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बाढ़ प्रभावित पंजाब में ड्रोन की राहतकारी क्षमताएं

पंजाब के लिए बाढ़ हर मानसून में आने वाली चुनौती बनी हुई है। नदियां और नहरें जलमग्न करती हैं, फसलें व परिवार डूब जाते हैं। जब तक अधिकारी पहुंचते हैं नुकसान और बढ़ जाता है। ड्रोन का इस्तेमाल इसमें महत्वपूर्ण...
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पंजाब के लिए बाढ़ हर मानसून में आने वाली चुनौती बनी हुई है। नदियां और नहरें जलमग्न करती हैं, फसलें व परिवार डूब जाते हैं। जब तक अधिकारी पहुंचते हैं नुकसान और बढ़ जाता है। ड्रोन का इस्तेमाल इसमें महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। अगर सही से तैनात किए जाएं, तो ड्रोन पंजाब के बाढ़ प्रबंधन को प्रतिक्रियात्मक राहत व्यवस्था से सटीक प्रणाली की ओर ले जा सकते हैं यानी नुकसान में कमी, सुधार में तेज़ी।

निम्न-ऊंचाई हवाई सेवा यानि ड्रोन-सर्विस आर्थिकी एक उभरता हुआ पारिस्थितिक तंत्र है जिसमें रसद, सामान, कृषि, निगरानी और स्वास्थ्य सेवा के तौर-तरीके बदलने की क्षमता है, ये सभी हवा में 1,000 मीटर की ऊंचाई तक काम करते सकते हैं। ड्रोन तकनीक में उन्नति और हवाई गतिशीलता में प्रगति से यह प्रणाली कई स्तरों पर फैली हुई है : तत्काल वस्तु डिलीवरी और शहरी प्रबंधन (0-120 मीटर ऊंचाई), एक्सप्रेस माल ढुलाई (120-300 मीटर), और मानवयुक्त इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (ईवीटोल) विमान (300-1,000 मीटर)। वैश्विक स्तर पर, ड्रोन बाजार 2024 में 73 बिलियन अमेरिकी डॉलर से, लगभग 14 प्रतिशत वार्षिक चक्र वृद्धि दर पाकर, 2030 तक लगभग 164 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

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निम्न-ऊंचाई हवाई सेवा क्षेत्र, जो हमारे खेतों और शहरों के ठीक ऊपर का आकाश है, आधुनिक अर्थव्यवस्था की सबसे मूल्यवान अग्रणी प्रणाली में से एक बन गया है। कल्पना कीजिए, ड्रोन बाढ़ग्रस्त फसलों की मैपिंग कर रहे हैं, खेतों में सटीक स्प्रे कर रहे हैं, दवाएं पहुंचा रहे हैं, या ई-एयर टैक्सियों को ट्रैफ़िक लांघने में सक्षम कर रहे हैं, और ये सभी एआई द्वारा समन्वित हैं। सवाल है, पंजाब अपनी सबसे गंभीर चुनौतियों से निपटने को इस सीमांत क्षेत्र का कैसे उपयोग कर सकता है?

वर्ष 1988 के बाद से पंजाब अपनी सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। जिसमें 1,400 से ज़्यादा गांव जलमग्न हुए, 37 लोगों की जान गई और करीब 3.75 लाख एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हुई है। सभी 23 ज़िलों के 3.5 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन और होशियारपुर पर असर सबसे ज़्यादा रहा। बाढ़ ने घरों और फसलों को तबाह कर दिया, सड़कें टूट गईं जिससे राहत पहुंचाने में मुश्किलें आईं। छोटे किसानों के लिए, यह झटका गंभीर है : जहां बीज, उर्वरक और ईंधन लागत पुनः मुंह बाए खड़ी है, जबकि आय संभावना खत्म हो गई। राहत का वादा किया है, लेकिन अक्सर यह धीमी व नाकाफी होती है। ड्रोन से मैपिंग और राहत कार्य जीवन रेखा साबित हो सकती है, जिससे नुकसान का आकलन, पुन: बुवाई योजना निर्माण व प्रभावी सहायता देने में मदद मिल सकती है।

बाढ़ आना पंजाब के लिए निरंतर चुनौती बनी हुई है। लगभग हर मानसून में, उफनती नदियां और किनारे तोड़कर नहरें गांव जलमग्न करती हैं, फसलें और परिवार डूब जाते हैं। यह पारंपरिक ज़मीनी आकलन की मुश्किलों को और बढ़ा देता है; जब तक अधिकारी पहुंचते हैं नुकसान और बढ़ चुका होता है। ड्रोन का इस्तेमाल इसमें नाटकीय बदलाव ला सकता है। कुछ ही घंटों में, वे डूबे हुए खेतों, टूटे तटबंधों और क्षतिग्रस्त नहरों का नक्शा पा सकते हैं, राहत दलों का मार्गदर्शन कर सकते हैं और भोजन व दवाइयों के लिए सुरक्षित स्थानों की पहचान कर सकते हैं। वे दिखा सकते हैं कि कौन से खेत कृषि योग्य बचे हैं, विश्वसनीय बीमा प्रमाण तैयार कर सकते हैं और संवारे तटबंधों और जल निकासी नेटवर्क की निगरानी कर सकते हैं। अगर सही से तैनात किए जाएं, तो ड्रोन पंजाब के बाढ़ प्रबंधन को प्रतिक्रियात्मक राहत व्यवस्था से सटीक प्रणाली की ओर ले जा सकते हैं : नुकसान में कमी, सुधार में तेज़ी और लचीलापन।

भारतभर के उदाहरण इन संभावनाओं को बताते हैं। विजयवाड़ा (2024) में, ड्रोन ने बाढ़ में फंसे 5,000 से ज़्यादा लोगों तक प्रति घंटे 200 बार राहत सामग्री पहुंचाई। पंजाब में भी पटियाला मेंे प्राकृतिक जल प्रवाह मैपिंग करने को ड्रोन तैनात किए हैं, जिससे डूबे क्षेत्र का मानचित्रण जारी है, जो बेहतर जल निकासी और बाढ़-रोधी बुनियादी ढांचे का मार्गदर्शन करते हैं।

हालांकि, बाढ़ पंजाब के कृषि संकट का केवल एक हिस्सा है। भूजल मे तीव्र गिरावट, रसायनों पर बढ़ती निर्भरता व व्यस्त मौसम में मज़दूरों की कमी तो है ही, जलवायु परिवर्तन मौसम को भी अनिश्चित बना रहा है। कृषि आय ठहरी है लेकिन लागत बढ़ती जा रही है। क्या हो यदि समाधान हमारे सिर के ऊपर ही तैर रहे हों? यहीं पर कम ऊंचाई हवाई तंत्र एक बड़ा बदलाव ला सकता है। ड्रोन कीटनाशकों का सटीक स्प्रे करके, रसायनों की बचत और किसानों की सेहत की रक्षा कर सकते हैं। मिट्टी और नमी का मानचित्रण सिंचाई और उर्वरकों के उपयोग में दिशा दे सकता है, जिससे लागत और पानी की बचत होगी। ड्रोन कीटों और पोषक तत्वों की कमी का पता जल्द लगा सकते हैं, और पराली जलाने की समस्या से निबटने में भी मदद कर सकते हैं। बागवानी में भी ड्रोन सर्वेक्षणों से लाभ हो सकता है।

निम्न-ऊंचाई हवाई तंत्र पंजाब की बड़ी समस्याएं हल कर सकता है : जल, कीटनाशक, श्रम और आपदाएं। किसानों के लिए, इसका अर्थ है कम लागत, स्वस्थ फसलें और जल्द राहत। राज्य के लिए, अर्थ है तेज़, सस्ती व प्रभावी सेवाएं। पंजाब को चार स्तंभों पर आधारित समर्पित निम्न ऊंचाई हवाई मिशन शुरू करना चाहिए। प्रथम है नीति : कृषि, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे में ड्रोन इस्तेमाल अनुमति के लिए सिंगल विंडो मंजूरी प्रणाली। दूसरा, बुनियादी ढांचा : मंडियों, पशु चिकित्सा केंद्रों और मेडिकल कॉलेजों में ज़िला-स्तरीय ड्रोन-पैड और चार्जिंग स्टेशन, जिन्हें जरूरत में राज्य के तंत्र से मदद मिले। तीसरा उद्योग समर्थन : ड्रोन निर्माण, बैटरी और मरम्मत केंद्रों के लिए प्रोत्साहन संग निम्न-ऊंचाई हवाई तंत्र, यह युवाओं के लिए रोज़गार पैदा करने के साथ-साथ स्थानीय आपूर्ति शृंखलाओं का निर्माण करेगा। चौथा स्तंभ, मांग एकत्रीकरण : स्प्रे, निरीक्षण और वितरण संबंधी पूर्वानुमानित राज्य अनुबंध, जिससे स्टार्ट-अप्स को छोटे किसानों को किफ़ायती सेवाएं देने का भरोसा मिलेगा।

पंजाब का शैक्षणिक आधार इस मिशन की नींव बन सकता है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय फसल-विशिष्ट के लिए छिड़काव प्रोटोकॉल और जल-बचत संबंधी परामर्श तैयार कर जारी सकता है। इंजीनियरिंग संस्थान एआई सिस्टम, सेंसर और कोल्ड-चेन वितरण विधियों में नवाचार कर सकते हैं। जीवंत प्रदर्शन प्रयोगशालाएं ड्रोन-खेती का नमूना पेश कर सकती हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को ड्रोन पायलट, मरम्मत तकनीशियन और डेटा ऑपरेटर के रूप में प्रशिक्षित कर सकते हैं। बठिंडा में ‘ड्रोन दीदी’ जैसी पहल, जिसमें महिला किसान ड्रोन-स्प्रे सेवा प्रदान कर कमाई कर रही हैं, और पीएयू का नया डीजीसीए-अनुमोदित ड्रोन ट्रेनिंग केंद्र, पहले ही भविष्य की राह दिखा रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर चीन का निम्न-ऊंचाई वाले ड्रोन नवाचारों में दबदबा है। यूरोप और अमेरिका चिकित्सा आपूर्ति और शहरी गतिशीलता के लिए ‘समर्पित ड्रोन कॉरिडोर’ बना रहे हैं। भारत ने भी डिजिटल स्काई प्लेटफ़ॉर्म, स्थानीय ड्रोन निर्माण और मेडिकल ड्रोन पायलटों के साथ शुरुआत की है। पंजाब, अपनी सघन खेती, मज़बूत उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के साथ, बड़े पैमाने पर इन प्रयासों का नेतृत्व करने को विशिष्ट स्थिति में है।

पंजाब के लिए, यह दृष्टिकोण व्यावहारिक व फौरी जरूरत है : जल बचत, कीटनाशक इस्तेमाल में कमी लाना, फसल सुरक्षा, बाढ़ राहत में तेज़ी और रोजगार सृजन। अगर इन्हें सड़क, बिजली और ब्रॉडबैंड जैसे बुनियादी ढांचे के रूप में देखा जाए, तो कम ऊंचाई हवाई सेवाएं कुछ ही वर्षों में परिणाम दे सकती है।

पंजाब का आसमान एक ऐसा कार्यस्थल है जिसके अपने सृजन का इंतज़ार है। अगर पंजाब साहसपूर्वक और तेज़ी से काम करे, तो यह पहल छिपे संकटों को अवसरों में बदल सकती है और अपने किसानों एवं युवा, दोनों के लिए, एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित कर सकती है। ड्रोन बाढ़ को तो रोक नहीं सकते, लेकिन वे पंजाब की आपदा को पुनरुत्थान और आशा में बदलने में मदद कर सकते हैं।

लेखक जीएनडीयू, अमृतसर में प्रोफेसर रहे हैं।

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