जहां मिट्टी महके मेहनत से बसे वहीं हरियाणा
आज हरियाणा गांवों की मिट्टी से निकलकर कॉर्पोरेट गलियारों तक पहुंच चुका है। एक ऐसा राज्य जो कृषि में आत्मनिर्भर, उद्योग में अग्रणी, खेल में विजेता और समाज में परिवर्तनकारी है। लेकिन इस सफर के साथ चुनौतियां भी आईं।
एक नवंबर, 1966, एक यादगार तारीख है, जिसने पंजाब की गोद से अलग होकर भारत के मानचित्र पर एक नए सपने को जन्म दिया। यह था हरियाणा। यह राज्य न तो बहुत बड़ा था, न संसाधनों में सम्पन्न, पर इसके पास था कुछ ऐसा जो हर सफलता की जड़ बनता है। वह है मेहनत, आत्मविश्वास और अपनी मिट्टी से अटूट प्रेम। हरियाणा ने अपने अस्तित्व की शुरुआत संघर्ष से की, लेकिन आज वही संघर्ष उसकी पहचान नहीं बल्कि सबसे बड़ी शक्ति बन चुका है।
हरियाणवी किसान ने देश को अन्न दिया, उद्योगों ने अर्थव्यवस्था को गति दी, खिलाड़ियों ने विश्व मंच पर भारत का झंडा बुलंद किया, और बेटियों ने घर की चौखट से निकलकर नेतृत्व और सम्मान दोनों अर्जित किए। यह वही हरियाणा है जिसने खेतों की मिट्टी से हरित क्रांति बोई, फैक्ट्रियों से औद्योगिक क्रांति रची, स्कूलों और विश्वविद्यालयों से ज्ञान क्रांति जगाई, और खिलाड़ियों के पसीने से गौरव की क्रांति लिखी।
आज हरियाणा गांवों की मिट्टी से निकलकर कॉर्पोरेट गलियारों तक पहुंच चुका है। एक ऐसा राज्य जो कृषि में आत्मनिर्भर, उद्योग में अग्रणी, खेल में विजेता और समाज में परिवर्तनकारी है। लेकिन इस सफर के साथ चुनौतियां भी आईं। फिर भी, हरियाणा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि इस धरती के लोगों की रगों में सिर्फ खून नहीं, जिद, हौसला और कर्म की ताकत दौड़ती है। हरियाणा आज सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि एक विचार है - एक सोच जो कहती है कि ‘जहां मिट्टी मेहनत से महके, वहीं सच्चा हरियाणा बसता है।’
हरियाणा का नाम ही ‘हरियाली’ से निकला है, और यही इसका स्वभाव भी है। स्वतंत्र भारत के शुरुआती दशक में जब देश खाद्यान्न संकट से गुजर रहा था, तब हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति की दिशा तय की। करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद, कैथल और सिरसा जैसे जिलों ने वह इतिहास रचा जिसने भारत को खाद्यान्न आत्मनिर्भर बनाया। हरियाणा के किसानों ने नई तकनीक अपनाई। सिंचाई व्यवस्था सुधारी, ट्रैक्टर और मशीनों को खेतों में उतारा, और प्रयोगात्मक खेती का दौर शुरू किया। आज वही किसान ड्रोन से स्प्रे करने, जैविक खेती करने और सौर ऊर्जा से सिंचाई करने वाला आधुनिक कृषि-वैज्ञानिक बन चुका है। यह वही धरती है जिसने कभी हरित क्रांति दी थी, और अब ‘ब्लू एनर्जी’ व ‘ग्रीन फार्मिंग’ की दिशा में नए अध्याय लिख रही है।
जहां कभी बैलों की गाड़ियां थीं, आज वहां इंजन और मशीनों की गूंज है। हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, मानेसर, सोनीपत और पानीपत जैसे शहर अब भारत की औद्योगिक रीढ़ बन चुके हैं। यह राज्य अब ‘मेक इन इंडिया’ की आत्मा और ‘डिजिटल इंडिया’ की धड़कन दोनों है। गुरुग्राम को आज भारत की ‘कॉरपोरेट राजधानी’ कहा जाता है, जहां दुनिया की बड़ी कंपनियों के मुख्यालय हैं और हजारों युवाओं को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरी फरीदाबाद ने नया मुकाम प्रदेश को दिया। पानीपत ने टेक्सटाइल, मैन्युफैक्चरिंग और पेट्रो-प्रोडक्ट्स से औद्योगिक क्रांति को नया बल दिया। हरियाणा की आर्थिक ताकत अब केवल उद्योगों में नहीं, बल्कि स्टार्टअप्स और नवाचारों में भी दिखाई देती है।
हरियाणा की मिट्टी ज्ञान और खेल दोनों की जननी रही है। भारतीय सेनाओं में हर छठा सैनिक और दसवां अधिकारी हरियाणा की माटी से जुड़ा है। शिक्षा के क्षेत्र में एमडीयू रोहतक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय जैसे संस्थान राज्य की बौद्धिक शक्ति हैं। नई शिक्षा नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेजों का विस्तार, स्किल डेवलपमेंट सेंटरों की स्थापना और डिजिटल लर्निंग ने हरियाणा को शैक्षणिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। और अगर बात खेलों की हो, तो हरियाणा पूरे भारत का गर्व है। ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, दीपक पुनिया जैसे नाम हरियाणा की मिट्टी की देन हैं। हरियाणा के गांव अब ‘खेलग्राम’ बन चुके हैं, जहां पसीना सम्मान में बदलता है और संघर्ष सफलता में।
हरियाणा को लिंगानुपात के मुद्दे पर आलोचना झेलनी पड़ी थी। लेकिन आज वही हरियाणा महिला सशक्तीकरण की नई परिभाषा लिख रहा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने सिर्फ आंकड़े नहीं सुधारे, बल्कि सोच बदली। हरियाणा की महिलाएं अब खेती से खेल, पंचायत से संसद और घर से उद्योग तक हर जगह नेतृत्व कर रही हैं।
हरियाणा अब 60वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है। एक ऐसा सफर जिसने खेतों की मिट्टी से लेकर कॉर्पोरेट मीनारों तक, ओलंपिक पदक से लेकर महिला सशक्तीकरण तक हर क्षेत्र में पहचान बनाई। यह वही हरियाणा है जिसने इतिहास के हर सवाल का जवाब कर्म से दिया। यह राज्य भारत को यह सिखाता है कि छोटा राज्य भी बड़े सपने पूरे कर सकता है, अगर उसके लोगों की जड़ें मिट्टी से जुड़ी हों। इस सफर में विकास के साथ चुनौतियां भी आईं। बेरोजगारी, अपराध, नशे की समस्या, पर्यावरणीय असंतुलन और शहरीकरण की अव्यवस्था जैसे मुद्दे राज्य के सामने हैं। लेकिन हरियाणा की सरकारें और नागरिक मिलकर इनसे लड़ने को तैयार हैं। ‘ग्रीन हरियाणा’, ‘डिजिटल हरियाणा’, ‘युवा रोजगार मिशन’ और ‘स्वच्छ हरियाणा’ जैसे कार्यक्रम बताते हैं कि राज्य अब केवल विकास नहीं, टिकाऊ विकास की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
यह राज्य सिखाता है कि विकास केवल सड़कों से नहीं, सोच से होता है। और यही सोच हरियाणा को भारत का सबसे प्रेरणादायक राज्य बनाती है। डिजिटल क्रांति को अपनाते हुए ई-गवर्नेंस में देश के शीर्ष राज्यों में जगह हासिल की।
