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आम उपभोक्ता को मिले घटी ब्याज दरों का लाभ

रेपो रेट में कटौती

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यदि आम आदमी को सस्ते कर्ज का लाभ मिलेगा, तो ईएमआई में कमी आएगी और ऋण लेने वालों को फायदा होगा। इससे घरों और वाहनों की मांग बढ़ेगी और रियल स्टेट उद्योग को ब्याज दरों में कटौती से राहत मिलेगी।

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा हाल में ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर रेपो रेट में 25 आधार अंकों की जो कटौती की गई है, उसका लाभ बैंकों द्वारा विभिन्न वर्ग के ग्राहकों तक पहुंचाया जाना जरूरी है।

हाल ही में आरबीआई द्वारा आयोजित मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट को घटाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया गया है। इस फैसले के पीछे प्रमुख कारण देश में महंगाई का कम होना और जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.3 प्रतिशत होना बताया गया है। इसके अतिरिक्त, आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी को दूर करने और इसकी पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की योजना बना रहा है। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर घटाने का प्रमुख कारण महंगाई पर नियंत्रण है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2025 में खुदरा महंगाई पिछले 10 साल के न्यूनतम 0.25 प्रतिशत पर और थोक महंगाई 27 महीने के निचले स्तर 1.21 प्रतिशत से नीचे आ गई। महंगाई में यह कमी मुख्यतः सब्जियां, फल, अंडे, फुटवियर, अनाज और उससे बने उत्पाद, बिजली, परिवहन और संचार जैसी वस्तुओं के दामों में गिरावट के कारण हुई है। इसके अलावा, हालिया जीएसटी सुधारों ने भी महंगाई नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर, 2025 में शाकाहारी थाली की कीमत 27.8 रुपये और मांसाहारी थाली की कीमत 54.4 रुपये रही। विभिन्न शोध रिपोर्टों में, बेहतर खाद्यान्न उत्पादन और अच्छे मानसून के कारण कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों को मिल रही अनुकूलताओं के चलते आगामी महीनों में महंगाई और कम हो सकती है।

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भारत के विकास पर कई रिपोर्टों में कहा गया है कि टैक्स व महंगाई घटने से अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधर रही है, लेकिन तेज विकास के मद्देनजर कर्ज सस्ता किए जाने की जरूरत लगातार बनी हुई है।

रेटिंग एजेंसियों के अनुसार सरकार के बड़े फैसलों से उपभोग आधारित बढ़ोतरी को बढ़ावा मिलेगा। ‘जीएसटी की कम दरें मध्यम वर्ग के उपभोग को बढ़ावा देंगी और इस वर्ष शुरू की गई आयकर कटौती एवं ब्याज दरों में कटौती का पूरक बनेंगी। इन बदलावों से चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में निवेश की तुलना में उपभोग वृद्धि का एक बड़ा चालक बन सकता है।’

उल्लेखनीय है कि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की मध्यवर्ती आर्थिक समीक्षा में कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाए जाने और महंगाई में कमी का लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को मिला है। लेकिन अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक आर्थिक मुश्किलों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का अपनी क्षमता के मुताबिक बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उद्योगों और व्यापार को आर्थिक और वित्तीय सहारा जरूरी है।

विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विकास की डगर पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब भारत को 2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आर्थिक-वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने तथा उद्योग-कारोबार के लिए आसान ब्याज दरों पर कर्ज जुटाकर निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत बताई गई है।

अब ब्याज दर घटाए जाने के कारण सस्ते कर्ज से आर्थिक गतिविधियों में तेजी की संभावना विकास दर को बढ़ाने के लिए सकारात्मक संदेश है। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति को मजबूत बनाने, निवेशकों का विश्वास बढ़ाने, अर्थव्यवस्था को व्यापक आर्थिक विवेक से प्रबंधित करने, उद्यमियों को नीतिगत स्थिरता, नवाचार एवं वृहद आर्थिक नीति उपलब्ध कराने के मद्देनजर सस्ता कर्ज लाभप्रद होगा। सस्ते कर्ज के कारण विदेशी निवेश भी बढ़ेंगे।

ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के विकास को प्रोत्साहित करेगा। सस्ते कर्ज के चलते स्थानीय और घरेलू बाजार तेजी से बढ़ेंगे और बैंक व वित्तीय संस्थाओं की स्थिरता बनी रहेगी। यदि आम आदमी को सस्ते कर्ज का लाभ मिलेगा, तो ईएमआई में कमी आएगी और ऋण लेने वालों को फायदा होगा। इससे घरों और वाहनों की मांग बढ़ेगी और रियल स्टेट उद्योग को ब्याज दरों में कटौती से राहत मिलेगी, खासकर मकानों की बिक्री में आई गिरावट के बाद। उम्मीद करें कि घटी हुई ब्याज दर से सभी वर्ग के बैंक ग्राहक लाभान्वित होंगे।

लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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