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सुविधा के साथ अधिकारियों की सख्ती भी

नया इनकम टैक्स कानून
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नए कानून में टैक्स अधिकारियों को सशक्त बनाया गया है। नए इनकम टैक्स कानून में गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना सुनिश्चित किया गया है। बकाया टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी है। आय छिपाने पर अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने के अधिकार होंगे।

हाल ही में 25 अगस्त को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के विधायी सदस्य आरएन परबत ने कहा कि नए इनकम टैक्स कानून को लागू करने के मद्देनजर दिसंबर, 2025 के अंत तक नए नियमों के अनुरूप नए टैक्स फॉर्म सहित संपूर्ण तैयारी पूरी कर ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में पारित इनकम टैक्स बिल 2025 को मंजूरी दिए जाने के बाद यह कानून के रूप में अधिसूचित कर दिया गया है। नया इनकम टैक्स कानून 1 अप्रैल, 2026 से मौजूदा इनकम टैक्स कानून 1961 की जगह लागू होगा। वस्तुतः नया इनकम टैक्स कानून महज कुछ धाराओं का बदलाव नहीं, बल्कि पूरी टैक्स व्यवस्था का कायापलट है। इससे देश में टैक्स सिस्टम के डिजिटल और सरल युग का नया दौर शुरू होने जा रहा है। इससे नए करदाता अपनी आमदनी के मुताबिक इनकम टैक्स देने के लिए बाध्य होंगे और नए कानून से देश की आर्थिक रफ्तार भी बढ़ेगी। खास बात यह भी है कि अभी मौजूदा इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि नया इनकम टैक्स कानून नई जरूरतों के मद्देनजर तैयार हुआ है। वर्ष 1961 में मौजूदा आयकर कानून लागू किए जाने के बाद से अब तक आयकर कानून की विभिन्न कमियों को दूर करने के लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। स्थिति यह है कि 1961 के इनकम टैक्स कानून में वर्ष 2024 तक 4,000 से ज्यादा संशोधन व सुधार हुए हैं। ऐसे जटिल हो चुके इनकम टैक्स कानून को सरल और व्यावहारिक बनाने के लिए नया इनकम टैक्स कानून 2025 एक सराहनीय कदम है।

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नि:संदेह, नया इनकम टैक्स कानून पुराने कानून को लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है। नया इनकम टैक्स कानून भाषा को आसान बनाने के साथ ही कटौतियों को स्पष्ट करता है और विभिन्न प्रावधानों के बीच क्रॉस रेफरेंसिंग को मजबूत करता है। नया कानून गृह संपत्ति से होने वाली आय, जिसमें मानक कटौती और गृह ऋण पर निर्माण-पूर्व ब्याज शामिल है, से जुड़ी अस्पष्टताओं को दूर करता है। नए कानून के माध्यम से टैक्स कानून को सरल बनाते हुए उसके पेजों की संख्या को आधा कर दिया गया है और अप्रासंगिक हो चुके प्रविधानों को हटा दिया गया है। अभी इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान मूल्यांकन वर्ष और वित्त वर्ष का उल्लेख करना होता था, लेकिन नए कानून में केवल टैक्स ईयर का उल्लेख करना होगा। साथ ही जिस वित्त वर्ष का टैक्स भरा जाएगा उसे ही टैक्स ईयर कहा जाएगा।

नए इनकम टैक्स कानून में वेतनभोगियों के लिए लाभप्रद प्रावधान हैं। बिना किसी कर देनदारी के शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट की सुविधा मिलेगी। निजी पेंशन योजनाओं में एकमुश्त निकासी पर कर छूट मिलेगी। सरकार की यूपीएस पेंशन के तहत भी कर छूट के लाभ मिलेंगे। टीडीएस दावों में सुधार के विवरण दाखिल करने की समय सीमा घटाई गई है। नए इनकम टैक्स कानून के तहत छोटे करदाताओं को कुछ विशेष सुविधाएं दी गई हैं। नए टैक्स कानून में एमएसएमई की नई परिभाषा को टैक्स प्रविधान से जोड़ दिया गया है। अस्थायी रूप से खाली पड़ी इमारत या घरों पर नोशनल रेट टैक्स नहीं लगेगा। व्यावसायिक प्रापर्टी को इस तरह परिभाषित किया गया है कि अगर उनका अस्थाई रूप से इस्तेमाल न हो तो उन पर हाउस प्रापर्टी की तरह टैक्स नहीं लिया जाएगा। व्यवसायी, कारोबारी और कंपनियों द्वारा गैर-लाभकारी संगठनों व धार्मिक ट्रस्टों को दिए जाने वाले गुमनाम दान पर टैक्स छूट जारी रहेगी।

नए कानून में टैक्स अधिकारियों को सशक्त बनाया गया है। नए इनकम टैक्स कानून में गलत या अधूरी जानकारी देने पर भारी जुर्माना सुनिश्चित किया गया है। बकाया टैक्स का भुगतान न करने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी है। आय छिपाने पर अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने के अधिकार होंगे। यदि किसी खर्च का विवरण आईटीआर में नहीं है और उस खर्च के बारे में विभाग को संतोषप्रद जवाब नहीं दिया जाता है तो उसे भी आय मान लिया जाएगा। टैक्स अधिकारी एकाउंट बुक को जांच के लिए 15 दिनों तक रख सकते हैं। नए कानून में प्रविधान के मुताबिक सर्च के दौरान सभी डिजिटल डॉक्यूमेंट्स जैसे कि फोन, लैपटॉप, ईमेल या अन्य डिजिटल उपकरण को टैक्स अधिकारी अपने कब्जे में ले सकता है।

देश में विगत एक दशक में इनकम टैक्स पैयर्स और इनकम टैक्स संग्रहण में आशातीत इजाफा हुआ है, उसे अब और बढ़ाया जा सकेगा। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 1 अप्रैल से 11 अगस्त के बीच शुद्ध प्रत्यक्षकर संग्रह 6.64 लाख करोड़ रुपये रहा है और सम्पूर्ण वर्ष में यह पिछले वर्ष के संग्रहण से अधिक होगा, लेकिन देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनकम टैक्स का योगदान बहुत कम बना हुआ है।

पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में टैक्स से जीडीपी अनुपात 11.7 फीसदी रहा है। वस्तुतः कर संग्रह में तेज वृद्धि से बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की क्षमता बढ़ती है। सरकार की मुट्ठियों में बढ़ता कर राजस्व न केवल अर्थव्यवस्था के नवनिर्माण में मदद करता है बल्कि यह सरकार को अपने करदाताओं के प्रति जवाबदेह भी बनाता है। साथ ही यह वित्तीय वर्ष की बेहतर योजना और बजट बनाने में मदद करता है।

उम्मीद करें कि एक अप्रैल 2026 से लागू होने वाला नया इनकम टैक्स कानून 2025 आयकरदाताओं की संख्या बढ़ाने, टैक्स जटिलता और मुकदमों में कमी लाने और टैक्स संग्रहण बढ़ाने में महत्वपूर्ण उपयोगिता देगा।

लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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