Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

एक रहस्य, कुछ अटकलें और कयास

तिरछी नज़र

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

देखो जी, इस रहस्य पर से तो पर्दा उठ गया कि कटप्पा ने बाहुबलि को क्यों मारा। हालांकि एक जमाने में यह भी एक राष्ट्रीय रहस्य बन गया था। आखिर देश की जनता, पांच-सौ करोड़ रुपये खर्च कर और बाहुबलि-दो फिल्म को हिट करके ही यह रहस्य जान पायी कि कटप्पा ने बाहुबलि को क्यों मारा था। कुछ-कुछ इसी तरह से इधर धनखड़ जी का इस्तीफा राष्ट्रीय रहस्य बना हुआ है। तमाम तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं, कयास लगाए जा रहे हैं। हर चैनल शो कर रहा है। हर एक्सपर्ट के पास इस इस्तीफे की अपनी कहानी है। तमाम तरह की साजिशें ढ़ूंढ़ी जा रही हैं। षड्यंत्र तलाशे जा रहे हैं। कहीं बताया जा रहा है कि उनकी रीढ़ सीधी होने लगी थी। हालांकि, कल तक इसी को उनकी लाइलाज बीमारी बताया जा रहा था। कहीं-कहीं तो वे किसान हितैषी बनकर भी सामने आ रहे हैं।

अचानक उन्हें उस लोकतंत्र का हिमायती दिखाया जाने लगा है, कल तक जिसके वे सबसे बड़े दुश्मन नजर आया करते थे। कल तक जो उनके हिमायती थे, आज विरोधी दिखते हैं। कल तक जो विरोधी थे, आज हिमायती दिखने लगे हैं। इस्तीफे के दिन के चार घंटे अचानक एक ऐसी रहस्यमयी गुफा में तब्दील हो गए हैं जिसका रहस्य पता नहीं कब खुलेगा। खुलेगा भी या नहीं खुलेगा। आखिर क्या हुआ उन चार घंटों में। किसने किसको धमकाया, किसने किसको पुचकारा। कौन रोया, किसने माथा पीटा। किसका किसको फोन आया। किसने किसको संदेश भिजवाया।

Advertisement

अब इसके हजारों-हजार वीडियोज बन रहे हैं। हर यूट्यूबर वीडियो बना रहा है। हरेक की अपनी एक थ्यूरी है। हरेक का अपना एक मत है। हर कोई एक नयी साजिश ढ़ूंढ़कर ला रहा है। हर कोई एक नए षड्यंत्र का भंडाफोड़ कर रहा है। यह एक तरह से कैनेडी रहस्य हो गया है। जैसे कैनेडी की हत्या का रहस्य आज भी रहस्य ही बना हुआ है। धनखड़ साहब का यह इस्तीफा भी कुछ-कुछ उसी तरह का रहस्य बनता जा रहा है। कैनेडी की हत्या पर भी न जाने कितनी फिल्में बन चुकी। पर रहस्य ज्यों का त्यों है।

Advertisement

अगर धनखड़ साहब ताजिंदगी इस पर चुप्पी साध गए तो निश्चित रूप से उनके इस्तीफे के रहस्य में दूसरा कैनेडी रहस्य बनने की पूरी संभावना है। धनखड़ साहब जो कभी चुप नहीं रहे, हमेशा दूसरों को ही चुप कराते रहे, आज एकदम चुप हैं। रहस्य के पर्दे में गुम हैं। धनखड़ साहब को इतिहास में चाहे और किसी बात के लिए याद किया जाए या न किया जाए, पर उन्हें इस इस्तीफे और उसके रहस्य के लिए अवश्य ही याद किया जाएगा। यह भी क्या कम है। नहीं?

Advertisement
×