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चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, सीजीसी लांडरां में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर कार्यशाला आयोजित

चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज़ (सीजीसी) लांडरां के चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी (सीसीटी) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) और राइज़ एसोसिएशन के सहयोग से एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस (प्रतिजैविक प्रतिरोध) पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशाला आयोजित की। इस...
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मोहाली के सीजीसी लांडरां में मंगलवार को कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञ एवं प्रबंधक।-निस
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चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज़ (सीजीसी) लांडरां के चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी (सीसीटी) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) और राइज़ एसोसिएशन के सहयोग से एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस (प्रतिजैविक प्रतिरोध) पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला का शीर्षक था – द साइलेंट पैंडेमिक : अंडरस्टैंडिंग एंटीमाइक्रोबियल रेज़िस्टेंस।

कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रतिजैविक प्रतिरोध के तंत्र, जैव-सूचनाविज्ञान प्रक्रियाओं, निगरानी पद्धतियों और नैदानिक प्रबंधन रणनीतियों की तकनीकी समझ देना था। साथ ही, इसका मकसद जिम्मेदार प्रतिजैविक उपयोग को बढ़ावा देना और प्रतियोगिताओं व विशेषज्ञ सत्रों के माध्यम से छात्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना भी था।

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प्रतिजैविक प्रतिरोध एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी जैसे सूक्ष्मजीव दवाओं के प्रभावों को सहने में सक्षम हो जाते हैं। यह प्रतिरोध आनुवंशिक परिवर्तन और क्षैतिज जीन अंतरण से विकसित होता है तथा दवाओं के दुरुपयोग और अत्यधिक उपयोग से तेजी से बढ़ता है। इसके कारण संक्रमण का प्रबंधन कठिन हो जाता है और मृत्यु-दर व स्वास्थ्य खर्च बढ़ जाते हैं।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य वक्ताओं प्रोफेसर (डॉ.) धीरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, प्रतिजैविक प्रतिरोध प्रभाग, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, नई दिल्ली और डॉ. सोनल, पल्मोनरी मेडिसिन परामर्शदाता, लिवासा अस्पताल, मोहाली ने किया। स्वागत निदेशक-प्राचार्य डॉ. पल्की साहिब कौर, विभागाध्यक्ष डॉ. गुरप्रीत कौर, डीन, संकाय सदस्य और छात्रों ने किया।

डॉ. धीरेंद्र कुमार ने प्रतिजैविक प्रतिरोध पर गहन जानकारी दी, जिसमें फेनोटाइपिक संवेदनशीलता परीक्षण, आणविक निदान तकनीकें और नवीन पीढ़ी अनुक्रमण दृष्टिकोण शामिल थे। उन्होंने वैश्विक निगरानी ढांचे और डेटा साझा करने के महत्व पर भी जोर दिया।

डॉ. सोनल ने नैदानिक दृष्टिकोण से मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी श्वसन संक्रमणों की चुनौतियों, साक्ष्य-आधारित प्रतिजैविक उपयोग पद्धतियों और लक्षित उपचार के लिए सटीक निदान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

प्रतियोगिताओं में, पोस्टर निर्माण में एम.एससी. बायोटेक्नोलॉजी की शिवांगी सबरवाल, बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी की पलकप्रीत कौर और दीपिका ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। ‘माइंड स्पीक’ प्रतियोगिता में बी.एससी. तृतीय वर्ष के अनुनीत प्रथम, एम.एससी. बायोटेक्नोलॉजी की सरगम द्वितीय और बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी के हर्ष तृतीय स्थान पर रहे।

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