जब बिजली नहीं आती, तो बिल किस बात का : प्रदीप चौधरी
पिंजौर, 22 जून (निस)
गर्मी के सितम से बेहाल ग्रामीण इलाकों में अब बिजली के बेतहाशा बिलों ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। जहां घंटों बिजली गुल रहती है, वहीं फिक्स चार्ज, मीटर रेंट और अन्य फालतू शुल्क जोड़कर उपभोक्ताओं को हजारों रुपये के बिल थमाए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर आज कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी ने बिजली विभाग की कार्यप्रणाली को आड़े हाथों लेते हुए इसे “जनविरोधी और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।
प्रदीप चौधरी ने सवाल उठाया कि जब गांवों में बिजली मुश्किल से कुछ घंटे ही आती है, तो फिर इतने बड़े-बड़े बिल किस आधार पर थोपे जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि विभाग लोगों से वसूली तो कर रहा है, लेकिन सेवा देने में पूरी तरह फेल है। तकनीकी स्टाफ की भारी कमी के कारण ट्रांसफॉर्मर फेल हो या लाइन फॉल्ट – ठीक होने में घंटों लग जाते हैं। हल्की बारिश या हवा के साथ ही बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है और सूचना तक नहीं मिलती। प्रदीप चौधरी ने साफ किया कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो जनता के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
ये हैं मांगें
फालतू शुल्क तत्काल हटाए जाएं।
हर गांव में तकनीकी स्टाफ की तैनाती हो।
मौसम खराब होने पर वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
बिजली कटौती की पूर्व सूचना एमएसएस व सार्वजनिक नोटिस के जरिए दी जाए।
उपभोक्ता सहायता केंद्रों को पूरी तरह सक्रिय किया जाए।