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भाई हो गए ब्रदर, रिश्तों की रिसती कद्र

तिरछी नज़र
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रिश्तों की वह देसी गर्माहट, अब फ्रिज में रखे जूस जैसी ठंडी हो गई है। रिश्तों का यह आधुनिकीकरण हमें दिखने में भले ही सुलझा हुआ लगे पर असल में कहीं न कहीं हमने अपनी जड़ों से रिश्ता ढीला कर लिया है।

भाई दूज की असली गर्मी लाल रोली में नहीं बल्कि बहन की हथेली की ऊष्मा में होती है। रिश्तों के डिजिटल डिटर्जेंट में अब भाई नहीं, बस ‘ब्रदर’ रह गए हैं और देसीपन धुल गया है। कभी बहन के हाथों का टीका माथे पर तेज बन दमक उठता था, अब वही रोशनी मोबाइल स्क्रीन पर ठंडी पड़ गई है। भाई बिजी हैं और बहनें अब ऑनलाइन टीका लगाती हैं। शगुन भी हथेली पर नहीें अब मोबाइल में आता है।

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बहनें भी कम व्यस्त नहीं हैं। उनके पास भी समय नहीं है कि भाई के आने की प्रतीक्षा करें। पर इतना तो जरूरी है कि अपने भाई के नंबर पर सिर्फ ‘हैप्पी भाई दूज’ टाइप न करें। एक बार फोन मिलाएं, आवाज सुनें क्योंकि स्क्रीन के उस पार अभी भी कहीं एक ‘भैया’ आपकी आवाज़ का इंतजार कर रहा है।

वे भी दिन थे जब भाई दूज के दिन भाई सुबह-सुबह नहा-धोकर बहन के घर पहुंचता था, माथे पर टीका, थाली में दीप और दिल में अपनापन। कभी बहन की मिठाई में प्यार घुला होता था, अब मिठाई ऑनलाइन बुक होती है और डिलीवरी ब्वॉय देकर चला जाता है। रिश्तों की वह देसी गर्माहट, अब फ्रिज में रखे जूस जैसी ठंडी हो गई है। रिश्तों का यह आधुनिकीकरण हमें दिखने में भले ही सुलझा हुआ लगे पर असल में कहीं न कहीं हमने अपनी जड़ों से रिश्ता ढीला कर लिया है।

भाई अब ब्रदर बन गया है, बहन अब ‘सिस’। न जिद है, न झगड़े, न वो मीठी शिकायतें। पहले बहन के आंसू देखकर भाई का खून खौल उठता था, अब वही आंसू बस एक इमोजी में सिमट जाते हैं। और वो बचपन का जिद्दी भाई जो बहन की गुड़िया की नाक तोड़ देता था, पर अगले ही पल बहन के साथ बैठकर होमवर्क करते वक्त साथ भी देता था। एक भाई का कहना है कि भैया दूज एकमात्र ऐसा दिन है जब मैं बड़े भाई जैसा अनुभव करता हूं, अन्यथा मुझे लगता है कि मैं तो अपनी बहन का ड्राइवर हूं। यह बात भी आम है कि हर भाई अपनी बहन को मजाक में कहता मिल जायेगा कि हम एक दूसरे से चाहे लड़ें, झगड़ें, पर यह बर्दाश्त नहीं है कोई और मेरे सामने तेरा अपमान करे, यह मेरा ही अधिकार है।

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एक बर की बात है अक नत्थू गैल एक छोरी देखकै सुरजा ताऊ बोल्या- हां रै या छोरी तेरी के लाग्गै है? नत्थू बोल्या- मेरा इस गैल दूर का रिश्ता है। ताऊ बोल्या- वो क्यूकर? नत्थू बोल्या- बात या है अक इसकै अर मेरे बीच छह बहन-भाई और हैं।

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