डीसी रेट पर काम, जिंदगी बेहाल : मांगों को लेकर शिक्षा विभाग के कर्मियों का हल्ला बोल
क्लास फोर इम्प्लॉइज यूनियन के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में कर्मचारियों ने कहा कि वे 16 वर्षों से डीसी रेट और आउटसोर्सिंग व्यवस्था के तहत कार्यरत हैं, लेकिन न तो उन्हें स्थायी किया गया और न ही ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का अधिकार मिला। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि वर्षों से केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं, समाधान अब तक नहीं मिला।
यूनियन प्रधान अन्नु कुमार ने कहा कि यह अस्थायी और असुरक्षित व्यवस्था हजारों परिवारों को आर्थिक अनिश्चितता में धकेल रही है। वहीं, संघ अध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि डीसी रेट एक औपनिवेशिक काल की अस्थायी व्यवस्था थी, जिसका अब तक उपयोग किया जाना श्रमिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आउटसोर्स कर्मचारियों को बेसिक डीए वेतन मिल रहा है, जबकि शिक्षा विभाग इस सिद्धांत को अब भी नजरअंदाज कर रहा है। यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो संघर्ष सड़क से सचिवालय तक पहुंचेगा।
ये हैं मांगें
- सभी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए
- बेसिक डीए के अनुरूप वेतन सुनिश्चित हो
- मिड डे मील कर्मचारियों की ड्यूटी चार घंटे तय कर आधी सैलरी दी जाए
- ग्रेच्युटी, आपातकालीन चिकित्सा और सेवानिवृत्ति लाभ भी प्रदान किए जाएं