हमारे देश में सबसे तीखी मिर्च असम की भूत जोलोकिया मानी जाती है, जिसे घोस्ट पेप्पर, यू मोरक या लाल नागा भी कहा जाता है। शायद इसके तीखेपन के कारण ही इसका नाम भूतिया पड़ गया हो। आम मिर्चों से जिनका ‘एसएचयू’ तकरीबन 5000 के आसपास होता है, इसका तीखापन करीब चार सौ गुना ज्यादा होता है। इस जाति की सबसे शरीफ मिर्च है हमारी शिमले वाली, जिसके नाम में ही सिर्फ मिर्च है। मिर्च, हमारे ग्रंथों में वर्णित षड रसों में से एक का प्रमुख स्रोत, हमारी रसोई और खान-पान में मौजूद रहने वाले पहले पांच अहम कारकों में से एक। इसके बिना भोजन में जायके की शायद कल्पना भी नहीं की जा सकती। मिर्च कई तरह की होती है। कइयों को स्वाद और तीखेपन के कारण गिनीज बुक में स्थान पाने का गौरव भी प्राप्त हो चुका है। विटामिन ‘ए’ से भरपूर इसके फलों की कुछ किस्में, जैसे शिमला मिर्च जो अपने एकाधिक रंगों में उपलब्ध होती है, को सब्जी के रूप में; लाल, काली और सफ़ेद मिर्च को मसालों या दवा की तरह तथा हरी मिर्च को चटनी, अचार, सलाद या अन्य सब्जियों के साथ मिला-पका कर खाया जाता है। दुनिया की सबसे तीखी मिर्च की बात करें तो यूनाइटेड किंगडम में पाई जाने वाली ड्रेगन्स ब्रेथ नाम की मिर्च का तीखापन इतना प्रलयंकारी माना जाता है कि उसके खाने से पहले चेतावनी ज्ञापित की जाती है कि इस मिर्च का सेवन जानलेवा हो सकता है। इसका प्रयोग दवा बनाने के लिए ही किया जाता है।
अब सवाल उठता है कि इस तीखे, चरपरे और कड़वेपन की पहचान कैसे की जाती है? तो इस विधि की खोज सबसे पहले 22 जनवरी 1865 को जन्मे अमेरिकी फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने 1912 में विकसित कर दुनिया को तीखेपन की विभिन्न श्रेणियों से अवगत कराया। इस विधि से मिर्च में स्थित स्पाइसनेस को मापा जाता है और इस स्पाइसनेस या तीखेपन का स्कोविल हीट यूनिट यानी एसएचयू से पता कर उन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है। आज किसी चीज के तीखेपन को मापने के लिए यही तरीका इस्तेमाल किया जाता है। वैसे कोई भी मिर्च हो, मुझे ना के बराबर पसंद है। काली मिर्च कभी-कभार जरूर काम में ले लेता हूं, वह भी औषधि के रूप में। कभी-कभी मुझसे भी कहा जाता है कि खाकर देखो यह वाली, बिल्कुल घास की तरह की है, और वाकई वह होती भी वैसी ही है। तब लगता है कि कैसे और कितनी विविधता से भरपूर है यह मिर्ची रानी। गुगलिया सागर खंगाला तो कई बातें साझा करने को सामने आईं। वाकई मिर्च का भी संसार है बड़ा विशाल।
साभार : कुछ अलग सा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम