दुनिया में स्वच्छ जल की भारी किल्लत से जूझते देशों के लिए जल संरक्षण बेहद जरूरी है। भारत जैसे देशों में विशाल आबादी व बेतरतीब इस्तेमाल के चलते जलस्रोतों पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में जल बचत की जागरूकता व योजनाओं में आमजन की भागीदारी ही भविष्य में पानी की उपलब्धता यकीनी बना सकती है।
दीपक कुमार शर्मा
विश्व जल दिवस का उद्देश्य जल संसाधनों के महत्व को रेखांकित करना और उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, जो हर वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। वर्ष 2025 के जल दिवस की थीम ‘ग्लेशियर संरक्षण’ जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे जल स्रोतों, विशेष रूप से ग्लेशियरों, पर केंद्रित है। भारत, जहां नदियां लाखों लोगों की जीवनरेखा हैं, जल संकट की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। बढ़ती जनसंख्या, अनियंत्रित शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और कृषि में अत्यधिक जल दोहन ने संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डाला है। भूजल स्तर में गिरावट, प्रदूषित जल स्रोत और अनियमित मानसून इस संकट को और गहरा रहे हैं। जल संरक्षण के बिना सतत विकास की कल्पना अधूरी है। विभिन्न सरकारी योजनाएं जल प्रबंधन को लेकर प्रयास कर रही हैं, लेकिन इनका वास्तविक प्रभाव तभी संभव है जब जनता सक्रिय रूप से भागीदारी करे।
भारत आबादी के हिसाब से सबसे बड़ा देश है। दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी हमारे देश में रहती है। वहीं जब हम साफ पानी की बात करते हैं तो पानी को लेकर स्थिति उतनी अनुकूल नहीं, जितनी नजर आती हैं। इस प्रसंग में बता दें कि ब्राजील में दुनिया में सबसे ज्यादा साफ पानी मौजूद है। जबकि खाड़ी के मुल्क कुवैत में सबसे कम साफ पानी है। जबकि भारत साफ पानी को लेकर आठवें स्थान पर है जहां 1911 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है। पानी की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के 20 शहरों की सूची में पांच शहर भारत के हैं। दूसरे स्थान पर दिल्ली, छठे स्थान पर कोलकाता, 18वें स्थान पर चेन्नई, 19वें में स्थान पर बेंगलुरु और 20वें में स्थान पर हैदराबाद है। बेंगलुरु में पिछले साल मार्च महीने में गंभीर जल संकट पैदा हुआ जिसका प्रमुख कारण वर्षा की कमी और कावेरी नदी में जल स्तर का गिरना था, जिससे शहर के कई बोरवेल सूख गए थे। बेंगलुरु में तेजी से हो रहे शहरीकरण और जल निकायों पर अतिक्रमण ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया था। हमारे देश में बड़ी तेजी से लोग रोजगार के लिए, जीवन स्तर में सुधार की चाहत बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गांवों से निकलकर शहरों की ओर आ रहे हैं। जिस कारण हमारे शहरों पर साफ पानी और सीवरेज व्यवस्था को लेकर अत्यधिक दबाव बनता जा रहा है।
जल संकट से निपटने के लिए भारत में जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है। इस मिशन की सफलता जनभागीदारी पर निर्भर करती है, क्योंकि केवल सरकार के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। यदि लोग जल संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी समझें, तो इस अभियान की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। जल जीवन मिशन के तहत जल गुणवत्ता की निगरानी, सामुदायिक भागीदारी, प्रशिक्षण और सूचना प्रसार जैसी पहल की गई हैं। गांव जल एवं सीवरेज समितियों को जल आपूर्ति योजनाओं के संचालन और प्रबंधन में विशेष भूमिका दी गई है। यह पहल केवल जल आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि जल संरक्षण को लेकर एक सामूहिक सोच विकसित करने की दिशा में भी कार्य कर रही है। इसके अलावा, अमृत सरोवर योजना जल संरक्षण की दिशा में एक और प्रभावी कदम है, जिसके तहत देशभर में 50,000 से अधिक जलाशयों का निर्माण और पुनर्जीवन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भूजल स्तर को पुनः भरना, कृषि क्षेत्र को जल आपूर्ति सुनिश्चित करना और स्थानीय समुदायों को जल संरक्षण में भागीदार बनाना है। यदि प्रत्येक गांव-कस्बे में लोग अपने क्षेत्र के जल स्रोतों की देखभाल के लिए आगे आएं, तो यह योजना जल संकट से निपटने में कारगर हो सकती है।
जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा में वर्ष 2020 में जल संसाधन प्राधिकरण का गठन किया गया है जो राज्य में जल संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन के लिए समर्पित है। इस प्राधिकरण ने आमजन को जागृत करने के लिए एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें प्रदेश के प्रत्येक गांव के भूजल स्तर का ब्योरा है कि वर्ष 2010 में कितना था और 2020 में कितना। हरियाणा के 7287 गांवों में से 1948 गांव अत्यधिक भूजल संकटग्रस्त गांव की श्रेणी में आते हैं जो चिंता का विषय है। हरियाणा में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और इसका जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन जल संरक्षण को लेकर जागरूक कर रहे हैं। हरियाणा में जल संरक्षण को लेकर 1 अप्रैल, 2025 से एक और पहल की जा रही है। ग्रामीण पेयजल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन और रखरखाव के लिए सामुदायिक साझेदारी के आधार पर 4,713 एकल गांव जलापूर्ति पंचायत को देने जा रही है। जिसमें ग्राम जल एवं सीवरेज समिति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वहीं अब स्वयं सहायता समूह की सदस्य गांव में पेयजल आपूर्ति में अहम भूमिका निभएंगी।
दरअसल, जनभागीदारी के बिना जल संरक्षण की दिशा में सफलता नहीं मिल सकती। सरकारें योजनाएं बना सकती हैं, वित्त आवंटित कर सकती हैं। मगर लोगों की भागीदारी से ही धरातल पर योजनाएं काम कर पाएंगी। आमजन जल संरक्षण का महत्व समझें व जिम्मेदारी निभाएं तभी आने वाली पीढ़ी को पानी दे सकेंगे।