ठंड के अलाव, चाय के ताव
कप की गर्माहट अंगुलियों की अकड़ ढीली कर देती है और चाय की भाप से नाक का टेंप्रेचर गिरने लगता है। ‘हाथ’ की अकड़ और नाक का दंभ चाय ही तोड़ सकती है।
राजधानी में ठंड की शुरुआत बाकी दुनिया से अलग होती है। धुआं और धुंध साथ हो लेते हैं। धुआं डराता है और धुंध रिझाती है। यहां की हवाओं में घुला राजनीति का प्रदूषण साक्षात् दिखाई देने लगता है। ऐसे में अलाव की तपन में चाय को याद करना लाजमी है। गर्मा-गर्म चाय पीने का आनंद ही और है। ठंड में अंगुलियां अकड़ जाती हैं। नाक ठंड का थर्मामीटर बन जाती है। एक कप गर्मा-गर्म चाय इसका अचूक इलाज है। बस, चाय पीने का तरीका आना चाहिए। गर्म कप को हथेली और अंगुलियों के बीच अच्छी तरह दबोचिए। फिर आराम से सुड़क-सुड़ककर पीजिए। कप की गर्माहट अंगुलियों की अकड़ ढीली कर देती है और चाय की भाप से नाक का टेंप्रेचर गिरने लगता है। ‘हाथ’ की अकड़ और नाक का दंभ चाय ही तोड़ सकती है।
बिना पानी के चाय संभव नहीं है। चाय का पानी से गहरा नाता है। चाय-पानी हमारी संस्कृतिक धरोहर है। बाबू की ‘चाय-पानी’ तो जग जाहिर है। चाय-पानी की जुगाड़, बाबुओं से काम निकालने का अमोघ अस्त्र है। महकमों में चाय-पानी के चलन की अपनी व्यवस्था है। कार्यालयों में समय काटने का यह सबसे महत्वपूर्ण औजार है। कोर्ट-कचहरी में चाय-पानी की अहम भूमिका है। वहां के मामले चाय-पानी की दुकानों पर निपटाए जाते हैं। चाय-पानी पर भ्रष्टाचार टिका है।
मेहमान को चाय-पानी के लिए न पूछो तो बनता हुआ रिश्ता भी बिगड़ जाता है। रिश्तों में मिठास चाय-पानी से आती है। डेटिंग की अधुनातन जीवन शैली, ‘चाय-शाय’ के लिए सबसे सुलभ और सुरक्षित है। शादी का खयाल और चाय पर बुलावे का बहाना पुराना है- शायद मेरी शादी का खयाल दिल में आया है, इसीलिए मम्मी ने मेरी, तुम्हें चाय पे बुलाया है।
भले ही चाय के बागान जुदा हों, स्वाद तो बनाने वाले के हाथों में होता है। तभी तो चाय के शौक़ीन सुदूर चाय के ढाबे तक दौड़ जाते हैं। एक कप चाय पति-पत्नी के रिश्तों की गर्माहट बनाए रखती है। चाय सर्वव्यापी है। वह मुलाकातों, बहसों, गोष्ठियों और यहां तक कि उठा-पटक की साक्षी होती है। जन्मोत्सव हो या मृत्यु का शोक, चुनावी सभा हो या जीत का जश्न, सब जगहें चाय-पानी से रोशन हैं। एक मशहूर पुरानी फ़िल्म के गाने के बोल याद आ रहे हैं– आहें न भर ठंडी-ठंडी, खतरे की है ये घंटी-घंटी, गर्म-गर्म चाय पी लो... ऐ बाबू चाय पी लो। चुनावी ताजपोशी में, कुर्सी पर बैठकर चाय पीयी जाए तो ठंडी-ठंडी आहें विपक्ष में महसूस होती हैं।
