है। दरअसल, भ्रष्टाचार नौकरशाही, राजनीति और अपराधियों के बीच सांठगांठ का परिणाम है। भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार को इसे स्कूली पाठ्यक्रम में विशेष रूप से शामिल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, एक गुणी समाज की स्थापना पर बल देना होगा, जो कि शिक्षा के माध्यम से संभव हो सकता है। आज जापान जैसे देश में भ्रष्टाचार बहुत कम है, क्योंकि वहां के लोग भ्रष्ट अधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार करते हैं। हमारे समाज को भी जापान जैसे देश से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
सुनील कुमार महला, पटियाला