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अमेरिकी दबाव के बावजूद परवान चढ़ती दोस्ती

भारत और रूस के बीच ‘स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ है, जिसके तहत एसयू-57 फ़ाइटर जेट और मिसाइल डिफ़ेंस शील्ड एस-500 के एडवांस्ड वर्शन की खरीद पर बातचीत होने की उम्मीद है। यह समझौता अमेरिका के साथ किसी भी ट्रेड...

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भारत और रूस के बीच ‘स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ है, जिसके तहत एसयू-57 फ़ाइटर जेट और मिसाइल डिफ़ेंस शील्ड एस-500 के एडवांस्ड वर्शन की खरीद पर बातचीत होने की उम्मीद है। यह समझौता अमेरिका के साथ किसी भी ट्रेड डील को मुश्किल बना सकता है।

इस बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 4 दिसंबर को दो दिन के वास्ते स्टेट विज़िट पर आना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। फरवरी, 2022 में यूक्रेन में युद्ध आरंभ होने के बाद से पुतिन का यह पहला आधिकारिक आगमन होगा। पुतिन, पिछली बार यूक्रेन युद्ध से कुछ माह पहले, दिसंबर 2021 में भारत आए थे। रूसी राष्ट्रपति का रेड-कार्पेट वेलकम साउथ ब्लॉक में किया जाएगा, जहां 23वीं सालाना इंडिया-रूस शिखर बैठक होगी।

भारत और रूस के बीच ‘स्पेशल और प्रिविलेज्ड स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ है, जिसके तहत एसयू-57 फ़ाइटर जेट और मिसाइल डिफ़ेंस शील्ड एस-500 के एडवांस्ड वर्शन की खरीद पर बातचीत होने की उम्मीद है। यह समझौता अमेरिका के साथ किसी भी ट्रेड डील को मुश्किल बना सकता है, जिसने मॉस्को से भारत के हथियारों की खरीद को पीछे धकेल दिया है।

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ठीक से देखा जाये, तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शक्ति संतुलन सिद्धांत को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाये रखना चाहते हैं, लेकिन ट्रंप का हठयोग इस मार्ग में बाधा पैदा कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में खत्म होने वाले चार सालों में रूसी हथियारों की खरीद में काफी गिरावट के बावजूद मॉस्को भारत का सबसे बड़ा मिलिटरी हार्डवेयर सप्लायर बना हुआ है।

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भारत के पास 200 से ज़्यादा रूसी फाइटर जेट और एस-400 डिफेंस शील्ड की कई बैटरी हैं, जिनका इस्तेमाल मई में पाकिस्तान के साथ चार दिन की लड़ाई के दौरान किया गया था। रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं, कि भारत की सेना के पास फाइटर जेट की कमी है, और सरकार से इस कमी को पूरा करने के लिए रूस निर्मित एडवांस्ड फाइटर जेट खरीदने का आग्रह किया है। सूत्र यह भी बताते हैं, कि एसयू -57 जेट में लगी लंबी दूरी की मिसाइलें दक्षिण एशियाई देश को ज़्यादा विज़ुअल रेंज कैपेबिलिटी देंगी। हालांकि, रूस-भारत के बीच हुए समझौते को स्टेट ड्यूमा में मंज़ूरी मिलनी बाकी है। दो दिन की शिखर बैठक में, दोनों पक्ष डिफेंस कोऑपरेशन, न्यूक्लियर एनर्जी, हाइड्रोकार्बन, स्पेस, टेक्नोलॉजी और ट्रेड पर चर्चा करेंगे।

चेन्नई स्थित मद्रास स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के डायरेक्टर एनआर भानुमूर्ति के मुताबिक, भारत के लिए 93 मिलियन डॉलर के हथियारों के सौदे को वॉशिंगटन की मंज़ूरी, महीनों के ट्रेड टेंशन के बाद दोनों पक्षों के बीच रिश्तों में सुधार का संकेत है, और यह अगले साल प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के नई दिल्ली दौरे की संभावित शुरुआत भी है। यूक्रेन शांति समझौते को आगे बढ़ाने के लिए एक हाई पावर्ड अमेरिकी डेलीगेशन मॉस्को में है। प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के दूत नाम स्टीव विटकॉफ और दामाद जेरेड कुशनर इस हफ़्ते डील की कोशिश के लिए मॉस्को पहुंचे हैं। यूक्रेन में शांति से दिल्ली का फ़ायदा है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल में भारत पर शुरू में 25 प्रतिशत इंपोर्ट टैरिफ लगाया था, फिर इसे बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया। यह टैरिफ दिल्ली द्वारा रूसी तेल खरीदने पर पेनल्टी थी। उन्होंने कहा कि यह तेल खरीद यूक्रेन से युद्ध के वास्ते मॉस्को को आर्थिक मज़बूती दे रही थी। चेन्नई स्थित मद्रास स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के डायरेक्टर एनआर भानुमूर्ति मानते हैं कि कई भारतीय तेल कंपनियों ने रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है, इसलिए आने वाले हफ्तों में भारत पर अमेरिकी टैरिफ कम होने की संभावना है।

उनके बरक्स, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर में इंस्टिट्यूट ऑफ़ साउथ एशियन स्टडीज़ के सीनियर रिसर्च फेलो अमितेंदु पालित का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है, इसका असर सिर्फ़ जुलाई-सितंबर वाली तिमाही में महसूस हुआ। अमितेंदु ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड संबंध हाल ही में बेहतर हुए हैं। पिछले महीने अमेरिका से लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस खरीदने के लिए सरकारी भारतीय तेल कंपनियों द्वारा साइन किए गए एक साल के अनुबंध पर ग़ौर करना चाहिए।

ज़रूरी नहीं कि जो तर्क अमितेंदु दे रहे हों, उसके आधार पर मान लें कि सब कुछ सही ट्रैक पर चल रहा है। आईएमएफ के ज़रिये भी अमेिरकी प्रशासन मोदी सरकार पर दबाव बनाये हुए है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने पिछले हफ्ते भारत के नेशनल अकाउंट्स को सी ग्रेड दिया था। यह बताया गया कि आईएमएफ को दी गई जानकारी में ‘कुछ कमियां थीं जो कुछ हद तक सर्विलांस में रुकावट डालती हैं’। तो क्या आईएमएफ की शंकाओं को दूर करने के लिए भारत के इकोनॉमिक डेटा में बदलाव किए जाने की संभावना है?

प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को ‘क्रेमलिन लॉन्ड्रोमैट’ कहा और भारतीय इम्पोर्ट पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी। भारत और पाकिस्तान के बीच बीच-बचाव करने की उनकी लगातार दावेदारी ने भी भारतीय रणनीति के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। नई दिल्ली द्वारा बार-बार मना करने के बावजूद ट्रम्प यह कहने से बाज़ नहीं आते, कि उनकी वजह से भारत-पाक के बीच युद्धविराम हुआ।

मोदी प्रशासन ने ब्रिक्स और एससीओ फ्रेमवर्क में साथ काम करके बहुत अनुभव हासिल किया है। इन बैठकों में ‘एस-500 समेत नेक्स्ट-जेनरेशन एयर डिफेंस सिस्टम’ की सप्लाई और लोकल प्रोडक्शन के लिए मिलिटरी ठेके मिलने की उम्मीद है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं ने रूसी मिसाइल कवच ‘एस-400’ की बहुत तारीफ़ की थी। चीन और पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर भारत के मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस में एस-400 को इंटीग्रेट करना एक अहम सुरक्षा तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। एस-400 सपोर्ट सिस्टम का लगभग आधा हिस्सा लोकलाइज़ किया जा सकता है, अर्थात इसके साज़ो-सामान से सम्बंधित टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भारत को मिल जाना पुतिन की यात्रा को उल्लेखनीय बना देगा। यह भी अहम है कि एसयू-57 फाइटर जेट उड़ाने के लिए इंडियन एयरफ़ोर्स के पायलट तैयार हैं।

एक और आवश्यक विषय रूसी तेल आयात है। यूक्रेन में मिलिटरी ऑपरेशन शुरू होने के बाद से भारत के इम्पोर्ट में 600 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे भारत रूसी तेल का 38 प्रतिशत खरीदार बन गया था। लेकिन, दो दिनों से भारतीय मीडिया में यह खबर भी चलाई जा रही है कि प्रतिबंधों की वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल), एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड जैसी कंपनियों ने फिलहाल आयात रोक दिया है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिसंबर में रूसी तेल आयात में और गिरावट की उम्मीद है, क्योंकि देश में ऊर्जा रणनीतिकार प्रतिबंधों का उल्लंघन करने से बचने के दूसरे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। अमेरिकी नीयत चाहे जो हो, मॉस्को और दिल्ली ने 2030 तक उभयपक्षीय व्यापार को मौजूदा 67 बिलियन से बढ़ाकर, 100 बिलियन डॉलर करने के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित किया है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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