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राजस्थान की कच्ची घोड़ी, कठपुतली, बहरूपिया देखकर युवा भी दंग

कलाग्राम में क्राफ्ट मेला: रौनक देखने दूर -दूर से आ रहे लोग

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फाइल फोटो
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एस.अग्निहोत्री/ हप्र

मनीमाजरा, 3 दिसंबर

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रविवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से कलाग्राम में चल रहे क्राफ्ट मेले में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। मेले की रौनक देखने दूर -दूर से लोग आए हुए थे।

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क्राफ्ट मेले में परफार्म करते राजस्थान के कलाकार। - दैनिक ट्रिब्यून

मेले में यूपी के सहारनपुर से आए कारीगरों द्वारा लगाए गए स्टॉल पर कारपेट, दरियां और डोरमेट खूब पसंद किए जा रहे हैं। इनके अलावा दिनभर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम की वजह से मेले में रौनक रहती है। वहीं मेले में घरेलू सजावटी सामान से लेकर कपड़े और किचन के उपकरणों के स्टॉल पर खूब भीड़ रही। इस बार क्राफ्ट मेले में कई ऐसे आकर्षण जोड़े गए हैं जो अपने आप में सेल्फी प्वाइंट हैं। रविवार को पत्थर में तराशे गए विशाल वाद्ययंत्र और मेले में सजाए गए लोक संस्कृति के प्रतीक और बनाये गये गांव के दृश्य में लोग फोटो खिंचवाते दिखाई दिए। मेले में सुबह का आगाज राजस्थानी फॉक संगीत और वेस्ट बंगाल के नटुआ से हुआ। इसके बाद उत्तराखंड का धमाल, छत्तीसगढ़ का कर्मा, ओड़िसा का मलखंभ और पंजाब का जिंदुआ की प्रस्तुति में कलाकारों ने तालियां बटोरीं। इसके बाद शाम को चंडीगढ़ के अर्जुन जयपुरी की खास प्रस्तुति के साथ सुनीता दुआ सहगल द्वारा लोक संगीत की प्रस्तुति हुई। इस दौरान राजस्थान की कच्ची घोड़ी, बहरूपिया, कठपुतली- पपेट शो देखकर बच्चे ही नहीं युवा भी दंग रह गए। वहीं मेले में आए लोग पंजाब से आए कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाते भी नजर आए। इसके अलावा हरियाणा के आर्टिस्ट बीन-जोगी और नगाड़ा की प्रस्तुति देखकर सभी लोग तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। चंडीगढ़ क्राफ्ट मेला इस बार कई नए आकर्षणों के साथ दर्शकों का मन मोह रहा है। चंडीगढ़ ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भीम मल्होत्रा ने बताया कि इस बार अकादमी की ओर से मेले में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की थीम पर कला प्रदर्शनी लगाई गई है और एक फोटो प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है। इसमें कलाग्राम में आए दर्शकों द्वारा खींचे गए फोटो में से हर दूसरे दिन दो फोटो का चयन किया जा रहा है।

वडाली ने दिलकश आवाज का जादू बिखेरा

शाम के सत्र में पंजाब के प्रमुख सूफी गायक लखविंदर वडाली ने अपनी दिलकश प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा। उन्होंने अपनी मधुर आवाज में एक के बाद एक अपने बेहतरीन कलाम सुनाए। जैसे ही स्टेज पर पहुंचकर लखविंदर वडाली ने आलाप भरा तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। इस दौरान मस्त नजरों से जिसका पड़ा वास्ता वो हसीनों के जल्वों पर मारां गया, तेरा इश्क नचाऊंदा वे सजना सानूं ते नचना नई आऊंदा, ईक चंगा तू लगदा सानू दूजा वी तू माईयां.. और तू माने या ना माने दिलदारा आदि गीत गाकर दर्शकों के बीच अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

मणिपुर के अार्टिस्ट कला का जोरदार प्रदर्शन करते हुए। -दैनिक ट्रिब्यून

आज इन कार्यक्रमों की होगी प्रस्तुति

सोमवार को सुबह 11.15 से दोपहर 12 बजे तक पंजाब के डॉक्टर सुरमंगल अरोड़ा की ओर से स्वरों की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके बाद धडी गायन, मध्य प्रदेश के गुडूम बाजा, राजस्थान की भापंग, गुजरात का रथावा, पंजाब के झूमर की प्रस्तुति होगी। इसके साथ पंजाब के कलाकारों की ओर से बाजीगर, नचर की प्रस्तुति होगी और हरियाणा के आर्टिस्ट बीन-जोगी और नगाड़ा की प्रस्तुति देंगे। वहीं शाम को महाराष्ट्र की लावनी, मणिपुर का पुंग चोलोम- रास, जम्मू-कश्मीर का जगारना होगा। वहीं दोपहर को हरियाणा का स्वांग, धमाल, छत्तीसगढ़ के कर्मा, मध्य प्रदेश के राय, ओड़िसा का मलखंब, गुजरात के रथावा की प्रस्तुति दी जाएगी।

कुम्हार पिता से प्रेरित होकर तुलसी राम प्रजापति बने मूर्तिकार

मूर्तिकार तुलसी राम प्रजापति अपनी बनाई मूर्तियों के साथ। -हप्र

चंडीगढ़ ललित कला अकादमी से कई बार सम्मानित हो चुके मूर्तिकार तुलसीराम प्रजापति की बनाई मूर्तियां कलाग्राम शिल्प मेले में भी खूब वाहवाही लूट रही हैं । प्रजापति मूल रूप से फरिदाबाद से, लेकिन अभी चंडीगढ़ में ही रह रहे हैं। पिछले 20 सालों से स्कल्पचर बना रहे तुलसीराम की मूर्तियां देश के हरेक कोने में अपनी परिचय दे चुकी हैं। उन्होंने बताया कि कलाग्राम से पहले वे हैदराबाद, कर्नाटक, केरल, उदयपुर, जयपुर आदि कई जगह मेले में अपनी बनाई मूर्तियों से सबका दिल जीत चुके हैं। प्रजापति ने बताया कि उनके पिता कुम्हार थे और जब वे छोटे थे, तो अपने पिता को मिट्टी से विभिन्न तरह की आकृतियां बनाते देख, खूब आकर्षित होते थे। यहीं से उन्हें इस क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा पैदा हुई और कॉलेज की पढ़ाई भी शिल्पकारिता में ही की। पिता से प्रेरित होने पर इसी काम को आगे बढ़ाने की इच्छा की वजह से आज तुलसी राम प्रजापति की बनाई मूर्तियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस काम में पैसे अधिक नहीं हैे, लेकिन एक कलाकार को अपनी कला के दम पर लोगों से भरपूर प्यार और सम्मान मिलना ही बहुत कीमती है। मोहाली के कुंवर वीर सिंह ने बताया कि उनके परिवार की चार पीढ़ियां आर्टिस्ट हैं। इसीलिए उन्होंने अपने परिवार की इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए चंडीगढ़ आर्ट कॉलेज में दाखिला लिया और वे थर्ड इयर के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि जब वे तीसरी कक्षा में थे, तब उन्होंने पहला स्कल्पचर बनाया था। उनके बनाए स्कल्पचर को पूरे स्कूल में पसंद किया गया था। कुंवर वीर सिंह ने बताया कि उनके पिता परमजीत सिंह राणा एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं और उन्हें मूर्तियां बनाते देख ही कुंवर को प्रेरणा मिली। बीते चार सालों से अपनी बनाई मूर्तियों की प्रदर्शनी लगा चुके हैं। मेले में वीर स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का स्कल्पचर बना रहे वीर सिंह ने बताया कि हमारे देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले वीर स्वतंत्रता सेनानियों को युवा पीढ़ी भूलती जा रही है। इसीलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मेले में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस का स्कल्पचर बनाया है। बीते वर्ष चंडीगढ़ कार्निवल में कुंवर व उनकी टीम ने दिवंगत सिद्धू मूसेवाला की थीम पर फ्लोटस बनाकर लोगों में खूब तारीफें बटोरी थीं।

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