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सिंहासन संभाले रखो कि जेन-जी नहीं आने वाली

तिरछी नज़र

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मोबाइलधारी जेन जी की हालत श्वान निद्रा, अल्पाहार, काक दृष्टि व बगुला ध्यान जैसी है। उसका सारा ध्यान पल प्रतिपल मोबाइल स्क्रीन खटखटाते नोटिफिकेशन पर है, सिंहासन की सुध कब लें!

‘सिंहासन खाली करो कि जेन-जी आती है’ बदले स्वरूप में राष्ट्रकवि दिनकर की ये पंक्तियां इन दिनों यकायक चर्चा में आ गई हैं। इसलिए नहीं कि नेपाल में जेन-जी ने ओली का जवाब गोली से देकर तख्तापलट कर डाला या बांग्लादेश में हसीन सियासती दुनिया तबाह कर दी बल्कि इसलिए कि विपक्षी नेता राहुल गांधी के बयान ‘देश के संविधान की रक्षा जेन जी करेगा’ के बाद टीवी चैनलों पर छिड़ी बहस से। इधर एक धड़े का कहना है कि ऐसा कहना राहुल द्वारा देश के युवाओं को भड़काने की साजिश है, हमारे यहां ऐसा कुछ होने जाने वाला नहीं। होना भी नहीं चाहिए। मैं उनके कथन से पूर्ण सहमत हूं क्योंकि वे सही कह रहे।

भारत युवाओं का देश है यहां की पैंसठ प्रतिशत आबादी युवा है। रोजाना शेविंग और हेयर डाई कर घूमते लोगों को जोड़ लिया जाए तो यह प्रतिशत और बढ़ सकता है, बावजूद हमारे यहां जेन जी ऐसा कुछ करने वाले नहीं, क्योंकि हमारे जेन जी को कभी सिंहासन की लालच रही ही नहीं। ‘न ताज चाहिए, न तख्त चाहिए तेरा प्यार चाहिए हर वक्त चाहिए।’ टाइप देश के जेन जी के दो ही उद्देश्य हैं पढ़ाई और प्यार। पढ़ाई करके नौकरी और प्यार करके छोकरी पाते ही उनका उद्देश्य की पूर्णाहुति हो जाती है और फिर पूरे टाइम इन दो को सहेजने में लगे रहते हैं।

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हमारा जेन जी किसी यों ही सरकारी नौकरी के लिए एक पद विरुद्ध लाख आवेदन टाइप भर्ती में धक्के खाता है। नौकरी सरकारी हो तो सैलरी नहीं देखी जाती। कभी तो वह ज्वार बन नौकरी मांगने राजधानी की दहलीज चढ़ता है लेकिन बेरोजगारी भत्ते का आश्वासन पाकर भाटा बन उतर आता है।

जेन जी इंटरनेट जीवी युवा पीढ़ी है। घर में आटा न हो मोबाइल में डाटा होना चाहिए। आटा सिर्फ पेट की भूख मिटाता है जबकि डाटा मन और मस्तिष्क की। हमारा जेन जी कमाई से डाटा खर्च निकालकर खुश है। सांई इतना दीजिए टाइप। लाइन से भटका युवा भी चौबीस घंटे ऑनलाइन रहता है फिर सिंहासन खाली करो जैसी लाइन सुनकर भी वह कान ऑफ कर कहीं नहीं जाता। मोबाइलधारी जेन जी की हालत श्वान निद्रा, अल्पाहार, काक दृष्टि व बगुला ध्यान जैसी है। उसका सारा ध्यान पल प्रतिपल मोबाइल स्क्रीन खटखटाते नोटिफिकेशन पर है, सिंहासन की सुध कब लें!

देश में सालभर लोकतंत्र और लोक के त्योहार मनते हैं। शादी-ब्याह अलग। त्योहार मतलब धूम धड़ाका। धूम तो डीजे की धुन पर ही संभव है और डीजे की धुन पर बगैर खाए-पिए थिरकना संभव नहीं। हमारी जेन जी पार्लर में समय दे रही। कभी वन साइड तो कभी टू साइड हेयर कट। अपनी राढ़ी से ज्यादा दाढ़ी की चिंता में दुबलाए जा रहे।

अब आप ही बताइए सिंहासन खाली करवाने का जेन जी के पास वक्त ही कहां बचता है|

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