आलोक पुराणिक
वैक्सीन आ ही चुकी है, समझ लीजिये।
जब वैक्सीन निर्माता कंपनियों के शेयरों के भाव आसमान छूने लगें तो समझ लेना चाहिए कि वैक्सीन की धुआंधार बिक्री की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले उसको लगेगी, पहले किसको लगेगी-ये सवाल निरर्थक हैं, जिसकी जेब में ज्यादा रकम है, पहले उसी को लगेगी। जेब में रकम है, तो ब्रिटेन या अमेरिका में जाकर कोरोना का टीका लगवाया जा सकता है।
वैक्सीन में कंपीटिशन होना तय है। वजह यह है कि कोरोना वायरस बहुत अविश्वसनीय किस्म का वायरस है, कई कारोबारियों को भरोसा नहीं है कि कब तक इससे कमाया जा सकता है। उस लिहाज से डेंगू के मच्छर, मलेरिया के मच्छर ज्यादा विश्वसनीय हैं। हर साल आते हैं काट पीट मचाते हैं, डाक्टरों की चांदी कराते हैं, दवाओं की बिक्री कराते हैं। मच्छरों के सहारे लंबी कमाई हो जाती है। कोरोना वायरस इस लिहाज से भरोसे का वायरस नहीं है, कब निकल ले पता नहीं है। जल्दी-जल्दी सबको टीका लग जाये, रकम खड़ी हो जाये, फिर वायरस रहे या जाये, फर्क ना पड़ता।
कंपीटिशन है, इश्तिहार होगा, इश्तिहार है, तो तुलना होगी। किसी का टीका 98 परसेंट रिजल्ट दे रहा है। किसी का टीका 93 परसेंट रिजल्ट दे रहा है। किसी का अस्सी परसेंट रिजल्ट दे रहा है। मेरा टीका तेरे टीके से ज्यादा असरदार टाइप इश्तिहार बस आने ही वाले हैं। पुराना एक क्लासिक इश्तिहार था-उसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद कैसे। इसी लाइन पर टीके के इश्तिहार बन सकते हैं-उसका टीका मेरे टीके से असरदार कैसे। यह अलग बात है कि अलग-अलग इलाके में कोरोना वायरस का असर भी अलग-अलग है।
अमिताभ बच्चन बता सकते हैं कि मैंने यह वाला लगवा लिया। अक्षय कुमार बतायेंगे कि मैंने तो यह लगवाया। हेमाजी बतायेंगी हम तो उस ब्रांड का वह वाला टीका लगवाकर बैठे हैं साथ में उस आरओ का पानी भी पीते हैं, अब कैसे आयेगा कोरोना वायरस।
हेमाजी, अक्षय कुमार, अमिताभ बच्चन ये तो सब कामयाब ब्रांड एंबेसडर हैं, इन्हे टीका से लेकर कार, आरओ सब मिल जाता है। पर वहीदा रहमान, आशा पारिख जैसी वरिष्ठ अभिनेत्रियों को भी तो कोरोना टीका के इश्तिहार इन्हें भी मिलने चाहिए। ये भी तो बतायें कि हमने वो वाला कोरोना टीका लगाया, और हम फिट हैं। सारे विज्ञापन नवोदित अभिनेत्रियों को मिले, कोई समस्या नहीं है। पर बुजुर्ग अभिनेत्रियों को कम से कम आरओ, जोड़ों के दर्द की दवा और कोरोना टीका तो मिलना ही चाहिए न।
टीका गरीबी की रेखा के नीचे वाला भी हो सकता है और गरीबी रेखा के ऊपर वाला भी हो सकता है। गरीबी की रेखा के नीचे वाले टीके यहीं लगेंगे जौपुरा से लेकर लखीमखेड़ा में भी। गरीबी की रेखा से ऊपर वाले टीके लंदन में लगेंगे और न्यूयार्क में भी।