पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के फूले हाथ-पांव
पिंजौर, 25 मई (निस)
पिंजौर ब्लॉक के गांव खोल फतेह सिंह में शनिवार को ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का जैसे ही ऐलान किया तो पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। कालका उपमंडल के अधिकारी ग्रामीणों को मनाने के लिए गांव पहुंचे। गांव में सभी बंजारा पिछड़ा जाति के लोग रहते हैं। गांव की सरपंच ममता देवी के अनुसार पिछले कई वर्षों से गांव में बिजली की बहुत कम वोल्टेज आती है व बिजली के उपकरण शाम को काम ही नहीं कर पाते। पेयजल की भी समस्या है और गांव की मुख्य सड़क बहुत ही टूटी-फूटी जर्जर हालत में है। इतना ही नहीं गांव में किसी भी मोबाइल कंपनी का भी सिगनल नहीं आता। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने पिछले कई वर्षों के दौरान अधिकारियों और सरकार से उनकी समस्या का समाधान करने की मांग रखी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर अपनी नाराजगी जताई।
बहिष्कार की खबर सुनते ही सबसे पहले डीएसपी जोगेंद्र शर्मा गांव पहुंचे। उन्होंने लोगों को मतदान करने के लिए बहुत समझाया। लेकिन ग्रामीणों ने उनकी बात नहीं मानी । दोपहर तक गांव में कुल 2 वोट ही डाले गए थे। मतदान केंद्र पूरी तरह से सुनसान पड़ा हुआ था। मढ़ावाला चौकी में बूथ नंबर 11 पर खोल फतेह सिंह गांव वासियों की वोटें डलनी थीं। दोपहर के बाद पिंजौर बीडीओ विनय कुमार और नायब तहसीलदार कालका साहिल गांव पहुंचे। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिलाया कि उनकी सभी समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंच कर जल्द समाधान करवाया जाएगा। जिसके बाद सरपंच और उसके समर्थको ने तो वोट डाल दी । परंतु गांव के अधिकतर लोग शाम 5 बजे तक चुनाव के बहिष्कार पर अड़े रहे। सरपंच और उनके समर्थकों द्वारा वोट डालने के बाद इस बूथ पर मात्र 12 वोट ही डाले जा सके। गांव वासी वोट डालने ही नहीं गए। वे शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताते रहे। गौरतलब है कि पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित गांव मड़ावाला से काफी दूर जंगल के रास्ते से होते हुए चारों ओर जंगल से घिरा यह गांव पंजाब की सीमा के साथ सटा हुआ है। इसलिए यहां पर अक्सर अधिकारी और सरकारी कर्मचारी आने से कतराते हैं।