गधे नाराज हैं डंकी रूट कहे जाने पर
लोग पासपोर्ट से नहीं, गधे के दिमाग से सोचने लगे हैं। यही वजह है कि अवैध रास्तों को बड़े प्यार से ‘डंकी रूट ’ कहा जाता है क्योंकि इस रास्ते पर चलने वाले गधे नहीं तो क्या होते हैं?
एक बड़ी विदेशी कंपनी को पहाड़ी इलाके में सड़क बनाने का बड़ा ठेका मिल गया। विदेशी इंजीनियर ने सर्वे के दौरान एक पहाड़ी ठेकेदार से पूछा आप लोग पहाड़ी इलाकों में सड़क का नक्शा कैसे बनाते हो? जवाब मिला कि हम गधे पर चूने की बोरी लादकर उसमें सुराख कर देते हैं और उसे पहाड़ पर छोड़ देते हैं। गधा पहाड़ों पर जिस रास्ते से जाता है, वहां चूने के निशान देखकर हम समझ जाते हैं कि सड़क कहां बनानी है। विदेशी यह जवाब सुनकर चकरा गया और पूछने लगा, क्या आपके यहां सड़क का नक्शा इंजीनियर नहीं बनाते? देसी ठेकेदार मुस्कुराते हुए बोला, बनाते हैं, जहां गधे नहीं मिलते वहां इंजीनियर ही बनाते हैं।
गधा अपने आप में एक विचित्र जीव है। पर आजकल गधे नाराज़ हैं क्योंकि उन्हें मूर्खता का ब्रांड एम्बेसडर कहा जाता है। जबकि उनकी न तो किसी से दुश्मनी, न किसी से दोस्ती। बस अपनी चाल चलने में व्यस्त। वह न किसी को धोखा देता है, न किसी की नौकरी खाता है। न किसी की कुर्सी छीनता है। दुनिया में उससे ज्यादा निर्दोष कोई जीव नहीं है। न वह विदेश जाना चाहता है। न उसे पासपोर्ट चाहिए न वीजा, न उसे डाॅलर प्यारा है न पाउंड।
इंसान वह जीव है जो गधे को गधा कहता है और उसी रास्ते पर चल भी पड़ता है। गधा कभी सीमा पार नहीं करता पर इंसान गधे के नाम पर जंगल, पहाड़, समुद्र सब पार कर देता है। ऐसी अक्ल देखकर गधा भी अपने कान हिलाकर सोचता होगा कि नाम मेरा खराब है पर असली बेवकूफ कौन यह सबको पता है। यह बात साफ-साफ समझ ली जानी चाहिए कि दुनिया में अब तक जितना गधापन हुआ है, उसमें गधों का हाथ सबसे कम है।
डंकी मार्ग- सपनों का नहीं, मूर्खताओं का शॉर्टकट है। विदेश जाना कोई बुरी बात नहीं पर मूर्ख बनकर विदेश जाना सबसे बड़ी बुराई है और आजकल हमारे यहां इतना फैशन हो गया है कि लोग पासपोर्ट से नहीं, गधे के दिमाग से सोचने लगे हैं। यही वजह है कि अवैध रास्तों को बड़े प्यार से ‘डंकी रूट ’ कहा जाता है क्योंकि इस रास्ते पर चलने वाले गधे नहीं तो क्या होते हैं? बर्फ में जमकर, समुद्र में डूबकर या किसी सीमा पर गोली खाकर उनकी लाश वापस आती है तब पता चलता है कि असली डंकी कौन है।
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एक बर की बात है अक नत्थू स्कूल म्हं गध लेकै पहोंच ग्या। सुरजा मास्टर गुस्से म्हं बोल्या- यो सांग क्यूकर? नत्थू बोल्या- थम कह्या करो अक मैं बड्डे तै बड्डे गधे ताहिं माणस बणा सकूं हूं तो मन्नै सोच्ची अक इसका भी किमें भला हो ज्यै।
