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दिल की धड़कन थमी तो पीजीआई ने थाम ली नब्ज : 15 साल की बच्ची के दिल में लगाया बिना तारों वाला पेसमेकर

उत्तर भारत में पहली बार किशोरी के दिल में लगा लीडलेस पेसमेकर
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 5 मई 

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15 साल की एक मासूम बच्ची... दिल की धड़कन बार-बार लड़खड़ाती थी। चेहरे पर मासूमियत थी लेकिन दिल की हालत बेहद गंभीर। जन्मजात ‘कंप्लीट हार्ट ब्लॉक’ की शिकार थी वह। हर दिन उसके लिए एक जंग था — थकावट, चक्कर और मौत का डर। लेकिन अब उसकी जिंदगी में उम्मीद की नई धड़कन जुड़ गई है, और वह भी बिना किसी तार और चीरे के।

पीजीआई चंडीगढ़ ने चिकित्सा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर छू लिया है। लीडलेस पेसमेकर अब तक वयस्कों में लगाया जाता था, लेकिन पहली बार इसे एक किशोरी के दिल में लगाया गया है। यह उपलब्धि पूरे उत्तर भारत के लिए पहली और अनोखी है।

कैसे हुई सर्जरी?

इस विशेष प्रक्रिया का नेतृत्व प्रो. सौरभ मेहरोत्रा ने किया, जो कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. यशपाल शर्मा की निगरानी में संपन्न हुई। डिवाइस का नाम है Micra Transcatheter Pacing System—एक छोटी सी विटामिन कैप्सूल जितनी डिवाइस, जो जांघ की नस के जरिए दिल तक पहुंचाई जाती है और वहीं फिक्स कर दी जाती है। ना कोई चीरा, ना टांका, ना ही तारों की झंझट।

प्रो. मेहरोत्रा बोले – बच्चों के लिए वरदान

प्रो. मेहरोत्रा कहते हैं, “यह तकनीक उन बच्चों और किशोरों के लिए वरदान है, जो जीवनभर किसी तार या स्कार के साथ नहीं जीना चाहते। यह प्रक्रिया सुरक्षित भी है और लंबे समय तक राहत देने वाली भी।” अब तक बच्चों में लीडलेस पेसमेकर लगाने से डॉक्टर झिझकते थे, लेकिन पीजीआई की यह सफलता नई राह खोल रही है। यह एक मिसाल बनेगी उन बच्चों के लिए जो दिल की दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे हैं।

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