शशांक द्विवेदी
पिछले दिनों देश में मंकीपॉक्स के केस की पुष्टि हो गयी है। इस वायरस से केरल में पहला व्यक्ति संक्रमित हुआ है जो कि संयुक्त अरब अमीरात से लौटा है। इस शख्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। भारत में इस वायरस के मिलने से टेंशन बढ़ गई है। कोरोना वायरस के कहर के बाद अब मंकीपॉक्स वायरस बड़ी तेजी से दुनिया में अपने पैर पसार रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अब तक दुनिया के 75 देशों में इसके 11634 से अधिक पुष्ट मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह 1,500 संदिग्ध मामलों पर नजर रखी जा रही है। यदि डब्ल्यूएचओ इसे अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करता है तो इसे कोरोना महामारी के समान पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा माना जाएगा और इसके उपचार के लिए विशेष प्रयास और योजनाएं तैयार की जाएंगी।
मंकीपॉक्स वायरस ने दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। इस बीच कुछ विशेषज्ञों ने इसकी गंभीरता को देखते हुए इसका बिना भेदभाव और बिना स्टिग्मा वाला नाम रखने की मांग की है।
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गई बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है। इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फनोड्स की सूजन से शुरू होते हैं, फिर चेहरे और शरीर पर दाने पड़ने लगते हैं। अधिकांश संक्रमण 2-4 सप्ताह तक चलता हैं।
दरअसल, मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट ट्रीटमेंट नहीं है। हालांकि, अमेरिका में मंकीपॉक्स और चेचक के खिलाफ एक वैक्सीन को लाइसेंस दिया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, चेचक, खसरा, बैक्टीरियल स्किन इनफेक्शन, खुजली और दवाओं से होने वाली एलर्जी मंकीपॉक्स से अलग होती है। साथ ही मंकीपॉक्स में लिंफनोड्स में सूजन होती है, जबकि चेचक में ऐसा नहीं होता है। इसका इनक्यूबेशन पीरियड (इनफेक्शन से सिम्प्टम्स तक का समय) आमतौर पर 7-14 दिनों का होता है, लेकिन यह 5-21 दिनों का भी हो सकता है।
मंकीपॉक्स को कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों जैसे कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन में स्थानिक बीमारी के रूप में सूचित किया गया है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इस्राइल और स्विट्ज़रलैंड जैसे कुछ देशों में भी मामले सामने आए हैं। फ़िलहाल भारत में इसके दो केस पाये गये हैं। मंकीपॉक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित देश ब्रिटेन है। ब्रिटेन में अब तक 300 से अधिक मामले सामने आए हैं।
मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच अब भारत सरकार ने गाइडलाइन जारी कर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस यूनिट्स को इस तरह के एक भी मामले को गंभीरता से लेने के लिए कहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो टेस्टिंग के बाद ही इसे कन्फर्म माना जाएगा। गाइडलाइन में मामलों और संक्रमणों के समूहों और इसके स्रोतों की जल्द से जल्द पहचान करने के लिए एक सर्विलांस स्ट्रैटेजी बनाने की बात कही गई है।
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने प्रकोप की ‘आपातकालीन प्रकृति’ की तरफ इशारा किया है और कहा है कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ‘तेजी से कदम उठाने’ की जरूरत है।