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आज मोहब्बत जंग है... लड़के पिस्तौल-चाकू रखते हैं, लड़कियां साजिशें

व्यंग्य/तिरछी नज़र
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शमीम शर्मा

लगता है आज इश्क की हर कहानी का अगला पड़ाव या तो कब्र है या कचहरी। घर से लड़कियां निकलती तो हैं एक मीठी-सी मुलाकात के लिये पर वापस आती हैं सूटकेस में बंद। मजनूं अपनी लैला को मारकूट कर फ्रीजर में रख देता है। लैला अपने दोस्तों को कहती है- चलो पत्थर से मारो मेरे दीवाने को। इश्क अब ‘दिल टूटने’ तक सीमित नहीं रहा, सिर फूटने तक जा पहंुचा है। प्यार से अगर कोई लड़का कहे कि तुम मेरी जान हो, तो पूछना पड़ेगा- बचाओगे या लोगे? प्रेमिका भी अब उसे अपनी गोद में नहीं बल्कि आगोश में लेकर हमेशा के लिए सुला देती है। सिर फोड़ना, गला दबाना और लाश ठिकाने लगाना रोमांस के नए ट्रेंड बनते जा रहे हैं। अब डर लगने लगा है प्रेम कहानियों से।

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ये इश्क नहीं आसां बस अदालत की तारीख है। प्यार खून का रिश्ता तो नहीं होता पर प्रेमी खूनी होते जा रहे हैं। प्यार अब न ग़ज़ल है, न गीत है, बस फुटेज और सबूत है। पहले प्रेमपत्र चलते थे, अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट चल रही है। कभी इश्क गुलाब हुआ करता, अब एफआईआर का नंबर है। कभी प्यार में लोग चांद-तारे तोड़ लाने की बात करते थे, आजकल मोबाइल तोड़ते हैं। अगर गलती से पासवर्ड मिल जाए तो समझो मोहब्बत का मकबरा तैयार होने वाला है। पहले के प्रेमी ताजमहल बनवाते थे, आज के आशिक ब्रेकअप की दीवारें चिनवाते हैं।

लैला-मजनुओं को हर मुलाकात के बाद डर लगता है कि कहीं अगली मुलाकात थाने में न हो। अब प्यार का अपराध किसी जेंडर का गुलाम नहीं रहा। अब घात दोनों तरफ से होता है। कभी लैला सूटकेस में मिलती है तो कभी मजनूं जहर के प्याले में। अब न वो लड़का मासूम है, न वो लड़की बेगुनाह। अब मोहब्बत की दुनिया में प्यार नहीं, प्लानिंग चलती है।

प्रेमियों की शक्लें आज भी भोलीभाली हैं पर इरादे सीरियल किलर जैसे। यह मोहब्बत नहीं, जंग है जिसमें दोनों तरफ हथियार हैं। लड़के पिस्तौल-चाकू रखते हैं, लड़कियां साजिशें। रांझा गुस्से में मारता है, हीर ठंडे दिमाग से प्लान बनाती है। अब न प्रेमिका देवी हैं, न प्रेमी देवता। दोनों ही हैवान हैं।

आज के हीर रांझों को बड़ेे-बूढ़ों की नसीहत है कि नजर मिले तो उसे इजहार कहते हैं, रात को नींद न आये तो उसे प्यार कहते हैं और जो इन चक्करों में ना पड़े उसे समझदार कहते हैं।

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एक बर की बात है अक रामप्यारी गैल प्यार के चक्कर म्हं पड़े पाच्छे नत्थू अपणे ढब्बी ताहिं बोल्या- भाई प्यार की राह म्हं तो दर्द ए दर्द है। सुरजा बोल्या तो फेर इस राह पै मैं दुवाई की दुकाण खोल ल्यूं?

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