चीनी चुनौती के मुकाबले की क्षमता पर जोर
वर्तमान में पाकिस्तान और चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को अत्यंत आक्रामक बनाया जा रहा है। हिन्द महासागर क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए भारतीय नौसेना का मुख्य फोकस रणनीतिक रूप से चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने पर है।
वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के विध्वंसक आईएनएस राजपूत ने 3 दिसम्बर, 1971 को देर रात विशाखापट्टनम के पास गाज़ी पनडुब्बी पर हमला करके उसे डुबो दिया। इसमें सभी सवार पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए। इसके अगले दिन 4 दिसम्बर, 1971 की रात को ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया गया। इस अभियान में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर दिया। इसमें भी अनेक पाकिस्तानी नौसैनिकों की जानें चली गईं, लेकिन भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इस युद्ध की समाप्ति के बाद अगले वर्ष मई, 1972 में वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन हुआ, जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करने के लिए 4 दिसम्बर को भारतीय नौसेना दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया।
उसके बाद से भारतीय नौसेना की युद्धक तैयारियां लगातार जारी हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भी नौसेना ने अपनी युद्धक तैयारियों को प्रदर्शित करते हुए त्वरित तैयारी, आक्रामक युद्धाभ्यास और हथियारों के सटीक उपयोग के साथ पाकिस्तानी नौसेना को उसके बंदरगाहों के भीतर ही सीमित कर दिया था। उत्तरी हिन्द महासागर में ‘कैरियर बैटल ग्रुप’ की मौजूदगी ने दबाव बनाकर यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तानी नौसेना अपने तट के समीप या अपने बंदरगाहों के भीतर ही बनी रहे। ‘कैरियर बैटल ग्रुप’ वह नौसैनिक समूह है जिसमें एक या उससे अधिक विमानवाहक पोत के साथ-साथ अन्य विध्वंसक युद्धपोत, फ्रिगेट और पनडुब्बियां शामिल होती हैं। आज भी भारतीय नौसेना समुद्री मार्गों की सुरक्षा के साथ-साथ समुद्री डकैती और अन्य आपात स्थितियों में कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।
नौसेना की मुख्य संरचना तीन कमांड मुख्यालयों में विभाजित है। इनमें पूर्वी नौसेना कमांड का मुख्यालय विशाखापट्टनम में है और यह बंगाल की खाड़ी में संचालन का नियंत्रण करती है। दूसरी पश्चिमी नौसेना कमांड का मुख्यालय मुम्बई में है और यह अरब सागर में संचालन का नियंत्रण करती है, और तीसरी दक्षिणी नौसेना कमांड का मुख्यालय कोच्चि में है और यह प्रशिक्षण व तकनीकी कार्यों का संचालन व नियंत्रण करती है। वर्तमान में पाकिस्तान और चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को अत्यंत आक्रामक बनाया जा रहा है। हिन्द महासागर क्षेत्र में हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए भारतीय नौसेना का मुख्य फोकस रणनीतिक रूप से चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने पर है।
भारत की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के संदर्भ में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने चार नवम्बर, 2025 को कहा था कि नौसेना में हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी शामिल की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बल का लक्ष्य सन 2035 तक 200 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों का संचालन करना है। वर्तमान में भारतीय नौसेना तकरीबन 145 युद्धपोतों और पनडुब्बियों का संचालन कर रही है। भारतीय नौसेना में मानवरहित नौका शामिल की जा रही हैं। इसका नाम मातंगी रखा गया है। इन नौकाओं से नौसेना की निगरानी क्षमता काफी बढ़ जाएगी। इन नौकाओं का निर्माण स्वदेशी कंपनी सागर डिफेंस कर रही है। अभी चार बोट शीघ्र मिलने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसी कुल 12 बोट बनाई जा रही हैं। ये नौकाएं 60 से 65 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती हैं तथा इन्हें सेटेलाइट से संचालित किया जा सकता है।
भारतीय नौसेना ने समुद्री डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसी स्मार्ट तकनीक के परीक्षण में सफलता हासिल कर ली है। बीते दिनों नौसेना के कमांडर्स सम्मेलन में वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने बताया कि नौसेना की स्मार्ट तकनीक का परीक्षण सफल रहा है। इस परीक्षण में एक मॉडिफाइड जहाज पर 15,000 से ज्यादा सेंसर और एक कंप्यूटिंग नोड लगाए गए थे। लगभग दो वर्षों तक अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में इसके परीक्षणों के बाद अब अगले वर्ष से बनाए जाने वाले प्रत्येक युद्धपोत, फ्रिगेट्स और डेस्ट्रायर में यह तकनीक लगी होगी।
अंतरिक्ष से भी अब भारतीय नौसेना दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकेगी। इसके लिए इसरो ने 2 नवम्बर, 2025 को भारतीय नौसेना के लिए सीएमएस-03 (जीसैट-7आर) कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। यह उपग्रह नौसेना का अब तक का सबसे एडवांस्ड उपग्रह है। इसकी मदद से नौसेना को समुद्र में बेहतर संचार सुविधा और समुद्री क्षेत्र की निगरानी में बड़ी मदद मिलेगी।
समंदर में भारत की ताकत बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक युद्ध क्षमताओं से लैस स्वदेशी युद्धपोत तारागिरी को 28 नवम्बर, 2025 को मुम्बई स्थित मझगांव डाक शिप बिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल) में भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। प्रोजेक्ट-17ए श्रेणी के युद्धपोतों में पी-17 शिवालिक श्रेणी की तुलना में अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम लगाए गए हैं। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, एमएफएसटीएआर राडार, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, रॉकेट और तारपीडो शामिल हैं। इससे पहले स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस माहे 24 नवम्बर, 2025 को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया।
भारत का तीसरा स्वदेशी सर्वेक्षण पोत आईएनएस ‘इक्षक’ बीते 6 नवम्बर को भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है। अब भारतीय नौसेना के पास तीन ऐसे जहाज हो गए हैं। इससे पहले ‘संध्याक’ और ‘निर्देशक’ पिछले वर्ष नौसेना को मिल गए थे।
लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्रोफेसर रहे हैं।
