आलोक पुराणिक
बहुत अरसे बाद अंबेसडर कार दिखी, सड़क पर चलती हुई, अचानक से दिलीप कुमार याद आ गये। दिलीप कुमार का बहुत भारी जलवा रहा है फिल्मों में, वैसा जलवा अंबेसडर कार का रहा है। लाइन लगाकर लोग खरीदते थे। हालांकि एक वक्त में लाइन तो लगभग हर चीज के लिए लगा करती थी। फोन के लिए भी लाइन लगती थी और फोन के बिल की पेमेंट करने के लिए भी लाइन लगती थी।
नयी पीढ़ी के लिए कारों के लिए कई ब्रांड हैं। पुराने लोग बता सकते हैं कि कारों के बहुत गिने-चुने ब्रांड होते थे। अंबेसडर कारों का जलवा था, पुरानी फिल्मों में टॉप क्लास स्मगलर और नेता अफसर वगैरह सब अंबेसडर में चलते थे।
एक कार का इश्तिहार था—करीब 30 लाख रुपये की कार थी, नाम इस कार का ब्रिटिश जैसा था, पर यह कंपनी चाइनीज है। चाइनीज बहुत शाणे लोग हैं, ब्रिटिश भेष में घुसते हैं। खैर, इंडिया की पब्लिक को तो चीनी भेष से भी चिंता नहीं है। एक चीनी मोबाइल कंपनी बता चुकी है कि एक हफ्ते में इसने पचास लाख फोन बेच लिये। ब्रिटिश हो या चाइनीज या इंडियन पब्लिक को सस्ता और टिकाऊ माल चाहिए। स्वदेशी का हल्ला काटने वाले भारतीय उद्यमियों को भारतीय जनता से अपेक्षा यह है कि वह स्वदेशी के नाम पर घटिया और महंगा खरीदे। पब्लिक बहुतै शाणी है वह गांधीजी की बात मानकर दे दनादन खादी खऱीदती है, पर डिस्काउंट पर मिले तो। स्वदेशी सस्ता और टिकाऊ मिले तो पब्लिक स्वदेशी हो जाती है, गांधीवादी तक हो जाती है। वरना तो पब्लिक को चाइनीज होने में दो सेकंड न लगता।
चाइनीज ब्रिटिश धज में आते हैं। चाइनीज का मामला बहुत गहरा है, घनघोर भारतीय लगने वाले ब्रांड को तलाशे तो वह भी चाइनीज निकल सकता है। चाइनीज क्रिकेट न खेलते पर क्रिकेट के टूर्नामेंट स्पांसर करने में गुरेज न करते।
खैर, अंबेसडर देखकर दिलीप कुमार याद आये। दोनों की बाजार में इन दिनों वह पूछ नहीं है। अंबेसडर एक वक्त धुआंधार चलती थी। धुआंधार चलने की एक वजह यह थी कि कार बनाने का लाइसेंस कुछ ही कंपनियों को मिला हुआ था। कम कंपनियों को लाइसेंस मिले और कंपीटिशन न हो, तो कुछ भी चल सकता है। सरकारी फोन भी उन दिनों खूब चलते थे, क्योंकि वे ही चल सकते थे, किसी भी प्राइवेट कंपनी को फोन सर्विस चलाने का लाइसेंस हासिल नहीं था। कुछ न दिखे टीवी पर, तो बंदा कृषि दर्शन तक देख सकता था, रोज।
मानने को कुछ भी माना जा सकता है, पर यह जरूर माना जाना चाहिए कि दिलीप कुमार सुपर एक्टर थे, पर यह बात अंबेसडर के बारे में नहीं कही जा सकती है कि यह सुपर कार थी।