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एक खूबसूरत बला, हाथ जोड़ने की कला

तिरछी नजर
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चुनाव का मौसम, हाथ जोड़ने के मौसम के बिना अधूरा है। अक्सर चुनाव के मौसम की बात तो होती रही है लेकिन हाथ जोड़ने का मौसम पीछे छूट जाया करता है।

चुनाव के साथ-साथ हाथ जोड़ने का मौसम भी आ गया है। ये दोनों मौसम हमेशा साथ-साथ आते हैं। चुनाव का मौसम, हाथ जोड़ने के मौसम के बिना अधूरा है। अक्सर चुनाव के मौसम की बात तो होती रही है लेकिन हाथ जोड़ने का मौसम पीछे छूट जाया करता है। इसलिए इस मौसम को ठीक से समझ लेना जरूरी है। सामान्यतः दोनों हाथों को विशेष मुद्रा में जोड़ना ‘नमस्ते’ कहलाता है। बुनियादी रूप से दोनों हथेलियों को आपस में जोड़कर सीने के सामने रखना और फिर मुखारविंद से मुस्कान के साथ नमस्ते उच्चारने से ‘नमस्ते’ करने की क्रिया पूर्ण मानी जाती है। यह एक प्राचीन व्यवस्था है। इसलिए हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

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आज स्वार्थ सर्वोपरि हो गया है और लोग अपने काम निकालने के लिए हाथ जोड़ने के तरीकों में बुनियादी परिवर्तन कर रहे हैं। इस परिवर्तन में न केवल तकनीकों का इस्तेमाल होता है, बल्कि इनके प्रभाव और दुष्प्रभाव पर भी पूरी पड़ताल की जा रही है। अब हाथ जोड़ने के तरीके को एक कला के रूप में विकसित किया जा रहा है। एक तिरछी नज़र रखने वाले जनक लाल का कहना है—यदि हाथ जोड़ने के विविध तरीकों को ठीक से समझ लिया जाए तो आदमी को समझना आसान हो जाता है।

जनक लाल बताने लगे कि सिर के ऊपर ले जाकर दोनों हाथों को जोड़ना, दूर से समर्थन जुटाने की लुभावनी नमस्ते-क्रिया है। इसका प्रयोग चुनावी सभाओं में मंच से या भीड़ के बीच रहकर बहुतायत से होता है। इसी क्रिया का एक दूसरा स्वरूप भी है। इसमें दोनों हाथों को आशीर्वाद की मुद्रा में रखते हुए बीच-बीच में जोड़ना पड़ता है। ऐसा करने से भीड़ में उपस्थित लोगों का ख्ायाल रखने का भ्रम पैदा होता है। चुनावी प्रचार के दौरान घर-घर जाकर वोट याचकों द्वारा हाथ जोड़ने का एक अनोखा प्रयोग देखने में आया है। इस क्रिया में हाथों को अपने सीने के सामने जोड़कर कमर को हल्का-सा झुकाया जाता है और दोनों हाथों को यथासंभव वोटर के पैरों तक ले जाया जाता है। यह अपने पक्ष में वोट टपकवाने का शर्तिया तरीका है।

हाथ जोड़ने के एक और नायाब तरीके को बताते हुए जनक लाल बोले, ‘इस तरीके में एक हाथ को सिर से ऊपर ले जाकर हथेली को खुला रखा जाता है और दूसरे हाथ को टा-टा की मुद्रा में लहराते हुए बार-बार खुली हथेली से जोड़ना पड़ता है जिससे एक भीड़ में नया संदेश जाता है।’ ‘वो क्या?’ मैंने औचक पूछा। उन्होंने एक आंख दबाई और बोले, ‘भैया..‍. मुझे वोट देकर जिताओ... फिर पांच साल के लिए टा-टा बाय-बाय हो जाओ।’

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