मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

रुका हुआ जहाज, थमा हुआ लोकतंत्र

उलटबांसी
Advertisement

जनता वोट डालती है, टिकट खरीदती है, पर ना हवाई जहाज उड़ता, ना विकास का जहाज़ उड़ता। और जब उड़ता है, तो बीच रास्ते कहता है—‘माफ़ कीजिए, यह फ्लाइट अब किसी और दिशा में जाएगी।’

एयरलाइंस की फ्लाइट कैंसिल हो रही है। यात्री गेट पर खड़े हैं, टिकट हाथ में है, पर जहाज़ हवा में नहीं। एयरलाइंस वाले कहते हैं—‘तकनीकी खराबी है।’ पर कोई क्या कर सकता है कि जब पूरी तकनीक ही खराब हो। नेता का भी हाल कई बार एयरलाइंस जैसा होता है। काम न कर पाता तो कहता है कि तकनीकी खराबी है।

Advertisement

जनता कहती है—‘तकनीकी खराबी नहीं, नीयत खराबी है।’

जनता वोट डालती है, टिकट खरीदती है, पर ना हवाई जहाज उड़ता, ना विकास का जहाज़ उड़ता। और जब उड़ता है, तो बीच रास्ते कहता है—‘माफ़ कीजिए, यह फ्लाइट अब किसी और दिशा में जाएगी।’

फ्लाइट कैंसिलेशन और राजनीति में गहरी समानता है।

फ्लाइट में पायलट बदलते रहते हैं, राजनीति में नेता।

फ्लाइट में घोषणा होती है—’ ‘देरी होगी।’ राजनीति में घोषणा होती है—‘विकास होगा।’

सच यह है कि विकास में देरी होती जाती है।

दुनिया का लोकतंत्र और एयरलाइंस दोनों ही यात्रियों को वेटिंग लिस्ट में रखते हैं।

जनता हमेशा पूछती है—‘हमारी फ्लाइट कब चलेगी?’

और नेता हमेशा कहते हैं— ‘बस पांच साल और।’

पर असली फ्लाइट तो जनरल की है, जो बिना टिकट, बिना चेक-इन, सीधे रनवे पर उतरते हैं।

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पांच साल नहीं चल पाते। कभी अदालत रोक देती है, कभी जनता रोक देती है, कभी फौज रोक देती है। लेकिन जनरल साहब को पांच साल का कार्यकाल मिल गया है।

यहां लोकतंत्र का असली मज़ाक है। जनता का वोट वेटिंग लिस्ट में है और जनरल का कार्यकाल बिज़नेस क्लास में। पाकिस्तान का लोकतंत्र ऐसा है जैसे रेलवे स्टेशन पर टिकट खिड़की—जहां जनता लाइन में खड़ी है, और जनरल सीधे प्लेटफ़ॉर्म पर पहुंच जाते हैं।

उधर ट्रंप नाराज हैं, पुतिन और मोदी की दोस्ती पर।

तीनों की दोस्ती इंटरनेशनल वाई फाई जैसी है। कभी कनेक्टेड, कभी ड्रॉप, पर हमेशा पासवर्ड प्रोटेक्टेड।

ट्रंप कहते हैं—‘मैं दुनिया का सबसे बड़ा डीलमेकर हूं।’

पुतिन कहते हैं—‘मैं दुनिया का सबसे बड़ा स्ट्रॉन्गमैन हूं।’

ट्रंप का स्टाइल है— ‘पहले ट्वीट करो, बाद में सोचो।’

पुतिन का स्टाइल है—‘पहले टैंक भेजो, बाद में बोलो।’

पुतिन और ट्रंप यूं खुद को एक दूसरे का दोस्त बताते हैं, पर सच यह है कि दोनों ऐसे लगते हैं जैसे दुनिया के मंच पर अलग-अलग गाने बजा रहे हों।

पाकिस्तान का लोकतंत्र तो और भी मज़ेदार है। वहां प्रधानमंत्री का कार्यकाल ऐसा है जैसे मोबाइल का बैलेंस—कभी भी ख़त्म हो सकता है। लेकिन जनरल का कार्यकाल ऐसा है जैसे पोस्टपेड प्लान—बिल आता है, पर सेवा कभी बंद नहीं होती। जिन्ना ऊपर कहीं सोचते होंगे कि पाकिस्तान मैंने बनवाया क्यों था, इसलिए कि कुछ आर्मी जनरल हमेशा मौज कर सकें।

Advertisement
Show comments