लेखक मंच समराला ने बहुभाषी कवि राम कमल दोराहा को किया सम्मानित
राम कमल ने मंच के उपस्थित सदस्यों से अपना परिचय कराते हुए बताया कि भले ही वे एक व्यवसायी हैं, लेकिन साहित्य में उनकी गहरी रुचि है। उन्होंने लेखक मंच को अपनी पुस्तक ‘मुझे कुछ नया कहना है’ भेंट की। उन्होंने बताया कि उनकी तीन पुस्तकें शीघ्र ही बाजार में आने वाली हैं। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि दोराहा कस्बे में शुरू की गई संस्था ‘लिटरेरी मंच दोराहा’ के लिए वे लगभग 150 लेखक-मेहमानों की क्षमता वाला एक हाल तैयार कर रहे हैं, जिसमें साहित्यिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
लेखक मंच समराला में छाये हिंदी -पंजाबी-उर्दू के कवि
इस मौके पर उन्होंने पंजाबी, हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू में लिखी अपनी रचनाएं सुनाकर उपस्थित लेखकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे पहले मास्टर तरलोचन स्मृति समारोह का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उपस्थित सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को सफल और अनुशासित बताया। वित्त सचिव हरजिंदरपाल सिंह ने समारोह के खर्च का विवरण सदन के समक्ष रखा, जिसकी सदन ने सराहना की और खर्च के हिसाब को सर्वसम्मति से पारित किया।
रचनाओं के दौर में प्रिंसिपल डॉ. परमिंदर सिंह बेनीपाल ने सुखविंदर रामपुरी, सुरजीत रामपुरी, गुरचरण रामपुरी, महिंदर रामपुरी और महिंदर कैदी द्वारा रचित कविताएं और गीत प्रस्तुत किए। नवजीत सिंह कोटाला ने धर्म कमेआणा द्वारा लिखा गीत प्रस्तुत किया। नेतर सिंह ‘नेतर’ ने कविता ‘समां कई वार’, जबकि करमजीत बासी ने कविता ‘होका’ प्रस्तुत की। पत्रकार करमजीत ‘आजाद’ ने गीत ‘मैनूं तेरे ग़म ने मार देना’ को तरन्नुम में गाकर सुनाया। इसी तरह मास्टर आत्मा सिंह कोटाला ने मास्टर तरलोचन सिंह से जुड़ी यादें साझा कीं।
प्रस्तुत रचनाओं पर लेखकों ने गंभीर चर्चा की और रचनात्मक सुझाव दिए। इससे पूर्व मंच के अध्यक्ष राजविंदर समराला ने आए हुए लेखकों का स्वागत और धन्यवाद किया। अध्यक्ष मंडल में जत्थेदार अमरजीत सिंह बलियों, प्रिंसिपल बेनीपाल, राजविंदर समराला और राम कमल दोराहा सुशोभित रहे।
इस अवसर पर मास्टर प्रेम नाथ और राजिंदर सिंह विशेष रूप से बैठक में उपस्थित रहे। मंच संचालन हरजिंदरपाल सिंह ने कुशलतापूर्वक किया।
