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बेहयाई के दौर में मूर्खताओं का अंतहीन शो

उलटबांसी
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भदेस टाइप के वीडियो को परम लफंगे टाइप के लोग देख रहे हैं। लाइक मिल रहे हैं व्यूज मिल रहे हैं और लाइफ में क्या चाहिए। हम विकट मूल्यों के पराभव के दौर में हैं। दिखाने वाले लफंगे, देखने वाले परम लफंगे। यह हो क्या रहा है।

वह पढ़ी-लिखी कामकाजी महिला हैं, समझदार हैं। अभी देखा बारिश में बहुत अजब तरह से डांस कर रही थीं, अच्छी बात है यह भी। कुंठाविहीन होकर कोई नृत्यरत हो, यह भी एक किस्म का ध्यान है। फिर मैंने देखा उनके पति मोबाइल से वीडियो शूट कर रहे हैं। खैर, उन्होंने वह वीडियो डाला सोशल मीडिया पर, मेरी राय में वह भद्रता की सीमा से परे का वीडियो था। उस वीडियो पर बहुत बेहूदा कमेंट आये पर वह वीडियो देखा बहुत गया।

वह मैडम खुश थीं, उनके पति उनसे ज्यादा खुश थे। व्यूज मिल जायें, तो खुश होना चाहिए, कमेंट की चिंता नहीं करनी चाहिए, यह सोशल मीडिया का नियम है। भद्र गृहिणियां ऐसे ऐसे डांस मचा रही हैं कि पुराने जमाने की कैबरे डांसर घबरा जायें। व्यूज मिल रहे हैं।

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भदेस टाइप के वीडियो को परम लफंगे टाइप के लोग देख रहे हैं। लाइक मिल रहे हैं व्यूज मिल रहे हैं और लाइफ में क्या चाहिए। हम विकट मूल्यों के पराभव के दौर में हैं। दिखाने वाले लफंगे, देखने वाले परम लफंगे। यह हो क्या रहा है।

घंटों घंटों रीलबाजी हो रही है। सब मगन हैं। मैं सोच रहा हूं कि यमराज सती सावित्री की कहानी बहुत पुराने वक्त में निपट गयी। अब तो कहानी ही बदल जाती। अब कहानी यूं होती कि यमराज आये सत्यवान के प्राण हरण करने के लिए। चतुर सावित्री कहती महाराज आये हैं तो कुछ अच्छी वीडियो रील बनाकर जाइये। बैठिये भैंसे पर मैं ही कुछ खींच देती हूं अच्छी रील। यमराज रील के लालच में आ जाते। उन्हें व्यूज का लालच आ जाता, लाइक का लोभ हो आता। दे दनादन वह रील बनाते, रील बनवाते। फिर भैंसा भी जि़द करता कि उसकी भी रील बननी चाहिए। इस सब रीलबाजी में इतना वक्त निकल लेता कि सत्यवान के प्राण हरण के तय समय की डेड लाइन समाप्त हो जाती। चतुर सावित्री प्राण हरण मैनुअल दिखाकर यमराज को बताती कि महाराज अब समय समाप्त हुआ आप अब सत्यवान के प्राण नहीं हर सकते।

कहानियां बदल रही हैं। पत्नी ने पति की हत्या इसलिए कर दी कि वह दिन-रात रील नहीं बनाने देता था। पति ने पत्नी की हत्या इसलिए कर दी कि वह दिन रात रील बनाती थी। पति-पत्नी के झगड़े की वजहें बदल रही हैं।

छात्र कहते हैं कि वो बहुत बिजी रहते हैं उनके पास टाइम नहीं है। और वो सब घंटों-घंटों रील बनाते रहते हैं और घंटों, घंटों रील देखते रहते हैं। एक रीलबाज एक सांड के साथ खड़े होकर वीडियो रील बना रहा था। सांड ने रीलबाज को दौड़ा लिया। सांडों के साथ रील तब तक न बनाओ, जब तक उनका तकनीकी विकास न हो जाये। कुत्ते भी ऐसे रीलबाजों को दौड़ा लेते हैं। समझते नहीं हैं, कुत्ते हैं न पर इंसान ही कौन से समझ रहे हैं। एक से एक उच्चस्तरीय बेहूदा रील बनाने में लगे हैं।

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