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कम्बोडिया-थाईलैंड संघर्ष और सुलह के सवाल

हाल ही में प्राचीन शिव मंदिर प्रीह विहियर को लेकर कम्बोडिया और थाईलैंड में जंग छिड़ गयी थी। दोनों ओर जान-माल का नुकसान हुआ। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने शांति स्थापना करवाई है। मगर, मलेशिया और चीन ने कहा...
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हाल ही में प्राचीन शिव मंदिर प्रीह विहियर को लेकर कम्बोडिया और थाईलैंड में जंग छिड़ गयी थी। दोनों ओर जान-माल का नुकसान हुआ। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने शांति स्थापना करवाई है। मगर, मलेशिया और चीन ने कहा कि उनकी पहल पर ही शांति वार्ता संपन्न हुई।

भगवान शिव किसके हैं? उनकी आराधना से जुड़ा मंदिर किसका है? इसे लेकर कम्बोडिया और थाईलैंड में जंग छिड़ी और कुछ समय के लिए रुक गई। ट्रम्प इस जंग के रेफरी थे। ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि एशिया में दो लड़ते देशों के बीच उन्होंने शांति स्थापना की है। पहले, भारत-पाकिस्तान, फिर ईरान-इस्राइल, और अब कम्बोडिया-थाईलैंड। व्हाइट हाउस ने पूरी दुनिया को सन्देश देने की कोशिश की है कि ट्रम्प की धमकी काम कर गई। मगर, मलेशिया और चीन ने भी दावा किया है, कि उनकी पहल पर थाई-कम्बोडिया के बीच शांति वार्ता संपन्न हुई।

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि थाईलैंड और कंबोडिया ने ‘तत्काल और बिना शर्त’ युद्धविराम पर सहमति जताई है। सोमवार को मलेशिया की प्रशासनिक राजधानी पुत्रजया स्थित प्रधानमंत्री अनवर के आवास पर थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने युद्धविराम वार्ता के लिए मुलाकात की थी। हुन मानेट ने ट्रम्प की ‘निर्णायक’ भूमिका की भी प्रशंसा की और कहा कि हमारे देश और पड़ोसी थाईलैंड के बीच ‘विश्वास और भरोसे का पुनर्निर्माण’ होगा। थाईलैंड के फुमथम, जिन्होंने पहले मलेशिया में वार्ता से पहले कंबोडिया की ईमानदारी पर संदेह व्यक्त किया था, ने कहा, कि थाईलैंड युद्धविराम पर सहमत हो गया है, जिसे ‘दोनों पक्षों द्वारा सद्भावनापूर्वक लागू किया जाएगा।’

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दक्षिण-पूर्व एशिया के इन दो पड़ोसी देशों के बीच एक दशक से भी ज़्यादा समय से संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। लड़ाई शुरू होने के चार दिन बाद, रविवार तक, मृतकों की संख्या 30 से ज़्यादा हो गई, जिनमें थाईलैंड में 13 और कंबोडिया में आठ नागरिक शामिल हैं। रविवार को स्कॉटलैंड में पत्रकारों से बात करते हुए, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि हमने दोनों देशों को चेतावनी दी है कि अगर शत्रुता जारी रही, तो वाशिंगटन के साथ भविष्य के व्यापार समझौते निलंबित कर दिए जाएंगे।

थाईलैंड और कंबोडिया 817 किलोमीटर लंबी भूमि सीमा साझा करते हैं। साल 1904 में पहली फ़्रैंको-सायामी संधि हुई और दूसरी 1907 में फ्रांसीसी तृतीय गणराज्य और सियाम (वर्तमान थाईलैंड) के बीच हुई। इस संधि के तहत सियाम ने कंबोडिया के कुछ हिस्सों को फ्रांस को सौंप दिया, और फ्रांस ने सियाम को कुछ क्षेत्र वापस कर दिए। मगर, इस सीमा निर्धारण में 11वीं सदी में खमेर राजाओं द्वारा निर्मित प्राचीन शिव मंदिर प्रीह विहियर परिसर आ चुका था। इस पर विवाद के क्रम में कंबोडिया ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से मांग की थी कि वह इस मंदिर पर अधिकार का फ़ैसला उसे दे, और थाईलैंड को साल 1954 से वहां तैनात अपने सैनिकों को हटाने का आदेश दे।

15 जून, 1962 को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अंतिम निर्णय में कहा, कि साल 1904 की फ़्रैंको-सायामी संधि के हवाले से एक संयुक्त सीमा-निर्धारण आयोग बनाया गया था, जिसके बनाए नक्शे में उस मंदिर को कंबोडिया की सीमा में दिखाया गया था। न्यायालय को इसके भी प्रमाण मिले कि थाईलैंड ने वास्तव में उस नक्शे को स्वीकार किया था, कि प्रीह विहियर मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में आता है। लेकिन थाईलैंड पलट गया, और कोर्ट से कहा कि अगर स्वीकार किया, तो ग़लत धारणा में किया। हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने यह भी कहा, कि थाईलैंड को वहां तैनात अपनी सैन्य या पुलिस टुकड़ियों को हटाना होगा।

46 साल बाद, 7 जुलाई, 2008 को, प्रीह विहियर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिसमें इस मंदिर को कंबोडियाई क्षेत्र में माना गया। इसे लेकर थाईलैंड भड़क चुका था। यह मामला एकबार फिर हेग सुनवाई के लिए चला गया। पांच साल बाद, 2013 में दिये एक और फैसले में आईसीजे ने कंबोडिया का पक्ष लिया, जो थाईलैंड को मान्य नहीं था। बैंकॉक का कहना है कि उसने कभी भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं दी है, और वह द्विपक्षीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देता है।

दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक प्रतिद्वंद्विता खेल, भोजन और पहनावे तक फैल गई। थाई राष्ट्रवादी, कम्बोडिया को ‘क्लेम्बोडिया’ बोलते हुए, उसके द्वारा की गई ‘सांस्कृतिक चोरी’ की निंदा करते हैं, जबकि उनके खमेर समकक्षों ने उन्हें ‘स्यामी चोर’ करार दिया है। जुलाई, 2025 की शुरुआत में, कंबोडिया द्वारा अपनी खमेर विवाह परंपरा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने के लिए नामांकित किए जाने पर विवाद छिड़ गया था। इस विवाद को सुलगाने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका थी। थाई सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया, कि यूनेस्को की सूची में एक थाई पारंपरिक पोशाक भी शामिल थी। इसे जानते ही राष्ट्रवादियों का गुस्सा भड़क उठा। थाई सैनिकों ने बीते गुरुवार को 13वीं शताब्दी के ता मोआन मंदिर परिसर को कंटीले तारों से घेर दिया, जिससे हिंसक वारदातें शुरू हो गईं। गोलीबारी के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग विस्थापन के शिकार हुए।

सबसे मुश्किल स्थिति क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर है। आसियान देश मानते हैं, कि सदस्यों के बीच मतभेद हम सुलझा लेंगे। चीन के कंबोडिया और थाईलैंड के साथ रणनीतिक संबंध हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि चीन अपनी निष्पक्ष स्थिति बनाए रखेगा और युद्धविराम में रचनात्मक भूमिका निभाएगा। इससे पहले मलेशियाई प्रधानमंत्री दातुक सेरी अनवर इब्राहिम ने गुरुवार को सीमा विवाद के संघर्ष में बदल जाने के तुरंत बाद युद्धविराम वार्ता का प्रस्ताव रखा था। लेकिन ट्रंप को अपनी चौधराहट दिखानी थी। यह भी सन्देश देना था, कि वह अपने दूसरे कार्यकाल में शांतिदूत होकर अवतरित हुए हैं।

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच ‘तांडव’ रुक तो गया। लेकिन भारत को भी समधर्मी होने के नाते सुलह-सपाटे में अपनी भूमिका निभानी चाहिए थी। कंबोडिया में शिव भक्ति उसकी वास्तुकला में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। शिव को समर्पित मंदिर, जैसे नोम बखेंग और प्रीह विहियर, खमेर साम्राज्य की भव्यता व भक्ति को दर्शाते हैं। तेरहवीं शताब्दी में कंबोडिया में हिंदू धर्म के क्रमिक पतन और थेरवाद बौद्ध धर्म के उदय के साथ-साथ, शिव पूजा का महत्व कम हो गया। हालांकि, कंबोडिया में कई हिंदू प्रथाओं और प्रतिमाओं को बौद्ध परंपराओं में समाहित कर लिया गया, जिससे एक समन्वित धार्मिक परिदृश्य का निर्माण हुआ। यही परिणति हम थाईलैंड में देखते हैं। थाई भाषा में भगवान शिव को ‘फ्रा सिवा’, ब्रह्मा को ‘फ्रा फ्रोम’ और विष्णु को, ‘फ्रा नाराई’ बोलते हैं। लेकिन बौद्ध बहुल थाईलैंड में हिन्दू धर्म पनप नहीं पाया। थाईलैंड और कम्बोडिया, शिव को अपनी धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत समझकर नहीं लड़ रहे थे। यह ‘तांडव’ केवल सामरिक-ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल को हथियाने को लेकर था!

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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