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World Thalassemia Day : खून का दान, जीवन का दान... पीजीआई में आयोजित 313वां मेगा रक्तदान शिविर बना मिसाल

विश्व थैलेसीमिया दिवस पर थैलेसीमिया से जूझते मासूमों के लिए संजीवनी बना पीजीआई में आयोजित शिविर
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विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 8 मई

World Thalassemia Day : गर्मियों की तपती दोपहर में जब आम लोग छांव तलाशते हैं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों के जीवन में ठंडी छांव देने के लिए अपना खून भी देने को तैयार रहते हैं। पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में आयोजित विश्व थैलेसीमिया दिवस पर ऐसा ही एक दृश्य सामने आया, जहां थैलेसीमिक चारिटेबल ट्रस्ट (टीसीटी) और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के सहयोग से 313वां मेगा रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। यह शिविर महज आयोजन नहीं था, यह मानवता का उत्सव था — एक ऐसा प्रयास, जिससे सैकड़ों मासूम जिंदगियां रफ्तार पकड़ सकें।

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हर दो से तीन सप्ताह में जिनकी सांसें थम जाती हैं...

थैलेसीमिया कोई साधारण बीमारी नहीं, बल्कि एक आजीवन संघर्ष है। इस आनुवंशिक रोग से पीड़ित बच्चों को हर दो से तीन सप्ताह में रक्त चढ़ाना पड़ता है। ऐसे में नियमित और स्वैच्छिक रक्तदान ही उनकी जीवनरेखा बनता है। ट्रस्ट के सदस्य सचिव श्री राजिंदर कालरा के शब्दों में, “रक्तदाता इन बच्चों के लिए फरिश्ते हैं, जो उन्हें हर बार नया जीवन देते हैं।”

सिर्फ रक्तदान नहीं, एक समर्पण का उत्सव

इस विशेष शिविर में 313 लोगों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 263 ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। प्रत्येक रक्तदाता को प्रमाणपत्र, बैज, स्मृति उपहार और पौष्टिक अल्पाहार देकर सम्मानित किया गया। आयोजन में अंग, नेत्र और देहदान के लिए पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई, जो कई लोगों के लिए एक नया प्रेरणास्त्रोत बनी।

बच्चों के साथ केक काटकर दी संदेशात्मक शुरुआत

शिविर की शुरुआत पीजीआई के निदेशक (वर्तमान कार्यभार) एवं डीन रिसर्च प्रो. (डॉ.) संजय जैन ने थैलेसीमिक बच्चों के साथ केक काटकर की — यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक प्रतीक था कि समाज के हाशिए पर खड़े इन बच्चों को भी समारोहों का हिस्सा बनाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। उनके साथ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) रत्ती राम शर्मा और एपीसी की प्रो. (डॉ.) साधना लाल भी उपस्थित रहीं।

जागरूकता की दीवार पर लिखे गए उम्मीद के शब्द

शिविर स्थल पर थैलेसीमिया जागरूकता केंद्र स्थापित किया गया था, जहां रोग के लक्षण, बचाव, स्क्रीनिंग और प्रबंधन से जुड़ी जानकारी दी गई। विशेषकर युवाओं में यह जागरूकता कार्यक्रम काफी प्रभावशाली रहा।

संगठन के स्तंभों ने दिया कंधे से कंधा मिलाकर साथ

टीसीटी की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती विभा मित्तल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री ए.पी. सिंह, उपाध्यक्ष श्री बलराज गिल, श्रीमती रूपम कोरपाल, श्री कुश वर्मा, डॉ. विनी सूद, श्री अमित सूद सहित पूरी कार्यकारिणी ने पूरे समर्पण के साथ शिविर को सफल बनाया। मेडिकल स्टाफ के साथ डॉ. संगीता पचार, डॉ. ऐश्वर्या, डॉ. समृति चौहान और 10 नर्सिंग विद्यार्थियों की टीम ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया।

जज्बा जो संक्रामक हो...

इस शिविर ने यह संदेश दिया कि थैलेसीमिया के खिलाफ लड़ाई सिर्फ मेडिकल नहीं, सामाजिक भी है। यह जज्बा जितना फैलाया जाएगा, उतनी ही अधिक जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।

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