Wheat Transformation प्राकृतिक और वैज्ञानिक संतुलन से ही टिकेगी गेहूं की उत्पादकता
Wheat Transformation देश में गेहूं उत्पादन और गुणवत्ता के बदलते परिदृश्य पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘व्हीट इन ट्रांसफॉर्मेशन’ का आगाज़ शुक्रवार को चंडीगढ़ में हुआ। आयोजन का संयुक्त संचालन व्हीट प्रोडक्ट्स प्रमोशन सोसायटी (डब्ल्यूपीपीएस) और रोलर फ्लोर मिलर्स...
Wheat Transformation देश में गेहूं उत्पादन और गुणवत्ता के बदलते परिदृश्य पर केंद्रित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘व्हीट इन ट्रांसफॉर्मेशन’ का आगाज़ शुक्रवार को चंडीगढ़ में हुआ। आयोजन का संयुक्त संचालन व्हीट प्रोडक्ट्स प्रमोशन सोसायटी (डब्ल्यूपीपीएस) और रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन ऑफ पंजाब (आरएफएमएपी) द्वारा किया जा रहा है। सेमिनार में नीति निर्धारकों, वैज्ञानिकों, प्रोसेसर्स, फ्लोर मिलर्स और किसानों ने हिस्सा लिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में डब्ल्यूपीपीएस के चेयरमैन अजय गोयल और आरएफएमएपी के चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह गिल ने कहा कि भारत में गेहूं की स्थिरता का भविष्य प्राकृतिक प्रक्रियाओं और वैज्ञानिक नवाचारों के बीच सही संतुलन पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि बदलते जलवायु हालात, उपभोक्ता धारणा और कृषि पद्धतियों के बीच यह समय संतुलित कृषि दृष्टि अपनाने का है।
अजय गोयल ने कहा कि गेहूं केवल एक फसल नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता और पोषण की नींव है। उन्होंने सोशल मीडिया पर गेहूं के खिलाफ फैलाई जा रही भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं तक सुरक्षित, पौष्टिक और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद पहुंचाने के लिए सख्त गुणवत्ता मानक और निगरानी प्रणाली आवश्यक है।
गोयल ने कहा कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्य आत्मनिर्भरता दी, लेकिन अब दूसरी क्रांति की जरूरत है, जो विज्ञान, नवाचार और स्थिरता पर आधारित हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि जैविक उत्पादन उपयोगी है, लेकिन केवल प्रकृति पर निर्भर रहना व्यावहारिक नहीं। यदि वैज्ञानिक तरीकों को न अपनाया गया तो उत्पादन घटेगा और कीमतें बढ़ेंगी। सस्टेनेबिलिटी, प्रोडक्टिविटी और अफोर्डेबिलिटी इन तीनों के बीच संतुलन ही भविष्य की कुंजी है।
धर्मेंद्र सिंह गिल ने पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ के प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि कुदरत की मार कभी-कभी आशीर्वाद भी बन जाती है। ब्यास नदी के आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ से भले शुरुआती नुकसान हुआ, पर मिट्टी में उपजाऊ गाद जमा होने से अगली फसल में उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है।
दो दिनों तक होगी गहन मंथन
इस सेमिनार में देशभर के विशेषज्ञ जलवायु सहनशीलता, फोर्टिफिकेशन और गुणवत्ता मानक, उपभोक्ता जागरूकता और मिलिंग टेक्नोलॉजी में नवाचार जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे। उद्देश्य है ऐसी रणनीति तैयार करना जिससे भारत आने वाले दशकों तक न केवल आत्मनिर्भर बल्कि टिकाऊ खाद्य आपूर्ति वाला राष्ट्र बन सके।

