आजकल नकल करने का फेस्टिवल पूरे यौवन पर है। हर साल यह फेस्टिवल खासकर मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। और फिर ज्यों-ज्यों परीक्षाओं में पर्चों की संख्या बढ़ती जाती है त्यों-त्यों नकल करवाने का यह फेस्टिवल यौवन को प्राप्त करने लगता है।
नकल के फेस्टिवल में जहां देखो, आदर्श परीक्षा भवन के बाहर चोरी-छिपे, खुलकर नकल करवाने वाले अधिक तो आदर्श परीक्षा भवन के अंदर परीक्षा देने वाले कम। आदर्श परीक्षा भवन के बाहर किताबें फटी हुईं। आदर्श परीक्षा भवन के शौचालय किताबों से भरे हुए। इस फेस्टिवल में आदर्श परीक्षा भवन के शौचालयों का इन दिनों शौच जाने को प्रयोग कम, वहां नकल छिपाने को अधिक होता है।
गया वह जमाना जो अक्ल का जमाना था। तब अक्ल को नकल से ग्रेट माना जाता था। नकलची को हेय दृष्टि से देखा जाता था। आज का जमाना नकल का जमाना है।
और लीजिए! पलक झपकते ही अपनी आंख तक बचाकर आदर्श परीक्षा भवन पर नकल पकड़ने आए दस्ते के किसी खास ने अपने फोन के माध्यम से प्रश्नपत्र की फोटो खींच प्रश्नपत्र लीक कर दिया। जिसने यह सद्कर्म किया है, इस मॉडल परीक्षा सेंटर में उनकी सुश्री सालीजी पेपर दे रही हैं। सुश्री सालीजी की सहायता के लिए ही जीजाश्री ने नकल पकड़ने वाले दस्ते में अपनी खास ड्यूटी लगवा रखी है ताकि जीजाश्री प्रथम श्रेणी में सुश्री सालीजी साहिबा को पास करवा सकें। जीजाश्री का अपनी घरवाली के प्रति कोई कर्तव्य हो या न, पर सुश्री सालीजी के प्रति तो होता ही है।
अब जरा और पास से देखिए! अपने फोन पर प्रश्नपत्र पा नकल करवाने वालों की बांछें कैसे खिल उठी हैं। उनके चेहरों की रौनक देखने लायक है, मानो उन्होंने महाभारत जीत लिया हो। वैसे भी प्रश्नपत्र का आदर्श परीक्षा भवन में दम घुट रहा था। आदर्श परीक्षा भवन से बाहर आकर उसने भी राहत की सांस ली है।
इधर-उधर व्हाट्सएप पर भेजे प्रश्नपत्र के उत्तर खोजने के लिए किताबें फटाफट फटने लगी हैं। धड़ाधड़ किताबों से आए प्रश्नों के उत्तर काटे-छांटे जा रहे हैं। सब हाथों में पर्चियां, जेबों में पर्चियां लिए अपने-अपने परीक्षार्थी तक पर्चियां पहुंचाने के इंतजाम में जुटे हैं। न किसी को धूप की परवाह है न प्यास की चिंता!
कुछ ने तो अपनी जान हथेली पर रख चौथी मंजिल पर स्थित आदर्श परीक्षा भवन के लिए पानी की पाइपों के सहारे कूच भी कर दिया है। वे सिर पर कफन बांधे नकल करवाने को पर्चियां जेब में लिए निकल पड़े हैं। पर्चियां लेकर वे आदर्श परीक्षा भवन तक पहुंचे तो उनके कैंडिडेट की किस्मत के दरवाजे खोले।