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मंगल के संकेतों में जीवन के सुराग

मुकुल व्यास पृथ्वीवासियों को नासा के पर्सिवियरेंस रोवर द्वारा मंगल पर एकत्र किए गए नमूनों का इंतजार है क्योंकि इनमें लाल ग्रह पर प्राचीन जीवन के प्रमाण हो सकते हैं। नासा के रोवर ने पाया है कि मंगल ग्रह का...
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मुकुल व्यास

पृथ्वीवासियों को नासा के पर्सिवियरेंस रोवर द्वारा मंगल पर एकत्र किए गए नमूनों का इंतजार है क्योंकि इनमें लाल ग्रह पर प्राचीन जीवन के प्रमाण हो सकते हैं। नासा के रोवर ने पाया है कि मंगल ग्रह का जेजेरो क्रेटर किसी समय पानी से भरा हुआ था। इससे यह उम्मीद जगी है कि रोवर ने लाल ग्रह पर जीवाश्म जीवन का सबूत एकत्र कर लिया होगा। यह रोवर पहली बार फरवरी, 2021 में इंज्यूनिटी हेलीकॉप्टर के साथ क्रेटर पर उतरा था। रोवर ने जमीन में प्रविष्ट करने वाले रडार का उपयोग करके यह खोज की है। उसने एक झील से संबंधित तलछट की परतों का खुलासा किया है। यह झील बाद में एक विशाल डेल्टा में तब्दील होकर सूख गई। जब क्रेटर से एकत्र किए गए भूवैज्ञानिक नमूने पृथ्वी पर लौट आएंगे, तब शोधकर्ताओं को इस बात का सबूत मिल सकता है कि लाल ग्रह पर कभी प्राचीन जीवन पनपा था। पर्सिवियरेंस रोवर, पुरानी क्यूरियोसिटी रोवर के साथ, 48 किलोमीटर चौड़े जेजेरो क्रेटर को पार करके मंगल ग्रह की सतह पर प्राचीन जीवन के संकेतों की खोज कर रहा है और पृथ्वी पर वापसी के लिए चट्टान के दर्जनों नमूने एकत्र कर रहा है। तीन वर्षों तक रोवर के साथ इंज्यूनिटी हेलीकॉप्टर भी था जिसने 18 जनवरी को मंगल ग्रह की सतह पर अपनी 72वीं और अंतिम उड़ान भरी। कार के आकार की पर्सिवियरेंस रोवर सात वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है, जिनमें से एक मंगल ग्रह की सतह के नीचे प्रयोग के लिए रडार इमेजर (रिमफैक्स) है। अपनी यात्रा के दौरान रोवर ने हर 10 सेंटीमीटर जमीन में रडार के जरिये मंगल के क्रेटर की सतह के नीचे लगभग 20 मीटर की गहराई से प्रतिबिंबित तरंगों का एक नक्शा बनाया।

अब इस रडार मानचित्र ने तलछट के अस्तित्व का खुलासा किया है। पिछले अध्ययनों में तलछट के बारे में संदेह उत्पन्न हुआ था लेकिन पहले कभी इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डेविड पेज ने कहा कि चट्टान के रिकॉर्ड में हम जो बदलाव देखते हैं, वे मंगल ग्रह के वातावरण में बड़े पैमाने पर हुए परिवर्तनों से प्रेरित हैं। अच्छी बात यह है कि हम इतने छोटे भौगोलिक क्षेत्र में परिवर्तन के इतने सारे सबूत देख सकते हैं, जो हमें अपने निष्कर्षों को पूरे क्रेटर के पैमाने तक विस्तारित करने की अनुमति देते हैं। चूंकि पृथ्वी पर जीवन पानी पर अत्यधिक निर्भर है। मंगल ग्रह पर पानी का सबूत इस बात का एक महत्वपूर्ण सुराग हो सकता है कि ग्रह पर कभी जीवन था या आज भी वहां जीवन हो सकता है। लेकिन हमारे दुर्गम पड़ोसी ग्रह पर जीवन के सबूत जुटाना अभी तक बहुत कठिन साबित हुआ है।

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पर्सिवियरेंस द्वारा एकत्र कीमती सामान को पृथ्वी पर वापस लाने के लिए पर्सिवियरेंस रोवर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के सैंपल रिट्रीवल लैंडर के आगमन का इंतजार करेगी। इस अंतरिक्ष यान को एक छोटे रॉकेट के साथ पैक किया गया है। रोवर रॉकेट को पृथ्वी की ओर वापस दागे जाने से पहले इसमें चट्टान और मिट्टी के नमूनों को लोड करेगा। अंतरिक्ष में लांच किए जाने के बाद नमूने वाले रॉकेट को पृथ्वी पर वापसी की उड़ान के लिए ईएसए के अर्थ-रिटर्न ऑर्बिटर (ईआरओ) द्वारा एकत्र किया जाएगा। नासा ने शुरू में ईआरओ को 2026 में लांच करने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में इस तारीख को 2028 तक खिसका दिया गया, जिसका अर्थ है कि ये नमूने जल्द से जल्द 2033 तक पृथ्वी पर वापस आ पाएंगे।

इस बीच, मंगल ग्रह की भूमध्य रेखा पर मेडुसी फॉसी फॉर्मेशन क्षेत्र के एक नए रडार सर्वेक्षण से पता चला है कि वहां जमीन में दबी हुई जल-बर्फ की विशाल परतें मौजूद हैं जो कई किलोमीटर मोटी हैं। यह मंगल ग्रह के मध्य भाग के आसपास अब तक पाया गया सबसे अधिक पानी है। इससे जाहिर है कि लाल ग्रह पानी से उतना वंचित नहीं है जितना हमने सोचा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां उतना ही पानी दबा हुआ है, जितना पृथ्वी के लाल सागर में पाया जा सकता है। यदि इसे सतह पर लाकर पिघलाया जाए, तो यह मंगल को 1.5 से 2.7 मीटर गहरे उथले महासागर में ढक देगा। बर्फ के दबे हुए भंडार के संकेत पहली बार 2007 में 2.5 किलोमीटर की गहराई तक पाए गए थे, लेकिन तब वैज्ञानिकों को यह नहीं पता था कि ये भंडार किस चीज के हैं। नया डेटा मिलने और उस डेटा का विश्लेषण करने के लिए नए उपकरण उपलब्ध होने के बाद इन भंडारों की असलियत का पता चला।

स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूशन के भूविज्ञानी थॉमस वॉटर्स ने बताया कि हमने मार्स एक्सप्रेस के मार्सिस रडार से नए डेटा का उपयोग करके मेडुसी फॉसी फॉर्मेशन का फिर से सर्वेक्षण किया है। हमने पाया कि बर्फ के भंडार की मोटाई 3.7 किलोमीटर तक है जो हमारे पिछले अनुमान से अधिक है। रोमांचक बात यह है कि रडार सिग्नल उस चीज से मेल खाते हैं जो हम परतदार बर्फ से देखने की उम्मीद करते हैं। ये उन संकेतों के समान हैं जो हम मंगल की ध्रुवीय टोपियों में देखते हैं। हम जानते हैं कि ये टोपियां बर्फ से भरपूर हैं।

पिछले कुछ दशकों में जैसे-जैसे मंगल की खोज बढ़ी है, लाल ग्रह के बारे में हमारी पिछली समझ में भारी परिवर्तन हुआ है। जहां भी हम देखते हैं, मंगल ग्रह पर अतीत में सतह पर नदियों के रूप में पानी बहने, या झीलों या महासागरों में पानी जमा होने के प्रमाण दिखाई देते हैं। मंगल ग्रह पर अब कोई तरल पानी नहीं है। वह सारा पानी कहां गया, यह एक रहस्य बना हुआ है। क्या वह वाष्प के रूप में अंतरिक्ष में गायब हो गया, या क्या वह ग्रह के अंदर ही सिमट कर ऐसी जगह पहुंच गया है जहां हम उसे नहीं देख सकते? मेडुसी फॉसी फॉर्मेशन में इस प्रश्न के कुछ उत्तर हो सकते हैं। वैज्ञानिक एक अन्य व्यावहारिक कारण से यह जानना चाहते हैं कि मंगल ग्रह पर पानी कहां मिलेगा। जब मनुष्यों को लाल ग्रह पर भेजा जाएगा, तो उन्हें जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होगी। यदि वहां पहले से ही पानी है, तो इससे उन्हें अपने साथ पानी ले जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी। दुर्भाग्य से, मेडुसी फॉसी फॉर्मेशन का पानी पहुंच से बाहर है। यह हमारी पहुंच की क्षमता से परे, मंगल ग्रह की धूल भरी सतह से सैकड़ों मीटर नीचे दबा हुआ है। फिर भी, यह खोज आशा जगाती है कि मंगल ग्रह पर कहीं और पानी छिपा हुआ है। यह खोज वैज्ञानिकों को मंगल के रहस्यमय इतिहास को उजागर करने में मदद करेगी।

लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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