फोर्ट विलियम अब विजय दुर्ग
गगन शर्मा
किला शब्द सुनते ही ऊंचाई पर बनी एक व्यापक, विशाल संरचना की तस्वीर दिमाग में बनती है। ऊंची-ऊंची, अभेद्य, मजबूत दीवारें। हथियारों के लिए बने झरोखे। कीलों मढ़े दरवाजे। अनगिनत सीढ़ियां। लेकिन फोर्ट विलियम यानी विजय दुर्ग में ऐसा कुछ नहीं है। ऊंचाई की तो छोड़ें, कुछ दूरी से तो यह दिखलाई भी नहीं पड़ता। इसका निर्माण भूमि-तल से नीचे किया गया है। कलकत्ता, अब का कोलकाता। महलों के शहर की ख्याति के बावजूद, एक धीर-गंभीर शहर। कभी भी औरों की तरह शोर नहीं मचाया कि मेरा कुतुब मीनार देखो, मेरा ताजमहल देखो, मेरा गेटवे ऑफ इंडिया देखो। या मेरा चार मीनार देखो। जबकि इसके पास ऐसा बताने को, दिखाने को कई दर्जन उदाहरण मौजूद हैं।
वर्ष 1781 के कलकत्ता में अंग्रेजों द्वारा करीब 170 एकड़ में निर्मित एक अद्भुत किला, फोर्ट विलियम। इसका नामकरण ब्रिटिश सम्राट विलियम III के नाम पर किया गया था। यह भारतीय सेना के पूर्वी कमान का मुख्यालय है। उसकी चर्चा इसलिए भी सामयिक है, क्योंकि उसका नाम बदल कर, महाराष्ट्र के सिंधु-दुर्ग तट पर स्थित शिवाजी के मजबूत नौसैनिक अड्डे से प्रेरणा ले विजय दुर्ग कर दिया गया है। जो भारतीय इतिहास और राष्ट्रवाद के प्रतीक छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित है। फोर्ट विलियम। कोलकाता के दिल धर्मतल्ला से विक्टोरिया मेमोरियल की तरफ बढ़ें, तो इस महानगर का इकलौता हरियालियुक्त स्थान, मैदान शुरू हो जाता है, जो कि किले का ही एक हिस्सा है। उसी मैदान और हुगली (गंगा) नदी के पूर्वी किनारे के बीच के इलाके पर, जो उस समय के बंगाल के गवर्नर जनरल वैरेन हेस्टिंग के नाम पर हेस्टिंग कहलाता है, वहीं खिदिरपुर रो पर यह किला स्थित है। अब किला है तो उसका ताल्लुक युद्ध, नर संहार, विभीषिका से भी होना ही है।
वर्ष 1756 में नवाब सिराज्जुदौला ने अंग्रेजों पर हमला कर इस किले को अपने कब्जे में ले, 146 बंदियों को एक 18 गुणा 15 (लगभग) के कमरे में बंद कर दिया था। तीन दिन बाद जब उसे खोला गया तो सिर्फ 23 लोग ही जिंदा बचे थे। वैसे इस घटना को इतिहासकार प्रामाणिक नहीं मानते। विजय दुर्ग में दस हजार जवानों के रहने की सर्वसुविधा युक्त व्यवस्था है। स्वीमिंग पूल, फायरिंग रेंज, बॉक्सिंग स्टेडियम, कई गोल्फ कोर्स, सिनेमा इत्यादि शामिल हैं। इसके छह मुख्य द्वार हैं। आम नागरिक इजाजत पत्र लेकर किले के कुछ चुनींदा स्थानों को देख सकते हैं। प्रवेश नि:शुल्क है। कभी समय और मौका हो तो इस ऐतिहासिक धरोहर को जरूर देखना चाहिए।
साभार : कुछ अलगसा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम