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महान बनने के भ्रम में ओछी अमेरिकी हरकतें

अभी जो खतरा भारतीय और बहुत से अन्य देशों के नागरिक एच वन वीजा को लेकर झेल रहे हैं, हो सकता है कि कल अमेरिका में कानून ही बदल दिया जाए। जो लोग वहां के नागरिक हैं उनसे भी वापस...
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अभी जो खतरा भारतीय और बहुत से अन्य देशों के नागरिक एच वन वीजा को लेकर झेल रहे हैं, हो सकता है कि कल अमेरिका में कानून ही बदल दिया जाए। जो लोग वहां के नागरिक हैं उनसे भी वापस जाने को कहा जाए। ट्रंप ने आते ही उस कानून को बदला था, जिसमें अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे को वहां की नागरिकता मिल जाती थी।

जब से ट्रंप अमेरिका में सत्ता में दोबारा आए हैं, वे हर दिन कोई न कोई ऐसी घोषणा करते रहते हैं, जिससे दुनिया में हड़कम्प मच जाता है। उनका कहना है कि वह अमेरिका को दोबारा महान बनाना चाहते हैं, इसलिए हर काम वह करेंगे, जिससे अमेरिका के लोगों को फायदा हो। अपने संसाधनों का फायदा वे उठा सकें। इसलिए वे तरह-तरह की घोषणाएं कर रहे हैं। उनका लेबर डिपार्टमेंट एक्स पर लिख रहा है कि अमेरिका में नौकरियां अमेरिकी लोगों के लिए ही होनी चाहिए। यों इसमें कुछ गलत भी नहीं है क्योंकि हर देश का नेता चाहता है कि उसके लोगों में बेरोजगारी घटे।

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लेकिन यह भी सच है कि अमेरिका ने जो तरक्की की है, धरती से लेकर अंतरिक्ष तक जो परचम लहराया है, इसमें बाहरी लोगों का बहुत बड़ा योगदान है। इनमें भारतीय सबसे अधिक हैं। थोड़े दिन पहले बिल गेट्स ने कहा था कि यदि हम भारतीय इंजीनियर्स को रोकेंगे, तो वे अपना गूगल बना लेंगे। अन्य बड़े कार्पोरेट्स भी ऐसा ही कह रहे हैं। पिछले दिनों एक पूर्व गुप्तचर अधिकारी ने कहा कि भारतीय लोगों के साथ अमेरिका में बुरा व्यवहार किया जा रहा है, इसके लिए माफी मांगी जानी चाहिए। जिस सिलिकाॅन वैली की दुहाई दी जाती है, उसे यहां तक पहुंचाने में हमारे देश के लोगों और प्रतिभाओं का भारी हाथ है।

अमेरिका ने दुनियाभर में एक ताकतवर देश की छवि बनाई है। डालर के मुकाबले दुनियाभर की अधिकांश मुद्राएं कमजोर मानी जाती हैं। युवा समझते हैं कि वे अपने सपनों को अमेरिका जाकर ही पूरा कर सकते हैं। कुछ साल पहले एक खबर आई थी कि पूरे विश्व से दस करोड़ लोग अमेरिका जाना चाहते हैं। यह अफसोस की बात है कि युवा सिर्फ अमेरिका जाना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है।

लेकिन उन बातों को क्या कहिए जो हर रोज अमेरिका में हो रही हैं। जिन्हें इन्हीं युवाओं को झेलना है। पिछले दिनों ही दो खबरें आईं कि अब अमेरिका ने एच वन और एच फोर वीजा के तमाम आवेदनों को रोक दिया है। इसके अलावा बहुत से देशों के लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनका कहना है कि आवेदनकर्ताओं के पहले वे सोशल मीडिया अकाउंट्स चैक करेंगे, जिससे कि पता चल सके कि कोई अमेरिका विरोधी तो यहां नहीं आना चाहता। एच वन वीजा को वर्क वीजा कहा जाता है। इसी के आधार पर आप वहां काम कर सकते हैं। इसे पाना युवाओं की सबसे बड़ी इच्छा होती है। इसके अलावा एच फोर वीजा पति या पत्नी के लिए होता है। इसके होने पर आप वहां काम नहीं कर सकते। इसे मौलिक अधिकार की तरह अब तक देखा जाता रहा है, लेकिन जैसे अब इस सोच के दिन लद गए हैं। यही नहीं, उन्होंने बारह देश के नागरिकों पर अमेरिका में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये देश हैं— अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, गुएना, एरिट्रिया, हेती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, यमन। इससे पहले भी बहुत से देशों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जिस भारत से मैत्री की कसमें ट्रंप लगातार खाते रहे हैं, उनके निशाने पर सबसे अधिक भारतीय ही हैं। ट्रंप को लड़ना आतंकवाद से था, लेकिन वे भारतीयों से लड़ रहे हैं। उनका मानना है कि बड़ी संख्या में यहां के लोगों ने अमेरिका के लोगों की नौकरियां छीन ली हैं। जबकि देखा जाए, तो वहां भारतीय कठिन परिस्थिति में काम करते हैं। उन्हें वेतन भी कम मिलता है। उन्हें छिपे हुए नस्लवाद का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन अब यह नस्लवाद छिपा हुआ नहीं रहा। खुलेआम व्हाइट सुप्रीमेसी की बात की जा रही है। हालांकि, ट्रंप की जीत में ग्रामीण अमेरिका के गोरों के साथ-साथ, वहां के उन नागरिकों का भी हाथ रहा है, जिनकी जड़ें भारत में हैं। भारतीयों के बारे में वहां मशहूर रहा है कि ये लोग शांतिप्रिय होते हैं। अपने काम से काम रखते हैं। अपने काम को अच्छी तरह से करना जानते हैं। जबकि अमेरिका के लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे न तो पढ़ना-लिखना चाहते हैं, न ही किसी विशेष योग्यता को प्राप्त करने में उनकी दिलचस्पी है। इसी कारण वहां अन्य देश के लोग काम करने जाते हैं। और वहां के बहुराष्ट्रीय निगमों तथा अन्य कम्पनियों को ऊंचाई पर पहुंचाते हैं।

लेकिन एच वन पर रोक लगाकर रास्तों को रोका जा रहा है। फ्लोरिडा के गवर्नर ने कहा कि एच वन बी जैसी एब्यूज (गाली) को बंद होना चाहिए। बहुत से अन्य रिपब्लिकन्स भी ऐसा ही कह रहे हैं।

जब सरकार के बड़े पदों पर बैठे लोग खुलेआम किसी देश के लोगों पर निशाना साधने लगें, तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों का क्या होता होगा। अमेरिका में दिवाली पर सरकारों की तरफ से भारतीयों को बधाई दी जाती रही है। लेकिन इस बार दिवाली के आसपास वहां के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी हिन्दू पत्नी उषा वेंस भी ईसाई विश्वासों को मानें और ईसाई धर्म अपना लें। उन्होंने दिवाली की बधाई भी किसी को नहीं दी।

वहां इन दिनों भारतीयों को लगातार तरह-तरह के कटाक्ष झेलने पड़ रहे हैं। लोग उन्हें रास्ते में रोककर पूछ रहे हैं कि तुम कौन हो, कहां से आए हो। उनसे मार-पीट कर रहे हैं। नारे लगाए जा रहे हैं कि अपने देश वापस जाओ। बल्कि कई साल पहले पोलैंड में एक भारतीय घूम रहा था। वहां उसे रोककर एक अमेरिकी ने कहा कि तुम यहां भी आ पहुंचे। कम्पनियों से कहा जा रहा है कि वे भारतीय लोगों को नौकरी न दें। अगर देंगी, तो सरकार की तरफ से जो सुविधाएं दी जाती हैं, नहीं दी जाएंगी। अमेरिका के वे विश्वविद्यालय जो विदेशी बच्चों की दी गई मोटी फीस से चलते हैं, वहां भारतीय छात्रों की संख्या घट रही है, क्योंकि कौन ऐसे देश में जाना चाहेगा , जहां जीवन की खैर नहीं। और तो और वहां स्कूलों में भी इस तरह का नस्लवाद पैर पसार रहा है। बच्चों को तरह-तरह से तंग किया जा रहा है।

अभी जो खतरा भारतीय और बहुत से अन्य देशों के नागरिक एच वन वीजा को लेकर झेल रहे हैं, हो सकता है कि कल अमेरिका में कानून ही बदल दिया जाए। जो लोग वहां के नागरिक हैं उनसे भी वापस जाने को कहा जाए। ट्रंप ने आते ही उस कानून को बदला था, जिसमें अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे को वहां की नागरिकता मिल जाती थी। हालांकि, अदालत ने इसके खिलाफ फैसला दिया। अमेरिका में पचपन लाख के करीब भारतीय रहते हैं। यह एक बड़ी आबादी है। लेकिन कोई देश अगर तय ही कर ले, तो खदेड़ने में वक्त नहीं लगता।

इस प्रसंग में युगांडा के ईदी अमीन की याद आती है। सत्तर के दशक में उन्होंने भी लम्बे समय से वहां रहने वाले लोगों को खदेड़ा था। दरअसल, सरकारों के पास जब अपने लोगों को वास्तविकता में देने के लिए कुछ नहीं होता, तो वे एक कम्युनिटी के खिलाफ, दूसरी को भड़काती हैं। यही अमेरिका में हो रहा है।

लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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